इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में विराट कोहली, रोहित शर्मा, पोलार्ड, ब्रावो और रसेल जैसे बड़े खिलाड़ी कोई कमाल नहीं दिखा पा रहे हैं. इस वजह से आईपीएल की बादशाह रही मुंबई इंडियंस और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर जैसी टीमें निचले पायदान पर हैं. चेन्नई सुपर किंग्स का प्रदर्शन भी कोई बहुत बेहतर नहीं है, लेकिन महेंद्र सिंह धौनी अपने पुराने अंदाज में नजर आ रहे हैं.
हाल में उन्होंने आखिरी गेंद पर चेन्नई सुपर किंग्स को मुंबई इंडियंस के खिलाफ जीत दिलायी, तो उनकी खूब तारीफ हुई. सुर्खियों में रहनेवाले राजनीतिज्ञ सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया- ‘मैंने अपनी जिंदगी में, यहां तक कि अपने स्कूली दिनों में ऐसा सुपर जादू नहीं देखा, जैसे मैंने पिछली रात देखा. धौनी ने धौनी को पीछे छोड़ दिया.’ इस पारी के बाद उनके प्रशंसकों का कहना है कि धौनी को संन्यास छोड़कर फिर से भारत के लिए खेलना चाहिए.
वीरेंद्र सहवाग ने लिखा, एमएस धौनी… ओम फिनिशाय नम:. सुरेश रैना ने लिखा, हमारे धौनी भाई ने जाने पहचाने अंदाज में बहुत महत्वपूर्ण पारी खेली. पूर्व तेज गेंदबाज आरपी सिंह ने तो धौनी को संन्यास खत्म कर वापस लौटने तक की सलाह दे डाली. जीत के बाद जब धौनी मैदान से लौट रहे थे, तो चेन्नई के कप्तान रविंद्र जडेजा आगे आये और झुककर उनको सलाम किया, तो वहीं उनके साथी खिलाड़ी अंबाती रायुडू ने दोनों हाथ जोड़ कर उनका अभिवादन किया.
जडेजा ने कहा, जिस तरह से मैच चल रहा था, हम काफी तनाव में थे, लेकिन हम जानते थे कि खेल का महान फिनिशर खेल रहा है और अगर वह अंतिम गेंद तक खेला, तो वह मैच खत्म कर ही लौटेगा. उन्होंने कहा कि धौनी ने दुनिया को दिखा दिया कि वह आज भी सर्वश्रेष्ठ मैच फिनिशर हैं. मुंबई के कप्तान रोहित शर्मा ने मैच के बाद कहा कि हम सभी जानते हैं कि एमएस धौनी क्या कर सकते हैं.
मुंबई इंडियंस के खिलाफ मैच में धौनी ने आखिरी चार गेंदों में 16 रन बनाये और आखिरी गेंद पर चौका लगाकर अपनी टीम को जीत दिलायी. इस पारी ने प्रशंसकों की पुरानी यादें ताजा कर दीं, जब वे भारतीय टीम को मुश्किल मैच जिताया करते थे और अक्सर चौके या छक्के के साथ मैच खत्म कर लौटते थे. यह मैच दोनों टीमों के लिए महत्वपूर्ण था. लगातार छह हार झेलने के बाद मुंबई इंडियंस की टीम पहली जीत के लिए चेन्नई के खिलाफ उतरी थी.
चेन्नई ने टॉस जीतकर मुंबई इंडियंस को पहले बल्लेबाजी का न्योता दिया. मुंबई इंडियंस ने 20 ओवर में सात विकेट पर 155 रन बनाये. चेन्नई के बल्लेबाज लगातार आउट हो रहे थे और लग रहा था कि टीम हार जायेगी. मुश्किल घड़ी में धौनी ने मोर्चा संभाला. मैच की अंतिम चार गेंद पर 16 रन की जरूरत थी और स्ट्राइक पर थे धौनी. उन्होंने 6, 4, 2, 4 रन स्कोर कर मुंबई इंडियंस के खिलाफ चेन्नई सुपर किंग्स को जीत दिला दी.
वह 13 गेंद पर 28 रन बनाकर नाबाद लौटे. धौनी ने जिस तरह से बल्लेबाजी की, ऐसा लग रहा था, जैसे पुराने दिन लौट आये हों. इस सीजन के पहले ही मैच में भी धौनी ने कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ 38 गेंदों में नाबाद 50 रन बनाये थे. आईपीएल की छह पारियों में उन्होंने 60 की औसत से 120 रन बनाये हैं, जबकि वे नीचे के क्रम में बल्लेबाजी करने आते हैं. धौनी चार बार नाबाद भी रहे हैं.
धौनी का प्रदर्शन दिखाता है कि उनकी लय आज भी बरकरार है. धौनी भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सबसे सफल कप्तानों में गिने जाते हैं. वे दुनिया के एकमात्र ऐसे कप्तान हैं, जिनके नेतृत्व में किसी टीम ने आईसीसी की तीनों ट्रॉफी जीती हैं. धौनी की कप्तानी में भारत ने 2011 का विश्व कप, 2007 का ट्वेंटी-20 विश्व कप और 2013 में आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी जीती है.
कुछ साल पहले धौनी के जन्मदिन से ठीक पहले क्रिकेट की अंतरराष्ट्रीय संस्था आईसीसी ने ट्वीट कर धौनी की तारीफ में लिखा था- एक नाम जिसने भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदल दिया, एक नाम जो दुनियाभर में लोगों को प्रेरणा दे रहा है. धौनी में गजब का कौशल है. आप ऐसे खिलाड़ी का नाम गिनाएं, जिसने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को कोई शॉट दिया हो. ऐसे खिलाड़ी उंगलियों पर गिने जा सकते हैं. धौनी उनमें से एक हैं.
धौनी ने क्रिकेट को हेलिकॉप्टर शॉट दिया और आज दुनिया के सभी दिग्गज खिलाड़ी उसे लगाने की कोशिश करते हैं. क्रिकेट विशेषज्ञ मानते हैं कि धौनी इसलिए महान हैं कि वे दबाव में भी सटीक निर्णय ले सकते हैं. उनमें मुश्किल परिस्थितियों में भी खुद को शांत रखने की गजब क्षमता है. इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन का कहना था कि सीमित ओवरों के मैच में उन्होंने जितने कप्तान देखे हैं, उनमें धौनी सर्वश्रेष्ठ हैं. धौनी को उनकी कप्तानी और विकेटकीपिंग दोनों के लिए जाना जाता है.
आईपीएल मैचों में भी वे विकेट के पीछे से गेंदबाजों को हिदायत देते रहते हैं. स्पिनर के वक्त तो उनकी सक्रियता और बढ़ जाती है. धौनी खराब गेंद डालने पर उन्हें झिड़कते भी हैं. विकेट का सारा श्रेय गेंदबाजों को मिलता है और हम अक्सर धौनी के योगदान की अनदेखी कर जाते हैं. यह अनुभव और विशेषता किसी अन्य विकेटकीपर में कहां मिलेगी! जब रिव्यू लेने की बात आती है, तो धौनी का निर्णय अंतिम होता है. वनडे मैचों में 100 से अधिक स्टंपिंग करने वाले वे दुनिया के एकमात्र विकेटकीपर हैं. उनकी तेजी और फुर्ती में आज भी कोई कमी नहीं है.
मैं पहले भी कहता आया हूं कि धौनी का सबसे बड़ा योगदान यह है कि उन्होंने भारतीय क्रिकेट का चाल, चरित्र और चेहरा बदल दिया है. इसके पहले भारतीय क्रिकेट टीम में केवल मुंबई और दिल्ली के खिलाड़ियों का बोलबाला था. झारखंड से निकले इस क्रिकेटर ने न केवल टीम में जगह बनायी, बल्कि उसे नयी ऊंचाइयों तक ले गया. उसने टीम का न केवल सफल नेतृत्व किया, बल्कि छोटी जगहों से आने वाले प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिए रास्ता भी खोला.
कपिल देव को छोड़ दें, तो इसके पहले टीम में ज्यादातर बड़े शहरों से आये अंग्रेजीदां खिलाड़ियों का ही बोलबाला रहा है. धौनी ने इस परंपरा को बदला और भारतीय टीम को तीनों फॉर्मेट में सफल नेतृत्व भी प्रदान किया. इसमें तो कोई दो राय नहीं है कि उन्होंने झारखंड को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी है. धौनी जैसे खिलाड़ी दशकों में एक बार आते हैं. हम उनके अनुभव से कैसे लाभ उठा सकते हैं, इसके बारे में सोचना चाहिए.