घरेलू खपत बढ़ने से अर्थव्यवस्था में बेहतरी की उम्मीद
Economy News : भारत की अर्थव्यवस्था बीते साल मजबूती से बढ़ती रही. चुनाव में सत्तारूढ़ दल की विजय के बाद राजनीतिक स्थिरता बनी रहने के कारण उसमें तेजी ही आयी. हालांकि विकास दर अप्रैल से जून की अवधि में 6.7 प्रतिशत रही जो पिछली पांच तिमाहियों में सबसे कम थी.
Economy News : बीते वर्ष भारत की जीडीपी की दर विश्व की अर्थव्यवस्थाओं में अग्रणी बनी रही. उसने निराशा के दौर से गुजरती दुनिया को नया रास्ता दिखाया. वर्ष 2024 में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में भी भारत की चर्चा रही. भारतीय मूल के वोटरों को रिझाने के लिए दोनों बड़ी पार्टियों ने ताकत लगायी और उनकी उम्मीदवारी भी की. यह केवल इसलिए नहीं हुआ कि अमेरिका में 26 लाख भारतीय मूल के वोटर थे, बल्कि इसलिए कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक तारे की तरह चमक रही थी जिससे अमेरिका को आर्थिक तथा राजनीतिक मित्रता की दरकार है.
भारत की अर्थव्यवस्था बीते साल मजबूती से बढ़ती रही. चुनाव में सत्तारूढ़ दल की विजय के बाद राजनीतिक स्थिरता बनी रहने के कारण उसमें तेजी ही आयी. हालांकि विकास दर अप्रैल से जून की अवधि में 6.7 प्रतिशत रही जो पिछली पांच तिमाहियों में सबसे कम थी. इसके बावजूद यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में एक रही. इसकी यह गति देखकर अंतरराष्ट्रीय रेटिंग और वित्तीय एजेंसियों ने माना कि आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक शक्ति और बढ़ेगी. यहां विकास की गति बढ़ेगी और उसका आधार घरेलू खपत या उपभोग रहेगा. ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग बढ़ेगा क्योंकि कृषि विकास की गति तेज होगी. संतुलित मानसून के कारण फसलें अधिक होंगी जिससे किसानों की आय बढ़ेगी और वे खर्च करेंगे.
अंतरराष्ट्रीय एजेंसी डेलॉएट का तो कहना है कि 2024-25 में भारत के जीडीपी विकास की दर सात से 7.2 प्रतिशत रहेगी और उसके बाद के वित्त वर्ष में यह 6.5 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत के बीच रहेगी. यह रफ्तार भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने देने के लिए जरूरी है. भारत में आने वाले वर्षों में विदेशी निवेश और बढ़ेगा. चीन से कई कंपनियां भारत सहित कई अन्य देशों की ओर जायेंगी जिससे मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा. इस समय देश में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र का कुल जीडीपी में योगदान 20 प्रतिशत ही है और इसे बढ़ाने की जरूरत है. विदेशी पूंजी के भारत आने के अपने लाभ होंगे.
भारत ने जितनी तेजी से एक बड़े अंतरराष्ट्रीय पैमाने पर रेल, वायु और सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया तथा उसमें निरंतर विकास जारी है, वह बहुराष्ट्रीय कंपनियों को पसंद आ रहा है. पर्याप्त इंफ्रा के बिना भारत में बड़े पैमाने पर निवेश नहीं हो पाता, न ही इसकी गुंजाइश होती. इतना ही नहीं, भारत के श्रम बाजार की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है और अब अधिक से अधिक कुशल तथा प्रशिक्षित श्रमिक सामने आ रहे हैं. उनकी उत्पादकता पहले से बेहतर है. हालांकि 2024 के अंत में सितंबर तिमाही जीडीपी के आंकड़ों ने वित्त मंत्रालय को निराश कर दिया.
अर्थव्यवस्था की गति में सुस्ती आ गयी और यह गिरकर 5.4 प्रतिशत पर आ गयी जबकि आकलन था कि यह 6.4 प्रतिशत तक हो सकती है. इसका सबसे बड़ा कारण था कि लोगों की खपत करने की क्षमता में भारी कमी आयी है, क्योंकि देश में रोजमर्रा की चीजों की महंगाई बढ़ी और खर्च के लिए लोगों के पास अतिरिक्त धन नहीं था. इसके अतिरिक्त, सरकारी खर्च में भी कमी आयी. इसके पहले की अवधि, यानी जुलाई-सितंबर में यह 7.4 प्रतिशत था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बार इस बात पर जोर दिया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था खपत या उपभोग आधारित है. इसका अर्थ हुआ कि जब खपत बढ़ेगी तो जीडीपी में भी बढ़ोतरी होगी. लेकिन इस वर्ष इस घरेलू खपत में गिरावट देखी गयी. कई उद्योगों के बिक्री के आंकड़ों ने तो बहुत निराश किया. इसमें ऑटोमोबाइल उद्योग भी था जिसकी बढ़ती ताकत की चर्चा चारों ओर हो रही थी. ऑटोमोबाइल उद्योग मैन्युफैक्चरिंग की रीढ़ की हड्डी बनता जा रहा है. वर्ष 2025 में इसके विकास की दर 11 प्रतिशत से भी अधिक रहने की उम्मीद जतायी जा रही है, जिसका असर विकास दर पर भी पड़ेगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए डोनाल्ड ट्रंप का फिर से चुना जाना भारत के लिए राजनीतिक रूप से सुखद है. लेकिन ट्रंप अमेरिका फर्स्ट की नीति में विश्वास करते हैं और अपने देश में उत्पादित वस्तुओं पर भारत में ज्यादा टैक्स लगाने नहीं देंगे. इसलिए भारत को सतर्क रहने की भी जरूरत होगी. लेकिन उनके प्रभाव से चीन में काम कर रही अमेरिकी कंपनियां भारत तथा अन्य देशों में बड़े पैमाने पर आयेंगी. इसका निश्चित रूप से हमारी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा क्योंकि विदेशी निवेश बढ़ेगा. वर्ष 2025 के शानदार रहने की उम्मीद है, क्योंकि अर्थव्यवस्था के सभी कारक अपनी जगह पर हैं. बढ़िया मानसून का असर बढ़िया फसलों के रूप में दिखाई देगा और खाने-पीने की चीजों के दाम घटेंगे. और फिर घरेलू खपत बढ़ेगी जिससे जीडीपी विकास की दर भी बढ़ेगी. सरकारी खर्च में भी बढ़ोतरी होगी. रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत की विकास दर छह प्रतिशत से भी ज्यादा रहेगी जिसका असर आम जीवन पर पड़ेगा. इसके अतिरिक्त लोगों की निगाहें आम बजट पर रहेंगी जो फरवरी में पेश होगा. रिजर्व बैंक भारत की अर्थव्यवस्था के प्रति आशावादी है और हमें भी ऐसा ही रहना चाहिए.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)