वन नेशन वन गैस-ग्रिड का लाभ

हम जिन देशों से प्राकृतिक गैस आयात करते हैं, उन पर अपनी निर्भरता को विकेंद्रित करना होगा़ इसके समानांतर घरेलू उत्पादन और उसके वितरण से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सीएनजी स्टेशन के नेटवर्क को भी बढ़ाना होगा़

By अरविंद मिश्रा | February 17, 2021 6:55 AM
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पिछले एक महीने में प्राकृतिक गैस से जुड़ी दो विशाल परियोजनाएं परिचालन स्तर पर आ चुकी है़ं चार जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने जहां 450 किलोमीटर लंबी कोच्चि-मंगलुरु प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का उद्घाटन किया, वहीं सात फरवरी को स्वयं हल्दिया पहुंचकर 347 किमी लंबी डोभी-दुर्गापुर गैस पाइपलाइन राष्ट्र को समर्पित किया़ दोनों ही परियोजनाएं वन नेशन, वन गैस ग्रिड विजन पर आधारित है़ं

इसमें नेचुरल गैस की सप्लाई और डिस्ट्रिब्यूशन के लिए एक ऐसा ग्रिड विकसित करने का लक्ष्य है जो पूरे देश में ऊर्जा का लोकतांत्रिक वितरण सुनिश्चित करे़ हमारे यहां ऊर्जा की मांग 4.2 प्रतिशत सालाना दर से बढ़ रही है़ ऊर्जा खपत के मामले में जहां भारत दुनिया की आर्थिक महाशक्तियों को पीछे छोड़ चुका है़ वहीं प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल में यह काफी पीछे है, जबकि यह कोयला आधारित जीवाश्म ईंधनों के मुकाबले न सिर्फ लागत सक्षम है बल्कि कम कार्बन उत्सर्जक भी है़

वन नेशन, वन गैस ग्रिड विजन ऊर्जा उपलब्धता का टिकाऊ तंत्र विकसित करने का ही एक प्रयास है़ इसके अंतर्गत समुद्री और जमीनी मार्ग पर तैयार होने वाला पेट्रो-गैस पाइपलाइन का नेटवर्क एनर्जी कॉरिडोर की शक्ल में सामने आयेगा़ इससे सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम के जरिये शहरों में रसोई ईंधन के रूप में पीएनजी और वाहनों के लिए सीएनजी की उपलब्धता बढ़ेगी़ वहीं उज्ज्वला जैसी सामाजिक योजनाओं को नये शिखर पर ले जाने में भी मदद मिलेगी़ पीएनजी एलपीजी सिलिंडर की तुलना में सस्ती है. रसोई ईंधन के लिए एलपीजी सिलिंडर की मौजूदा आपूर्ति व्यवस्था ग्राहकों के लिए महंगी है़

पीएनजी के रूप में रसोई ईंधन की तरह ही परिवहन के लिए सीएनजी की बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिए प्राकृतिक गैस की सप्लाई देश के कोने-कोने तक करनी होगी़ पेट्रोल और डीजल की तुलना में यह परिवहन को सस्ता और सुगम बनाने के साथ पर्यावरण अनुकूल भी है़ ठीक इसी तरह प्राकृतिक गैस हमारी उन औद्योगिक विनिर्माण इकाइयों के लिए वरदान बनेगी जिनके लिए ऊर्जा उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है़

ऊर्जा गंगा परियोजना पूर्वी भारत को सेंट्रल नेचुरल गैस पाइपलाइन कॉरिडोर से जोड़ेगी़ इसमें जगदीशपुर-हल्दिया-बोकारो-धामरा गैस पाइपलाइन को शामिल किया गया है़ इसी तरह दक्षिण भारत में 6,250 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 1450 किलोमीटर लंबी गैस पाइपलाइन का कार्य प्रगति पर है़ पूर्वोत्तर की वन नेशन, वन गैस ग्रिड में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है़ पूर्वोत्तर के सभी राज्य एक देश, एक गैस ग्रिड से समानांतर रूप से जुड़ने की प्रक्रिया में है़ं

हालांकि गैस ग्रिड के जरिये अर्थव्यवस्था में प्राकृतिक गैस आधारित ईंधन की खपत बढ़ाने के लिए एक साथ कई मोर्चों पर काम करना होगा़ वन नेशन, वन गैस ग्रिड का विजन तभी सफल होगा जब नेचुरल गैस का घरेलू और औद्योगिक उपयोग बढ़े़ इसके लिए कारोबारी वातावरण सुधारना होगा़ नेचुरल गैस को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग लंबे समय से हो रही है़ इस पर जितना जल्द हो केंद्र और राज्यों को बीच का रास्ता निकालना होगा़

वर्तमान में प्राकृतिक गैस जीएसटी के दायरे से बाहर है़ इस पर केंद्र सरकार द्वारा सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और राज्यों द्वारा वैट लगाया जाता है़ अलग-अलग राज्यों में टैक्स का दायरा अलग-अलग होने के साथ ही गैस आधारित उद्योग को वैट पर टैक्स क्रेडिट का लाभ भी नहीं मिलता है़ अंतत: गैस की उत्पादन लागत बढ़ने का असर आम उपभोक्ता की जेब पर पड़ता है़ यदि प्राकृतिक गैस के उत्पादन, वितरण और उपयोग को प्रोत्साहित करना है तो इसे जीएसटी के दायरे में लाना सबसे महत्वपूर्ण विकल्प है़

हम जिन देशों से प्राकृतिक गैस आयात करते हैं, उन पर अपनी निर्भरता को विकेंद्रित करना होगा़ इसके समानांतर घरेलू उत्पादन और उसके वितरण से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सीएनजी स्टेशन के नेटवर्क को भी बढ़ाना होगा़ एक अनुमान के मुताबिक 2014 में जहां देशभर में 938 सीएनजी स्टेशन थे, वे पिछले वर्ष तक 2300 हो गये़ सरकार अगले कुछ वर्षों में देश भर में लगभग दस हजार सीएनजी स्टेशन का नेटवर्क खड़ा करने के लक्ष्य पर काम कर रही है़ इसके लिए सरकार को व्यापक निवेश भी आकर्षित करना होगा़ प्राकृतिक गैस के उत्पादन मोर्चे पर हाल ही में पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिला स्थित तेल रिजर्व से नेचुरल गैस का उत्पादन शुरू हो गया है़

लगभग 34,500 किलोमीटर लंबी वन नेशन, वन गैस ग्रिड परियोजना कोरोना संकट के बीच इकोनॉमी को संजीवनी प्रदान कर सकती है़ बशर्ते, इस परियोजना का लाभ छोटे एमएसएमई को भी मिले़ ऊर्जा के लोकतांत्रिक वितरण के जिस लक्ष्य की ओर सरकार बढ़ना चाहती है, वह तभी पूरा होगा जब शहरी गैस वितरण प्रणाली की तर्ज पर ग्रामीण गैस वितरण प्रणाली की व्यवस्था भी खड़ी हो़ यह तभी संभव है जब केंद्र और राज्य सरकारों के साथ उपभोक्ता भी ऊर्जा के इस टिकाऊ स्रोत के प्रति एकीकृत दृष्टिकोण के साथ कदमताल करे़ं

Posted By : Sameer Oraon

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