भारत के औषधि महानियंत्रक द्वारा कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए विकसित दो वैक्सीन के आपात उपयोग की अनुमति महामारी के विरुद्ध जारी लड़ाई में एक निर्णायक मोड़ है. यह भी एक बड़ी उपलब्धि है कि दोनों टीकों का निर्माण भारत में हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर को आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के लिए उत्साहवर्धक बताया है.
पुणे स्थित सीराम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित टीका ब्रिटेन के आस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है, जबकि भारत बायोटेक ने विभिन्न सरकारी विभागों के सहयोग से देश में ही टीके को विकसित किया है. सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी है.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रेखांकित किया है कि भारत संभवत: दुनिया का अकेला ऐसा देश हैं, जहां चार टीके लगभग तैयार हो चुके हैं. टीकाकरण की प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाने के लिए सरकार ने प्रशिक्षण और परीक्षण का सिलसिला शुरू कर दिया है तथा आशा है कि अनुमति मिलने के साथ ही टीकाकरण की प्रक्रिया बड़े पैमाने पर शुरू हो जायेगी.
दुनिया के कई और देशों की तरह हमारे देश में भी कुछ लोग टीकों और उनके प्रभाव के बारे बेमतलब की बातें कर रहे हैं तथा अफवाहें फैलाने की कोशिशें भी हो रही हैं. यह ठीक नहीं है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने स्पष्ट किया है कि वैक्सीन के सामान्य उपयोग की अनुमति देने के क्रम में सभी स्थापित प्रक्रियाओं और नियमों का पालन किया जा रहा है तथा इस संबंध में कोई जल्दबाजी नहीं होगी. सरकार का इरादा जुलाई तक प्राथमिकता के आधार पर पचास वर्ष की आयु से ऊपर और कोरोना संक्रमण की स्थिति में घातक रोगों से ग्रस्त 27 करोड़ लोगों को टीका उपलब्ध कराना है.
वैक्सीन ही वायरस को काबू में करने का एकमात्र हथियार है. इस संबंध में बेसिर-पैर की बातों पर ध्यान देना ठीक नहीं है. चेचक, पोलिया आदि अनेक रोगों को जड़ से उखाड़ने के प्रयास में टीकाकरण की सफलताओं से सभी परिचित भी हैं तथा टीकाकरण के लाभार्थी भी हैं. टीका नहीं लेना अपनी सुरक्षा के लिए खतरनाक तो है ही, इससे दूसरों के भी संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है. महामारी से परेशान लोगों के लिए यह भी राहत की बात है कि दो बार दिये जानेवाले इस टीके को पूरे देश में हर किसी को बिना किसी दाम के मुहैया कराया जायेगा.
हमारे वैज्ञानिक वायरस पर शोध में भी जुटे हुए हैं. इस क्रम में बड़ी सफलता यह मिली है कि ब्रिटेन से निकले कोरोना वायरस के नये रूप को पहली बार अलग कर उसकी परख की गयी है. वायरस और वैक्सीन पर हमारे शोधों की यह कामयाबी वैज्ञानिकों और संस्थाओं की विश्वस्तरीय क्षमता का सबूत है. जब तक हमें टीका नहीं लग जाता है, तब तक हमें सावधानी बरतने के निर्देशों का पालन करना है क्योंकि न्यूनतम स्तर पर ही सही, पर अभी भी संक्रमण का दौर जारी है.
Posted By : Sameer Oraon