वैश्विक चिंता
मानवीय और आर्थिक चिंताओं के कारण कई देशों ने भारत को मदद की पेशकश की है तथा तात्कालिक सहायता पहुंचने का सिलसिला शुरू भी हो गया है.
बीते एक साल से भी अधिक समय से कोरोना संक्रमण एक वैश्विक महामारी के रूप में कहर ढा रहा है तथा अनेक देशों में अभी भी इसका असर है. लेकिन भारत इस महामारी की दूसरी लहर से अभी सबसे अधिक प्रभावित है. रोजाना बढ़ते संक्रमण और मौतों की संख्या ने दुनिया को चिंता में डाल दिया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि यह वायरस देशों की सीमाओं या राष्ट्रीयताओं की परवाह नहीं करता है, न ही इसे किसी उम्र, धर्म या लिंग से लेना-देना है.
आज जो भारत में हो रहा है, वैसे अनुभव से अनेक देश गुजर चुके हैं. ऐसे में फिर से महामारी के फैलाव की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है. अनेक देशों में वायरस के भारतीय रूप के मिलने से इस आशंका को बल मिला है. कुछ जानकारों का मानना है कि ‘डबल म्यूटेंट’ के नाम से प्रचलित वायरस का भारतीय रूप अधिक आक्रामक भी है. यह स्थापित तथ्य है कि टीकाकरण से ही वायरस पर निर्णायक रूप से काबू पाया जा सकता है.
अनेक देशों की तुलना में भारत का टीकाकरण अभियान कुछ कम गति से चल रहा है. अभी तक लगभग दस फीसदी आबादी को पहली खुराक और दो फीसदी से भी कम लोगों को दोनों खुराक मिल सकी है. उम्मीद है कि एक मई से इस अभियान में तेजी आयेगी. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को लेकर चिंता की एक वजह अर्थव्यवस्था को लेकर भी है.
भारत समेत तमाम बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को कोरोना के ग्रहण का शिकार होना पड़ा है. कुछ महीने से सुधार के संकेत मिलने लगे हैं, पर भारत में दूसरी लहर उसे बाधित कर सकती है. पाबंदियों के कारण हमारी अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ने लगी है. यह दावे से नहीं कहा जा सकता है कि दूसरी लहर के थमने में कितना समय लगेगा. उल्लेखनीय है कि भारत कोरोना काल से पहले दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में था.
अमेरिका समेत कई देशों के कारोबार में भारत का बड़ा योगदान है. आयात, निर्यात और निवेश के तार भी अंतरराष्ट्रीय बाजार से जुड़े हुए हैं. अनेक नेताओं और कारोबारियों ने कहा है कि भारत की वर्तमान स्थिति उनके और वैश्विक हितों पर कुठाराघात कर सकती है. जरूरत पड़ने पर भारत ने दूसरे देशों को हमेशा यथासंभव सहयोग किया है. ऐसे में मानवीय और आर्थिक चिंताओं के कारण कई देशों ने भारत को मदद की पेशकश की है तथा तात्कालिक सहायता पहुंचने का सिलसिला शुरू भी हो गया है.
अमेरिका के 40 उद्योगपतियों ने एक विशेष समूह बनाया है, जिसके तहत सरकारों और निजी क्षेत्र से सामंजस्य स्थापित कर भारत को विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग किया जायेगा. यह एक अंतरराष्ट्रीय प्रयास है. सालभर भारत ने कई देशों को मास्क, खाद्य पदार्थ, दवाई और वैक्सीन मुहैया कराया है. आज हमें आवश्यकता है. वैश्विक सहयोग से ही इस वैश्विक महामारी को परास्त किया जा सकता है.