सालभर की मुश्किल लड़ाई के बाद देश कोरोना महामारी पर जीत के बेहद करीब है. संक्रमण के सक्रिय मामले अब दो फीसदी से भी नीचे हैं, जबकि संक्रमण मुक्त होने का आंकड़ा 97 प्रतिशत से अधिक है. कोरोना संक्रमित होने की कुल दर 5.11 प्रतिशत पर आ गयी है. इन तथ्यों से इंगित होता है कि कुछ ही समय में महामारी पर पूरी तरह नियंत्रण कर लिया जायेगा. लेकिन कुछ राज्यों में संक्रमण की स्थिति चिंताजनक है.
महाराष्ट्र और केरल में ही देशभर के 75 प्रतिशत सक्रिय मामले हैं. केंद्र सरकार की टीमें इन राज्यों के अलावा तमिलनाडु, पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश और हरियाणा की स्थिति की निगरानी कर रही हैं. जानकारों की मानें, तो जल्दी ही इन राज्यों में भी संक्रमण की दर में कमी आने की उम्मीद है.
टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण में बड़ी संख्या में हो रहा पंजीकरण उत्साहवर्द्धक है. सरकारी और निजी अस्पतालों के संयुक्त प्रयास से टीका लगाने की गति भी तेज हो रही है, लेकिन इसे बढ़ाने की दरकार है. कोरोना मामलों तथा संक्रमण से होनेवाली मौतों की संख्या में तेज गिरावट की वजह से देशभर, खासकर छोटे शहरों और कस्बों, में लोगों में सुरक्षा उपायों के प्रति लापरवाही बरतने की खबरें विचलित करनेवाली हैं.
हमें यह समझना होगा कि आज जिन राज्यों में संक्रमण फिर से खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, उसका मुख्य कारण लापरवाही और बेवजह भीड़ करना ही है. टीकाकरण की प्रक्रिया पूरी होने में अभी समय लगेगा. ऐसे में मास्क लगाने, साफ-सफाई रखने तथा समुचित दूरी बरतने जैसे जरूरी उपायों पर अमल जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
एक सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार, देश में संक्रमितों की कुल संख्या 30 करोड़ के आसपास हो सकती है क्योंकि बड़ी तादाद में संक्रमित युवाओं में कोई लक्षण नहीं दिखे थे. दर्ज मामलों की संख्या 1.1 करोड़ है. देश की बड़ी आबादी, स्वास्थ्य से जुड़े संसाधनों के अभाव और सुरक्षा उपायों को लेकर गंभीरता की कमी को देखते हुए महामारी से संबंधित दरें बहुत संतोषजनक हैं, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हम निश्चिंत हो जायें.
विशेषज्ञों की राय है कि अब भारत उस दौर में पहुंच रहा है, जहां स्थानीय स्तर पर संक्रमण फैल सकता है. हालांकि ऐसे मामलों को संभालना आसान होता है, पर अगर हम सावधान रहेंगे, तो वायरस के प्रसार की गति बाधित हो सकती है. एक चिंता यह भी है कि वायरस के बदलते रूपों के असर के बारे में अभी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है.
ऐसे में स्थानीय स्तर पर निगरानी की जरूरत है ताकि संक्रमण के कम खतरनाक लहरों की आवृत्ति को संभाला जा सके. टीका लेने के सरकार और विशेषज्ञों के अनुरोध के पालन पर जोर दिया जाना चाहिए. यदि हम ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’ के मुहावरे को महामारी के इस दौर में भी याद रखेंगे, तो कोरोना की बची-खुची चुनौती का भी आसानी से सामना कर सकेंगे.
Posted By : Sameer Oraon