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अभी जीवनशैली नहीं जीवन है अहम

आज का इंसान जीवनशैली की चिंता में लगा है, न कि जीवन की. जीवन की चिंता करें, जीवनशैली में बदलाव होता रहता है. यह दोबारा से बन जायेगी.

By डॉ राजीव | April 15, 2021 7:42 AM

कोरोनावायरस संक्रमण में तेजी आने से हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं, लेकिन हमें यह भी सोचने की जरूरत है कि आज तक कोई ऐसी बीमारी नहीं हुई, जो दुनिया को खत्म कर सके. इसीलिए, हमें तमाम दुश्वारियों के बीच सकारात्मकता बना कर रखनी है. यह एक छोटा सा दौर है, जो समय के साथ बीत जायेगा. हमें इस कठिन दौर में मिल-जुलकर रहना है.

अगर हमारा जीवन है, तो जीवनशैली दोबारा से बन जायेगी. अभी हमें अपने जीवन को बचाना है. हमें तसल्ली रखनी होगी और समय का इंतजार करना होगा. धीरे-धीरे हालातों में परिवर्तन आयेगा. आपसी मतभेद से हमें बचना है और एक-दूसरे पर किसी भी तनाव की स्थिति में कटाक्ष नहीं करना है.

बड़ी संख्या में लोग बीमार हो रहे हैं. हर हाल में हमें एहतियात बरतने की आवश्यकता है. घबराने की बजाय सावधानी और समझदारी से काम करना है. अपना समय घर के अंदर कैसे गुजारना है, यह ध्यान रखें. ऐसा नहीं कि हम आदमी हैं, तो केवल आदमियों वाले ही काम करें, औरत हैं, तो औरतों वाले ही काम करें.

हमें मिल-जुलकर काम करना चाहिए. हाथ बंटाने से काम आसान हो जाता है और परस्पर तालमेल बेहतर होता है. घर की जिम्मेदारी के साथ-साथ बच्चों की देखभाल और उन्हें पढ़ाने-लिखाने की जिम्मेदारी दोनों की है. एक आदमी के जिम्मे अधिक काम का बोझ होगा, तो दिक्कतें होंगी. अगर बहुत ज्यादा काम है, तनाव हो रहा है और एकरसता आ गयी है, तो हम पुराने खेलों में अपना ध्यान बंटा सकते हैं.

बीते एक साल से महामारी के कारण कई कठिनाइयां उत्पन्न हुई हैं. हमें आगे की चुनौतियों के लिए खुद को तैयार रखना है. आनेवाले समय में निश्चित ही रोजगार को लेकर अनिश्चतता उत्पन्न होगी. बहुत सारे लोगों के सामने रोजगार का संकट होगा. कई लोगों का वर्क फ्रॉम होम होगा. आर्थिक चुनौतियां पहले से अधिक गंभीर होंगी. कारोबार प्रभावित होंगे. हमारी व्यस्तता और व्यवसाय दोनों पर फर्क पड़ने वाला है.

बहुत सारे काम ऑनलाइन होने शुरू हो जायेंगे. तकनीक का प्रभाव और इस्तेमाल बढ़ेगा. इसे देखते हुए हमें पहले से ही तैयारी करनी है. हमें अपनी जीवनशैली को साधारण रखना है. पहले हम बहुत पैसे खर्च करते थे, बहुत सारे काम करते थे, उन सब चीजों को साधारण कर देना है.

हमें अपनी जरूरतों और इच्छाओं को कम करके रखना है. जब धीरे-धीरे सामान्य जनजीवन लौटेगा और दुनिया मंदी जैसे हालात से उबरेगी, तो फिर से हमारी जीवनशैली पहले जैसी ही हो जायेगी. यह समय है, हो सकता है यह एक साल का हो, डेढ़ साल का हो, लेकिन, यह हमेशा नहीं रहेगा.

अधिक दबाव के कारण ही हमारा स्वास्थ्य खराब होता है. दबाव हमेशा रहता है. पहले भी हम पर दबाव था. कई तरह की गतिविधियां होती थीं, उसे पूरा करने के लिए हम परेशान रहते थे. अभी जीवनशैली के रुकने का दबाव है. प्रकृति हमें इशारा दे रही है कि आप सामान्य जीवनशैली पर जायें, आपकी बीमारियां भी अपने आप कम होंगी. प्रकृति हमें समय दे रही है.

मान लीजिए आपको मधुमेह है, तो आपके पास पर्याप्त समय है कि आप व्यायाम करें. अगर आपके घर में संबंध बिगड़ते हैं, तो आपको पर्याप्त समय मिल रहा है कि आप बैठकर बात करें और चीजों को ठीक करें. आपको जो समय मिल रहा है, आप सदुपयोग कीजिए, ऐसा करने से बीमारियों का बोझ कम होगा और आपको अस्पताल जाने की नौबत नहीं आयेगी.

बच्चे ऊर्जा से भरे होते हैं. उनकी ऊर्जा के साथ मां-बाप का तालमेल बिठा पाना आसान नहीं होता. अगर घर में एक से अधिक बच्चे हैं, तो उनको आपस में व्यस्त रखें. उन्हें उम्र के हिसाब से घर के काम सौंपे. ध्यान रखें, बच्चों को बार-बार टोकने से बचें. उनसे बहुत परफेक्शन की उम्मीद न करें. बच्चा आपकी तरह सावधानी नहीं बरत सकता. बच्चों को उनके हाल पर छोड़ दीजिए, उन्हें मौज-मस्ती करने दीजिये, वे अपनी खुशी के लिए कोई न कोई तरीका निकाल लेंगे.

जब आप उन्हें ज्यादा निर्देश और आदेश-उपदेश देने लगते हैं, तब बच्चों को दिक्कत होती है. उन्हें उनके हाल पर छोड़ दीजिए, उनके लिए टीवी का एक समय निर्धारित कर दीजिए. उन्हें खेलने के लिए प्रेरित करें. कई तरह के खेल होते हैं, जिनमें बच्चे खूब रुचि लेते हैं.

अभी के हालात को ध्यान में रखते हुए हमें तय करना है कि जीवन सबसे महत्वपूर्ण है. आज का इंसान जीवनशैली की चिंता में लगा रहता है, न कि जीवन की. जीवन की चिंता करें, जीवनशैली में बदलाव होता रहता है. यह दोबारा से बन जायेगी. बड़े शहरों के अंदर खर्च ज्यादा है. गांव और कस्बों के मुकाबले बड़े शहरों में बीमारियां ज्यादा हैं. गांव व छोटे शहरों में खर्च कम हैं, बीमारियां कम हैं.

बड़े शहरों में लोग एहतियात ज्यादा बरतते हैं, लोग डरे रहते हैं, वहां बीमारी का भी प्रकोप ज्यादा है. बड़े शहरों में चुनौतियां अधिक हैं. वहां इंसान को यह समझना है कि समय में बदलाव होता रहता है, कोई समय स्थायी नहीं रहता है. अभी संक्रमण से बचने के लिए हमें उपाय करना है. हमें बार-बार हाथ धोते रहना है, लोगों से दूरी बना कर रखना है. पूरे दिन के समय को काम के हिसाब से बांट लें.

सुबह-दोपहर-शाम के कामों की एक रूपरेखा बना लें, जिसमें आपकी खुशी और मौज-मस्ती के साधन भी हों. शहरों में पति-पत्नी साथ रहते है और वे एक-दूसरे के कामों पर नजर रखते हैं. कई बार वे एक-दूसरे की गलतियां निकालने लग जाते हैं. हमें अपने कम्युनिकेशन पर ध्यान देना है. हमें एक-दूसरे को समझने की जरूरत है.

अभी हमारे पास वैक्सीन के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. आप चाहे कोवैक्सीन लगवायें या कोविशील्ड. यह सच है कि बहुत सारे लोगों को वैक्सीन लगवाने के बाद दिक्कतें हो रही हैं, लेकिन वह इतनी अधिक नहीं हैं, जितनी दिक्कत वैक्सीन के बगैर हो रही हैं. लोगों से यही अपील है, लोग वैक्सीन लगवाएं. बीमारी को आने से नहीं रोकेगा, तो कम से कम यह बीमारी की ताकत को कम कर देगा.

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