इस कठिन दौर से भी जल्द उबरेंगे
मन खट्टा हो जाता है जब इस तरह की खबरें सामने आती हैं कि आपदा की इस घड़ी में ऑक्सीजन सिलिंडर गायब है और जीवनरक्षक रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही हैं. यह हम सबके लिये बेहद कठिन दौर है और सभ्य समाज से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा नहीं की जाती है.
हम सब के लिए यह कठिनतम दौर है. हम जिंदगी के ऐसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, जिसकी हमने कल्पना भी नहीं की थी. हालात बेहद चिंताजनक हैं. कुछ राज्यों में चिंता विशेष रूप से ज्यादा है, लेकिन कोई भी राज्य संतुष्ट होकर नहीं बैठ सकता है. वायरस बहुत सक्रिय है और इसने पूरे देश को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. जब हम सोच रहे थे कि हमने वायरस को नियंत्रित करने के तरीके ढूंढ लिए हैं, तो यह वापस आ गया है.
इस दौर में यदि आप किसी अस्पताल में जाएं, तो वहां की स्थिति आपको हिला देगी. अस्पतालों में बिस्तर, वेंटिलेटर और रेमडेसिविर जैसी जीवनरक्षक दवाओं की कमी है. भर्ती होने के लिए मरीजों की लंबी कतार है. हमारे डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी हर मरीज की जान बचाने की हरसंभव कोशिश करते नजर आ रहे हैं. यह सही है कि ऐसे हालात थोड़े समय तक ही रहने वाले हैं और जल्द इस पर काबू पा लिया जाएगा.
लेकिन मन खट्टा हो जाता है जब इस तरह की खबरें सामने आती हैं कि आपदा की इस घड़ी में ऑक्सीजन सिलिंडर गायब हैं और मुनाफा कमाने के लिए उसकी कीमत बढ़ा दी गयी है. इसी तरह कोरोना संक्रमण में रेमडेसिविर इंजेक्शन बहुत कारगर साबित हो रहा है. उसकी उपलब्धता पर संकट है और खबरें हैं कि इसकी कालाबाजारी हो रही हैं. यह हम सबके लिये बेहद कठिन दौर है और सभ्य समाज से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा नहीं की जाती है.
ऐसी उम्मीद थी कि संकट की इस घड़ी में हम कंधे से कंधा मिलाकर एक दूसरे के काम आयेंगे. इसमें दो राय नहीं है कि कोरोना जाएगा लेकिन जाते-जाते हमारे जीवन में अनेक घाव छोड़ जाएगा. हमारे अनेक करीबी जिंदगी के इस सफर में हमारे साथ नहीं होंगे. लेकिन चंद लोगों के इस व्यवहार ने स्पष्ट कर दिया है कि सभ्य व चेतन समाज रूप में हमारी यात्रा अभी अधूरी है.
कोरोना ने पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में भी तेजी से अपने पांव पसारे हैं. इस शनिवार को तो काले दिन के रूप में याद किया जाएगा. इस दिन भारत में कोरोना वायरस के एक दिन में सबसे अधिक मामले ढाई लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए. शनिवार को एक ही दिन में लगभग 1500 लोगों को हमने खो दिया. हालात की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई शहरों से श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा था.
इसके पहले देश में एक दिन में सबसे ज्यादा मौतें 15 सितंबर, 2020 को दर्ज की गयीं थीं. उस दिन 1284 लोगों को कोरोना के कारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. पिछली बार कोरोना मरीजों की संख्या किसी भी दिन दो लाख को पार नहीं कर पाई थी. इस बार कोरोना की रफ्तार और मारक क्षमता दोनों दोगुनी है.
जानी-मानी विज्ञान पत्रिका लांसेट जर्नल में प्रकाशित हुए एक अध्ययन में कहा गया है कि देश में जल्द ही देश में हर दिन औसतन 1750 मरीजों की मौत हो सकती है. यह संख्या बढ़कर जून के पहले सप्ताह में दो हजार से अधिक तक पहुंचने की आशंका है. रिपोर्ट के अनुसार इस बार कोरोना की मार देश के मझोले और छोटे शहरों पर अधिक है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरी लहर पहली लहर से ज्यादा खतरनाक है. इस दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि देश में टीकाकरण की रफ्तार तेज करने की जरूरत है और सभी वयस्क लोगों को जल्द से जल्द टीका लगाया जाना चाहिए.
रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन जैसे कड़े कदम नुकसानदायक साबित हो सकते हैं और इनसे बचा जाना चाहिए. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भी कोरोना के लगभग 80 प्रतिशत मामले 10 राज्यों से हैं जिनमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.
महाराष्ट्र में 15 दिनों के लिए सभी जिलों में लॉकडाउन है. छत्तीसगढ़ में 20 जिलों और मध्य प्रदेश में 15 जिलों में लॉकडाउन है. दिल्ली, चंडीगढ़, राजस्थान और ओडिशा में 10 जिलों के शहरी क्षेत्रों में वीकेंड कर्फ्यू है. उत्तर प्रदेश ने रविवार को राज्यव्यापी कर्फ्यू है. कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, जम्मू और कश्मीर और ओडिशा में रात का कर्फ्यू लगाया गया है.
राहत की बात जरूर है कि हमारे देश में लोग तेजी से स्वस्थ भी हो रहे हैं. कई अन्य देशों की तुलना में स्वस्थ होने की दर भारत में बेहतर है. लेकिन यह बात सभी को स्पष्ट होनी चाहिए कि यह लड़ाई लंबी चलनी है. इस मामले में जरा सी भी लापरवाही न केवल आपको बल्कि आपके परिवार और पूरे समाज को संकट में डाल सकती है.