इस माह से शुरू नये वित्त वर्ष में कई ऐसे बदलाव हुए हैं या होनेवाले हैं, जिनका प्रभाव आम जन के वित्तीय जीवन पर पड़ेगा. उदाहरण के लिए, भविष्य निधि में एक वित्त वर्ष में एक निश्चित जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज पर कर लगेगा. बजट प्रावधानों के अनुसार, 75 साल या उससे ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को आयकर के दायरे से मुक्त कर दिया गया है.
यह छूट उन बुजुर्ग नागरिकों को दी गयी है, जो पेंशन या फिर मियादी जमा से मिलनेवाले ब्याज रूपी आय से जीवनयापन करते हैं. एक वित्त वर्ष में भविष्य निधि खाते में 2.5 लाख रुपये तक के निवेश को आयकर से मुक्त किया गया है, लेकिन अधिक राशि जमा करने पर उस पर मिलनेवाले ब्याज पर कर लगेगा. हर माह दो लाख रुपये तक वेतन पानेवाले या आय अर्जित करने वाले कारोबारी निवेशकों को सरकार के इस नये प्रावधान से कोई नुकसान नहीं होगा.
केंद्र सरकार ने आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रवृति को बढ़ावा देने के लिए टीडीएस नियमों को सख्त कर दिया है. नये नियम के मुताबिक रिटर्न नहीं दाखिल करने पर दोगुना टीडीएस देना होगा. टीडीएस का मतलब स्रोत पर कटौती है. इसी तरह जिन लोगों ने रिटर्न दाखिल नहीं किया है, उन पर टैक्स टीसीएस ज्यादा लगेगा. टीएसएस का मतलब स्रोत पर कर संग्रह होता है.
नये नियमों के तहत एक जुलाई से दंड शुल्क के साथ टीडीएस और टीसीएल की दरें 10 से 20 प्रतिशत होंगी, जो आम तौर पर पांच से 10 प्रतिशत होती हैं. अब तक ज्यादा टीडीएस की दर केवल तब लागू होती थी, जब आयकर दाताओं ने अपना पैन नंबर आयकर विभाग में पंजीकृत नहीं कराया हो. सरकार को समझ में आ गया है कि कि गैर-पैन धारकों पर बढ़ायी गयी टीडीएस की दरों के कारण पैन कार्ड लेने के मामलों में इजाफा हुआ है. लेकिन, ज्यादा लोग अभी भी अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं.
कर्मचारियों की सहूलियत और रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए व्यक्तिगत आयकर दाता को अब प्री-फील्ड आइटीआर फॉर्म मुहैया कराया जायेगा. तय समय से पहले भविष्य निधि की निकासी, लॉटरी और घुड़दौड़ में जीत, एक करोड़ रुपये से ज्यादा की नकद निकासी और सिक्योरिटाइजेशन ट्रस्ट को कर वसूली की ऊंची दरों से छूट हासिल होगी. इसकी वजह यह है कि इन पर पहले से ही बेहद ऊंची दरें लागू हैं. डाकघर से पैसा निकालने और जमा करने पर अब शुल्क देना होगा. यह शुल्क निशुल्क लेन-देन सीमा के खत्म होने के बाद लिया जायेगा.
सरकार इस वित्त वर्ष में न्यू वेज कोड लागू कर सकती है, जिसका कामगारों के वित्तीय जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा. पहले यह बदलाव एक अप्रैल से लागू होने वाला था, लेकिन फिलहाल इसमें कुछ देरी हो सकती है. इसके लागू होने पर निजी कर्मचारियों का कुल वेतन का मूल वेतन कम से कम 50 प्रतिशत हो जायेगा और उसी के अनुसार उनके वेतन से भविष्य निधि के लिए कटौती होगी. अभी निजी कंपनियां सीटीसी का बहुत ही कम प्रतिशत मूल वेतन के रूप में अपने कर्मचारियों को देती हैं.
उन्हें वेतन का एक बड़ा हिस्सा भत्तों के रूप में दिया जाता है. मूल वेतन बढ़ने से निजी कर्मचारियों के भविष्य निधि और ग्रेच्युटी में योगदान बढ़ जायेगा, जिसका फायदा कर्मचारियों को सेवानिवृत होने पर मिलेगा. जिन कंपनियों में मूल वेतन समग्र वेतन का 40 प्रतिशत है, उनका कर्मचारियों के वेतन पर खर्च 3-4 प्रतिशत बढ़ने के आसार हैं. अगर किसी कंपनी के मूल वेतन पर खर्च 20 से 30 प्रतिशत है, तो उसका कर्मचारियों के वेतन पर खर्च 6-10 प्रतिशत तक बढ़ जायेगा.
इसके अलावा, कंपनियों को संविदा या स्थायी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी देनी होगी, चाहे वे पांच साल की नौकरी पूरी किये हैं या नहीं. नये कोड में कर्मचारी हर साल के अंत में लीव इनकैशमेंट का फायदा ले सकते हैं. नये श्रम कानून के मुताबिक अगर कोई कर्मचारी 15 मिनट भी ज्यादा काम करता है, तो उसे ओवरटाइम देना होगा.
पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने पेंशन फंड मैनेजर को अप्रैल से अपने ग्राहकों से अधिक शुल्क लेने की अनुमति दी है, जिससे आम लोगों पर कुछ ज्यादा वित्तीय भार पड़ेगा. हालांकि इस कदम से इस क्षेत्र में ज्यादा विदेशी निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा. गौरतलब है कि पेंशन नियामक ने 2020 में जारी प्रस्तावों के लिए एक उच्च शुल्क संरचना का प्रस्ताव किया था, जिसे सरकार ने अमली जामा पहना दिया है.
मौजूदा समय में जिनके खाते देना बैंक, विजया बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक, आंध्रा बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और इलाहाबाद बैंक में हैं, उनके पासबुक और चेकबुक में बदलाव किया गया है. इनके आइएफएससी और शाखा कोड में भी बदलाव किया गया है.
बैंकों के विलय के कारण ऐसा हुआ है. देना बैंक का विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय किया गया है. ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक के साथ विलय हुआ है, जबकि कॉर्पोरेशन बैंक और आंधा बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय किया गया है. नये वित्त वर्ष में सरकार ने आर्थिक क्षेत्र में अनेक बदलाव किये हैं, जिनका सीधा प्रभाव नौकरीपेशा, आम जन और बुजुर्गों पर पड़ा है. ये बदलाव लोगों के वित्तीय जीवन में बेहतरी लाने के लिए किये गये हैं.