देश में एक बार फिर कोरोना की लहर चल पड़ी है और इस बार यह काफी तेज है. स्थिति दिन प्रतिदिन चिंताजनक होती जा रही है, लेकिन लोग इसको लेकर गंभीर नहीं हैं और एहतियात नहीं बरत रहे हैं. हर दिन कोरोना मामलों का रिकॉर्ड टूट रहा है. देश में छह महीने बाद पहली एक दिन में कोरोना के 93 हजार से ज्यादा नये मामले सामने आये हैं. इससे होने वाली मौतों की संख्या भी 700 के पार चली गयी है.
इससे पहले, 16 सितंबर, 2020 को सबसे ज्यादा 97,860 मरीज मिले थे. इसके बाद यह संख्या कम होनी शुरू हो गयी थी. एक समय ऐसा आ गया था, जब देश में कोरोना संक्रमण की संख्या एकदम घट गयी थी. एक फरवरी को कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या गिर कर 8,635 हो गयी थी. एक दिन में कोरोना मामलों की यह सबसे कम संख्या थी. कोरोना के मामले में शीर्ष छह देशों में भारत ही एकमात्र ऐसा देश था, जो दूसरी लहर से बचा हुआ था, लेकिन प्रतिबंधों में ढील दिये जाने को लोगों ने मान लिया कि कोरोना चला गया और लोग लापरवाह हो गये, जबकि देश में टीकाकरण अभी प्रारंभिक चरण में है.
अब हर दिन बड़ी संख्या में नये मामले सामने आ रहे हैं. पिछले कुछ दिनों के आंकड़ों के अनुसार देश में अब तक करीब 1.24 करोड़ लोग इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं. यह सही है कि लगभग 1.16 करोड़ स्वस्थ भी हो चुके हैं. लेकिन यह जान लीजिए कि कोरोना में 1.64 लाख लोगों ने जान भी गंवाई है. कोरोना के मामलों में महाराष्ट्र सबसे आगे है. महाराष्ट्र में एक दिन में 50 हजार से थोड़े कम कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं.
यह दुनियाभर के लिए कठिनतम दौर है. इस दौरान थोड़ी-सी भी लापरवाही हम सब पर भारी पड़ सकती है. देश की कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख डॉक्टर वीके पॉल का कहना है कि स्थिति चिंताजनक है. कुछ राज्यों में चिंता विशेष रूप से ज्यादा है, लेकिन कोई भी राज्य संतुष्ट होकर नहीं बैठ सकता है. वायरस अब भी बहुत सक्रिय है. जब हम सोच रहे थे कि हमने वायरस को नियंत्रित करने के तरीके ढूंढ लिये हैं, तो यह वापस आ गया है.
महाराष्ट्र से जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उनके अनुसार 30 से 40 साल की उम्र वाले लोग सबसे ज्यादा कोरोना से संक्रमित हुए हैं. डॉक्टर इसका कारण इस उम्र के लोगों का घर से ज्यादा बाहर निकालना मानते हैं. इसके पहले तक बच्चे कोरोना से मुक्त थे, लेकिन गुजरात से चिंताजनक खबर आयी है कि कुछ नवजात शिशुओं में भी कोरोना संक्रमण पाया गया है. इससे बचाव के जो तरीके हमारे आपके हाथ में हैं, लोग उनका भी पालन करते नजर नहीं आ रहे हैं.
कोरोना से बचने के चार उपाय हैं- वैक्सीन लगवाएं, दूरी बनाए रखें, हाथ लगातार धोएं और मास्क अवश्य पहनें. इससे बचने का सबसे बड़ा हथियार है वैक्सीन. आप भाग्यशाली हैं कि आपके देश में आसानी से वैक्सीन उपलब्ध है. दुनिया के 100 से अधिक देश ऐसे हैं, जहां अब तक वैक्सीन नहीं पहुंची है और इन देशों में वैक्सीन कब पहुंचेगी, इसका भी पता नहीं है. इसलिए अगर आप 45 पार के हैं, तो तत्काल वैक्सीन लगवाएं. यह कोरोना से बचाव का सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपाय है.
इस मामले में कोई भी किंतु-परंतु स्वीकार्य नहीं है. यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम स्वत: जाकर वैक्सीन लगवाएं. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, शनिवार को 13 लाख लोगों ने वैक्सीन लगवायी थी. देश में अब तक कुल 7.44 करोड़ वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. यह सही है कि कोरोना के टीके को सब तक पहुंचने में अभी देर है, लेकिन जो उपाय हमारे हाथ में हैं, लोग उनका भी पालन करते नजर नहीं आ रहे हैं.
मेहरबानी करके मास्क जरूर पहनें. यह कोरोना संक्रमण की रोकथाम का सबसे अहम उपाय है. विशेषज्ञों की राय है कि हम सबको मास्क को अब जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लेना होगा. कोरोना के संक्रमण से अपने आपको और दूसरों को संक्रमण से बचाने के लिए मास्क पहनना बेहद जरूरी हो गया है. एक अध्ययन के अनुसार मास्क पहनने से कोरोना संक्रमण के खतरे को 85 फीसदी तक कम किया जा सकता है.
अपने देश में ज्यों ही लॉकडाउन में छूट दी गयी, वैसे ही लोगों ने जैसे मान लिया है कि कोरोना अब समाप्त हो गया है. बाजारों में भीड़ जमा होने लगी, लोग समारोहों में शामिल होने लगे और लापरवाह नजर आने लगे, जबकि यह समय सबसे अधिक सावधानी बरतने का है. शहरों के चौराहों पर जाम देखने को मिल रहा है. लोग आपस में एक-दूसरे से दूरी का पालन नहीं कर रहे हैं. यह पूरे देश की कहानी है. और लोगों ने तो मास्क को उतार कर फेंक दिया है.
मेहरबानी करके मास्क जरूर पहनें. यह कोरोना संक्रमण की रोकथाम का सबसे अहम अस्त्र है. इस मामले में लापरवाही न केवल आपके परिवार, बल्कि पूरे समाज को संकट में डाल सकती है. इसी लापरवाही का नतीजा है कि एक बार फिर से लॉकडाउन की चर्चा शुरु हो गयी है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि अगर मौजूदा स्थिति बनी रही, तो लॉकडाउन से इनकार नहीं किया जा सकता है. मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर ने संकेत दिये हैं कि शहर में मंदिर और मॉल फिर से बंद हो सकते हैं.
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए महाराष्ट्र में पहली से 8वीं क्लास तक की परीक्षाएं निरस्त कर दी गयी हैं. सभी छात्रों को बिना परीक्षा के पास किया जायेगा. अगले आदेश तक सभी स्कूल बंद रहेंगे. बिहार सरकार ने भी सभी स्कूल-कॉलेजों को 11 अप्रैल तक बंद रखने का फैसला किया है. साथ ही सार्वजनिक आयोजनों पर कुछ दिनों के लिए रोक लगा दी गयी है.
श्राद्ध और विवाह कार्यक्रम में सीमित संख्या में लोगों को शामिल करने की इजाजत दी गयी है. कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए बसों में क्षमता से आधी सवारियों को बैठाने का आदेश दिया गया है. ओड़िशा का जगन्नाथ मंदिर भी हर रविवार को बंद रखा जायेगा. इस दौरान भक्त दर्शन नहीं कर पायेंगे. झारखंड में भी विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकिनाथ मंदिर में एक बार फिर स्पर्श पूजन पर रोक लगा दी गयी है. वहां फिर से केवल ‘अरघा’ के माध्यम से ही एक दिन में अधिकतम एक हजार श्रद्धालु ही बाबा बासुकिनाथ पर जल अर्पित कर पा रहे हैं.
इनमें भी पांच साल से कम और साठ साल से अधिक व्यक्ति को इसकी इजाजत नहीं है. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. एक बात साफ है कि हमारी लापरवाही हमी पर भारी पड़ती नजर आ रही है. एक राहत की बात जरूर है कि हमारे देश में लोग तेजी से स्वस्थ भी हो रहे हैं. कई अन्य देशों की तुलना में स्वस्थ होने की दर भारत में बेहतर है. साथ ही कोरोना वायरस से होने वाली मौतों की संख्या भारत में विश्व की तुलना में काफी कम है. यह बात सबको स्पष्ट होनी चाहिए कि यह लड़ाई लंबी चलनी है. इस मामले में जरा-सी भी लापरवाही हम सब को संकट में डाल सकती है.