गंगा-पद्मा मैत्रीबंधन होगा सशक्त
यह दौरा 26 और 27 मार्च को होगा. दोनों देशों के बीच यह विश्वसनीय, अद्वितीय और अपरिहार्य साझेदारी बंगाल की खाड़ी क्षेत्र और भारत के पूर्वी पड़ोस में प्रगति, समृद्धि और स्थिरता की महत्वपूर्ण कुंजी है.
डॉ राजीव रंजन चतुर्वेदी
वरिष्ठ एसोसिएट अध्येता,
एशियन कंफ्लुएंस,
किंगशुक साहा (शोधकर्ता)
भारत और बांग्लादेश की पचास साल की मित्रता द्विपक्षीय संबंधों का एक आदर्श उदाहरण बन चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस अनूठी मैत्री के पांच दशक पूरा होने और ‘मुजीब बोरशो’ (बांग्लादेश के संस्थापक बंग बंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्मशताब्दी) के उपलक्ष्य में आयोजित विशेष कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए दो दिवसीय यात्रा पर बांग्लादेश जायेंगे.
यह दौरा 26 और 27 मार्च को होगा. दोनों देशों के बीच यह विश्वसनीय, अद्वितीय और अपरिहार्य साझेदारी बंगाल की खाड़ी क्षेत्र और भारत के पूर्वी पड़ोस में प्रगति, समृद्धि और स्थिरता की महत्वपूर्ण कुंजी है.
भारत और बांग्लादेश सभ्यतागत और सांस्कृतिक संबंधों को साझा करते हैं. बांग्लादेश के राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ और भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के रचनाकार गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को दोनों देशों में एकसामान रूप से आदर और सम्मान दिया जाता है. बांग्लादेश के कुश्तिया जिले (जो अब शिलादाहा में है) में अपनी पारिवारिक संपत्ति की देखभाल करते हुए कविगुरु टैगोर की मुलाकात गगन हरकारा और लालन फकीर से हुई थी, जिन्होंने उन्हें बहुत प्रभावित किया था.
दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सम्मिश्रण और संयोजन की इस विरासत ने चलचित्रों, संगीत और खान-पान के परिदृश्य को न केवल समृद्ध किया है, अपितु एक जीवंत आदान-प्रदान की निरंतर प्रक्रिया भी स्थापित की है. बांग्लादेश में भारतीय फिल्मों और टीवी धारावाहिकों की बड़ी लोकप्रियता है. साथ ही, बांग्लादेश के कलाकार भारतीय फिल्मों में भी काम करते रहे हैं.
उदाहरण के लिए, जया अहसन ने समीक्षकों द्वारा प्रशंसित ‘विसर्जन’ और ‘एक जे छिलो राज’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया है. बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली हिलसा या ईलिश बंगाली लोगों में सबसे लोकप्रिय है. भारत में खाने-पीने के शौकीन मॉनसून का बेसब्री से इंतजार करते हैं, जब पद्मा नदी की हिलसा से उनकी रसोई के पकवानों में चार चांद लग जाता है. इसके बरक्स बांग्लादेश में तंदूरी चिकेन और मसाला डोसा भी समान रूप से लोकप्रिय हैं और लोगों को खूब भाते हैं.
दोनों देश रेल, सड़क और हवाई मार्ग से जुड़े हुए हैं. साल 2008 में कोलकाता और ढाका के बीच रेलवे संपर्क को 43 साल के अंतराल के बाद मैत्री एक्सप्रेस के साथ पुनर्जीवित किया गया था. वर्तमान में दोनों देश पेट्रापोल (भारत) और बेनापोल (बांग्लादेश), सिंघाबाद (भारत) और रोहनपुर (बांग्लादेश), गेदे (भारत) और दर्शन (बांग्लादेश) के बीच यातायात प्रारंभ करने के लिए 1965 से पूर्व की स्थिति बहाल करने का प्रयास कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 55 साल के बाद हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी रेल संपर्क को पुनर्जीवित किया है. दोनों देशों के बीच ‘एयर बबल’ (हवाई गलियारा) समझौते के माध्यम से वायुमार्ग खोलना उन लोगों के लिए राहत भरा होगा, जो भारत में उपचार के लिए आते हैं. त्रिपुरा में सबरूम जिले को बांग्लादेश के रामगढ़ से जोड़नेवाली फेनी नदी पर ‘मैत्री सेतु’ का उद्घाटन न केवल भारत की पड़ोस की प्राथमिकता को रेखांकित करता है, बल्कि यह चटगांव बंदरगाह के साथ भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी प्रदान करता है.
व्यापार और वाणिज्य के लिए दोनों देशों के लिए यह एक सुखद स्थिति है. पिछले एक दशक में द्विपक्षीय व्यापार लगातार बढ़ा है. इससे बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है. इस क्षेत्र में विस्तार की असीम संभावनाएं हैं. आज जब बांग्लादेश अपनी स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती और पड़ोसी मित्र भारत के साथ राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ मना रहा है, तो बीते पांच दशकों में हुए बदलाव को भी रेखांकित किया जाना चाहिए.
पाकिस्तान से बांग्लादेश की मुक्ति के समय, जब बांग्लादेश नरसंहार, प्राकृतिक आपदा और भुखमरी से त्रस्त था, तब तत्कालीन अमेरिकी विदेश सचिव हेनरी किसिंजर ने देश के भविष्य को लेकर हताशापूर्ण टिप्पणी की थी. लेकिन आज भारत की तरह बांग्लादेश भी गर्व के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. दोनों देशों के मध्य व्यापार-वाणिज्य की अपार संभावनाओं का अभी भी दोहन करने की आवश्यकता है. वर्तमान में बांग्लादेश के साथ व्यापार भारत के व्यापार का सिर्फ एक प्रतिशत और बांग्लादेश के व्यापार का मात्र 10 प्रतिशत है.
यातायात, परिवहन और अनेक सुधारों के जरिये बेहतर माहौल बनाने के प्रयासों से संबंधों को उत्तरोत्तर गति मिली है और ये प्रयास नये-नये अवसर पैदा कर रहे हैं. समझौतों और परियोजनाओं के समय पर कार्यान्वयन से दोनों अर्थव्यवस्थाओं को निश्चित ही काफी बढ़ावा मिलेगा.
प्रकृति का अंधाधुंध विनाश हमारे समय की प्रमुख चुनौती है. भारत और बांग्लादेश दुनिया के सबसे बड़े सदाबहार वन ‘सुंदरवन’ का घर हैं. यह अनन्य और दुर्लभ वनस्पतियों और जीवों का आश्रय है तथा लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करता है. इतना ही नहीं, सुंदरवन दोनों देशों के तटीय इलाकों में भयावह चक्रवातों के खिलाफ एक प्राकृतिक कवच के रूप में कार्य करता है और जान-माल की हिफाजत करता है.
वनों की कटाई और तस्करों से सुंदरवन की रक्षा के लिए दोनों सरकारों के बीच एक व्यापक नीति विकसित करना समय की जरूरत है. सुंदरवन के दुर्गम इलाके और पारगम्य सीमा ने तस्करों और आतंकवादियों को इसके माध्यम से मानव, हथियार और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए आकर्षित किया है. दोनों देशों में खुफिया और कानून प्रवर्तन संस्थाओं को इस खतरे को रोकने के लिए बेहतर समन्वय और खुफिया जानकारी साझा करने की दिशा में चल रहे प्रयासों को और मजबूत करने की जरूरत है.
यह एक शानदार पहलू है कि भारत और बांग्लादेश के बीच 54 नदियां बहती हैं. पारवर्ती नदियों में जल का बंटवारा और प्रदूषण ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें जल्द और सौहार्दपूर्वक हल करने की आवश्यकता है. कुछ विषमताओं के बावजूद, सक्रिय आर्थिक और सुरक्षा सहयोग दोनों देशों के पारस्परिक हित में हैं. दोनों सरकारों को इस मंत्र को अंगीकार करना चाहिए और इसे लागू करने की दिशा में सतत प्रयत्नशील रहना चाहिए. आशा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी यात्रा गंगा-पद्मा मैत्री बंधन को सशक्त करने के साथ ही परस्पर संबंधों के नये आयामों को नयी दिशा देने का कार्य करेगी.