19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

क्षेत्रीय आतंक पर पहल

चीन और पाकिस्तान की मंशा पर भारत, एससीओ के सदस्य देशों समेत दुनिया के लिए भरोसा कर पाना आसान नहीं है.

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों द्वारा आतंकवाद के विरुद्ध साझा अभ्यास करने का निर्णय एक महत्वपूर्ण पहल है. इस समूह में भारत, चीन, रूस और पाकिस्तान के अलावा कजाखिस्तान, किर्गीस्तान, ताजिकिस्तान एवं उज्बेकिस्तान शामिल हैं. भारत और पाकिस्तान को 2017 में एससीओ की पूर्ण सदस्यता मिली थी. इन वर्षों में सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग, विशेषकर आतंकवाद पर, बढ़ाने की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास हुए हैं तथा एक अलग आतंकवाद विरोधी परिषद का गठन किया गया है.

ये सभी देश किसी-न-किसी स्तर पर आतंक से प्रभावित हैं. इन देशों के साथ कई विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण व मध्य एशिया में शांति और स्थिरता में यह समूह व्यापक योगदान दे सकता है. इसी आशा और अपेक्षा के कारण आतंकवाद पर चीन और पाकिस्तान के दोहरे मानदंडों तथा आपत्तिजनक रवैये के बावजूद भारत ने एससीओ के प्रति सकारात्मक रूख अपनाया है.

पिछले दिनों हुई बैठक में आगामी सालों में आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद के प्रतिकार की कार्य योजना के प्रारूप को मंजूर किया जाना भी सराहनीय है. हालांकि एससीओ के अनेक सदस्य देश अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में योगदान देने के साथ देश के नव-निर्माण एवं विकास के कार्यक्रमों में सहयोग दे रहे हैं, लेकिन सामूहिक रूप से एससीओ इस संदर्भ में अधिक कारगर हो सकता है. उल्लेखनीय है कि यह समूह 2009 से ही अफगानिस्तान में आतंक के अलावा अपराध और नशे के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए प्रयासरत है.

अब जब शांति समझौते पर सहमति के आसार हैं, इन देशों को अपनी सक्रियता को विस्तार देना चाहिए. सभी सदस्य देश अफगानिस्तान के पड़ोसी भी हैं. इस संबंध में यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि भारत और अफगानिस्तान में आतंक को बढ़ावा देने और आतंकी गिरोहों को संरक्षण देने में पाकिस्तान की बड़ी भूमिका रही है. भले ही पाकिस्तान आतंक के विरुद्ध जारी वैश्विक लड़ाई में शामिल होने का दावा करता हो, लेकिन सच यही है कि उसकी सरकार और सेना के शीर्ष स्तर से आतंकवाद, अलगाववाद एर चरमपंथ को शह और समर्थन मिलता है.

भारत के विरोध तथा पाकिस्तान में अपने आर्थिक हितों की वजह से चीन ने हमेशा पाकिस्तान का साथ दिया है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी करार देने की कोशिशों में चीन लंबे समय तक अवरोध बना रहा था. आतंकी गिरोहों और सरगनाओं को धन और पनाह देने के लिए पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार फटकार मिलती रही है. ऐसे में चीन और पाकिस्तान की मंशा पर भारत व अन्य सदस्य देशों समेत दुनिया के लिए भरोसा कर पाना आसान नहीं है.

फिलहाल पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव घटने के आसार हैं तथा चीन भी अपनी आक्रामकता पर लगाम लगाने के संकेत दे रहा है. चीन और पाकिस्तान ईमानदारी के साथ आतंकवाद पर काबू पाना चाहते हैं या फिर एससीओ भी नाउम्मीदी का शिकार होगा, यह आनेवाला समय बतायेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें