सौर ऊर्जा में प्रगति

स्वच्छ ऊर्जा की वर्तमान क्षमता 90 गीगावाट है. अगले साल तक इसके 175 गीगावाट होने की आशा है. हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि 2040 तक देश में ऊर्जा की मांग तिगुनी हो जायेगी.

By संपादकीय | March 12, 2021 2:27 PM
an image

जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारक प्रदूषणकारी जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से सरकार बीते कुछ सालों से देश में सौर ऊर्जा के अधिकाधिक उत्पादन पर जोर दे रही है. इस कड़ी में अब तक के सबसे बड़े तैरते सौर ऊर्जा संयंत्र को मई में देश को समर्पित करने की तैयारी हो रही है. तेलंगाना में 450 एकड़ क्षेत्र में फैले जलाशय में बन रहे इस संयंत्र से 217 मेगावाट बिजली पैदा होगी. ऐसी अन्य परियोजनाओं पर भी काम चल रहा है.

सौर ऊर्जा के उत्पादन को वैश्विक अभियान में बदलने की कोशिश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किये गये अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में कई देश शामिल हो चुके हैं. कुछ दिन पहले स्वच्छ ऊर्जा के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौती को देखते हुए भारत ने यह पहल की है. धरती के बढ़ते तापमान के कारण बाढ़, तूफान और सूखे जैसी आपदाएं अब अधिक घटित होने लगी हैं.

ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्री जल स्तर में बढ़ोतरी हो रही है. जंगली आग की समस्या भी उत्तरोत्तर गहन होती जा रही है. इन परेशानियों से कई अन्य देशों के साथ भारत भी प्रभावित हो रहा है. वायु, जल और भूमि प्रदूषण की चुनौती भी हमारे सामने हैं. दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में अधिकतर उत्तर भारत में हैं. इनसे स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर के साथ अर्थव्यवस्था को भी नुकसान हो रहा है. भले ही ये समस्याएं वैश्विक हैं और इनके समाधान के लिए साझा प्रयासों की जरूरत है,

लेकिन भारत ने आगे बढ़कर स्वच्छ ऊर्जा के स्रोतों को विकसित करने का संकल्प लिया है. अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के साथ भारत 2015 के पेरिस जलवायु समझौते के संकल्पों को पूरा करने में भी अग्रणी भूमिका में है. सौर परियोजनाओं के लिए साजो-सामान बनानेवाली देसी कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार अगले साल अप्रैल से विदेशी वस्तुओं के आयात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाने जा रही है. बड़े और मझोले ऊर्जा संयंत्रों को स्थापित करने के साथ घरों और कार्यालयों में सौर पैनलों के इस्तेमाल को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करने की जरूरत है.

इस दिशा में कई विभागों, विश्वविद्यालयों और कंपनियों द्वारा किये जा रहे प्रयास सराहनीय हैं. बीता साल महामारी और लॉकडाउन की वजह से संकटग्रस्त रहा, लेकिन वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में विकास का जारी रहना उल्लेखनीय है. इसके मुख्य कारण सौर शुल्कों का बहुत कम होना और स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं की सुगम नीलामी हैं. हालांकि 2005 के स्तर से उत्सर्जन में 21 प्रतिशत की कमी आयी है, स्वच्छ ऊर्जा की वर्तमान क्षमता 90 गीगावाट है और अगले साल तक इसके 175 गीगावाट होने की आशा है. हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि 2040 तक देश में ऊर्जा की मांग तिगुनी हो जायेगी. इसलिए संयंत्रों को लगाने की प्रक्रिया में तेजी की जरूरत है.

Posted By : Sameer Oraon

Exit mobile version