11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

वंचित छात्रों को राहत

वंचित छात्रों को राहत

अनुसूचित जाति के चार करोड़ से अधिक छात्रों के लिए मैट्रिक के बाद की शिक्षा के लिए केंद्र सरकार ने छात्रवृत्ति की राशि में बड़ी बढ़ोतरी की है. मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित इस योजना के तहत लगभग 59 हजार करोड़ रुपये छात्रों को दिये जायेंगे ताकि वे उच्च शिक्षा हासिल कर सकें. इसमें 60 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा आवंटित होगा और शेष राशि राज्य सरकारें देंगी.

वर्ष 2017-18 और 2019-20 के बीच सालाना केंद्रीय सहायता करीब 11 सौ करोड़ रुपये रही थी, जिसमें 2020-21 और 2025-26 के बीच पांच गुना से अधिक बढ़ाया जायेगा. इस योजना को अधिक-से-अधिक छात्रों तक पहुंचाने और उन्हें नामांकन के लिए उत्साहित करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाने का भी निर्णय हुआ है.

यह एक आवश्यक पहल है क्योंकि जागरूकता और जानकारी के अभाव में कई लोग कल्याण योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं. सरकार का आकलन है कि 1.36 करोड़ ऐसे बेहद गरीब छात्र हैं, जो आर्थिक कारणों से दसवीं कक्षा से आगे की पढ़ाई नहीं कर रहे हैं. उम्मीद है कि ये छात्र इस योजना की सहायता से फिर शिक्षा से जुड़ सकेंगे. छात्रों तक छात्रवृत्ति पहुंचे और योजना का कार्यान्यवयन पारदर्शिता से हो, इसके लिए धन सीधे खाते में हस्तांतरित किया जायेगा.

इससे छात्र एवं उनके अभिभावक बेवजह भाग-दौड़ करने से भी बच सकेंगे. इस वर्ष मार्च में एक संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य को रेखांकित किया था कि माध्यमिक स्तर पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के पांच छात्रों में एक से अधिक छात्र पढ़ाई छोड़ देता है. वंचित समुदाय के गरीब छात्रों के स्कूल छूटते जाने का सिलसिला निचली कक्षाओं से ही शुरू हो जाता है और उच्च शिक्षा के विभिन्न चरणों तक जारी रहता है. इस छात्रवृत्ति के साथ अन्य कल्याणकारी योजनाओं से इस समस्या के धीरे-धीरे समाधान की आशा है.

नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विभिन्न वंचित वर्गों का एक समेकित सामाजिक-आर्थिक वंचित समूह बनाने का प्रावधान है, जिसमें इन वर्गों की आवश्यकता के अनुरूप विशेष शिक्षा क्षेत्र और अन्य समावेशी नीतियां बनाने का संकल्प है. इस प्रक्रिया में छात्रवृत्ति बढ़ाना बहुत उपयोगी हो सकता है. माता-पिता बच्चे की शिक्षा के दबाव से मुक्त होकर अपनी मामूली आमदनी को परिवार पर व्यय कर सकेंगे. इससे गरीब परिवारों के जीवन स्तर पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

नयी शिक्षा नीति में आरक्षण और संबंधित व्यवस्थाओं को ठीक से लागू करने पर भी जोर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि बीते कुछ सालों से अनुसूचित जाति, जनजाति और पूर्वोत्तर के छात्रों– की शिक्षा में बेहतरी के लिए बजट आवंटन लगातार बढ़ता रहा है. लेकिन, जैसा कि संसदीय समिति ने कहा है, अभी भी वंचित समूहों की बेहतरी के लिए आवंटन बढ़ाने की जरूरत है. शिक्षा छोड़ने को विवश छात्रों को रोकने के लिए यही उपाय है. शिक्षित जनसंख्या ही विकसित और समृद्ध भारत कि आधार हो सकती है.

Posted by : Sameer Oraon

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें