दुर्घटनाओं की रोकथाम
हमारे देश में 85 फीसदी यात्री सड़क से यात्रा करते हैं और 65 फीसदी माल की ढुलाई भी इसी के जरिये होती है. ऐसे में हादसों से आर्थिकी भी प्रभावित होती है.
हमारे देश में 2019 में लगभग 4.81 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें 1.51 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई थी. मौतों की रोजाना औसत 415 है. ऐसे हादसों से भारत में सबसे सबसे अधिक मौतें होती हैं. इसके बाद चीन और अमेरिका का स्थान है, किंतु हताहतों की संख्या के मामले में उन देशों की स्थिति बेहतर है. यातायात को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से सरकारों द्वारा अनेक प्रयास किये हैं.
हालांकि अपेक्षित परिणामों में अभी देरी है, लेकिन चार सालों में सड़क हादसों में होनेवाली मौतों की संख्या में करीब 54 फीसदी की कमी कर तमिलनाडु ने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है. बीते साल लॉकडाउन और अन्य पाबंदियों की वजह से दुर्घटनाओं में बड़ी कमी आयी है, किंतु तमिलनाडु में यह बेहतरी लगातार दर्ज की जा रही है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रेखांकित किया है कि सड़कों पर लोगों के जीवन की रक्षा सुनिश्चित करने के काम को तेज करने की जरूरत है. उन्होंने उम्मीद जतायी है कि 2050 तक दुर्घटनाओं और उनसे होनेवाली मौतों को 50 फीसदी कम कर दिया जायेगा.
दुर्घटनाओं के कारणों की सटीक पहचान करने, घायलों को अस्पताल ले जाने के लिए 13 मिनट के भीतर घटनास्थल पर एंबुलेंस पहुंचाने, दुर्घटना की जगह की समुचित मरम्मत करने तथा विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय बनाने के तमिलनाडु मॉडल को देशभर में अपनाने की जरूरत है. केंद्रीय सड़क यातायात मंत्रालय और विश्व बैंक द्वारा इन तौर-तरीकों के प्रचार-प्रसार का निर्णय स्वागतयोग्य है. यदि सही समय पर घायलों को उपचार मिल जाये, तो कई जिंदगियों को बचाया जा सकता है.
कई जगहें ऐसी होती हैं, जहां सड़क निर्माण के मानकों का ठीक से पालन नहीं किया जाता है और इंजीनियरिंग के कायदों को नजरअंदाज किया जाता है. उन जगहों पर दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है. तमिलनाडु में विभिन्न पहलुओं पर ध्यान दिया गया है, तभी मौतों में कमी आयी है. गडकरी ने ठीक ही कहा है कि यदि हम 2030 की प्रतीक्षा करेंगे, तो कम-से-कम छह-सात लाख लोगों की जानें जा सकती हैं. अगर तमिलनाडु यह उपलब्धि चार सालों में हासिल कर सकता है, तो अन्य राज्य भी दुर्घटनाओं व मौतों में कमी कर सकते हैं.
केंद्र सरकार वैसी जगहों की पहचान करने के लिए 14 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी, जहां हादसों की आशंका होती है. हाल में लागू संशोधित वाहन कानून का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य हादसों की रोकथाम है. यातायात नियमों के उल्लंघन को रोकने के लिए कठोर दंड का प्रावधान एक जरूरी कदम है. हमारे देश में 85 फीसदी यात्री सड़क से यात्रा करते हैं और 65 फीसदी माल की ढुलाई भी इसी के जरिये होती है. ऐसे में हादसों से आर्थिकी भी प्रभावित होती है. सड़क सुरक्षा के लिए जागरूकता का प्रसार भी जरूरी है. सरकार व प्रशासन के साथ यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह यातायात को सुरक्षित बनाने में योगदान करे.
Posted By : Sameer Oraon