सतर्कता बनी रहे
सतर्कता बनी रहे
समूचे देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से गिरावट आ रही है तथा मृत्यु दर भी घट रही है. लेकिन ब्रिटेन से कोरोना वायरस के नये रूप के भारत पहुंचने से चिंता भी बढ़ी है. कई यात्रियों द्वारा गलत सूचनाएं देने की वजह से उनका पता लगाने में मुश्किल आ रही है. संक्रमण को पूरी तरह काबू में लाने के इरादे से सरकार ने नवंबर में जारी निर्देशों के पालन की अवधि को अगले साल जनवरी तक बढ़ा दिया है.
सावधानी के साथ मास्क पहनने, दूरी बरतने और सैनिटाइजर इस्तेमाल करने के साथ संक्रमण प्रभावित इलाकों को ठीक से चिन्हित करने से संबंधित नियम पहले की तरह जारी रहेंगे. ऐसा करना इसलिए जरूरी है कि अभी भी संक्रमण के नये मामले आ रहे हैं और व्यापक स्तर पर टीकाकरण में बहुत समय लगेगा. विशेषज्ञों की मानें, तो वायरस के नये रूप भले ही तेजी से फैल रहे हैं, पर वे उतने खतरनाक नहीं हैं और टीका का असर उन पर भी होगा, किंतु भारत समेत विभिन्न देशों में इस बारे में अभी अनुसंधान चल रहे हैं.
नये वायरसों के बारे में कुछ समय के बाद ही निश्चित जानकारी मिल सकेगी. अमेरिका और ब्रिटेन समेत कुछ यूरोपीय देशों में संक्रमण एक बार फिर तेजी से फैल रहा है. इसलिए किसी भी तरह की लापरवाही या चूक भारी पड़ सकती है. ठंड के मौसम में पहले से बीमार लोगों और बुजुर्गों के लिए वायरस बहुत खतरनाक हो सकता है. सरकार आगामी महीनों में बड़े पैमाने पर टीकाकरण के लिए देशव्यापी अभियान चलाने की योजना बना रही है.
इस संबंध में तैयारियों का जायजा लेने के लिए चार राज्यों में दो-दिवसीय अभियान भी चलाया गया है. उल्लेखनीय है कि टीके को पहुंचाने, रखने और लोगों को देने के लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता है. अब तक कोरोना को नियंत्रित करने में जो सफलता मिली है, वह चिकित्सकों और अन्य कर्मियों की मेहनत का परिणाम है. इसमें लोगों की सतर्कता और जागरुकता का भी बड़ा योगदान रहा है.
लॉकडाउन और बाद के कुछ महीनों में पाबंदियों की वजह से निर्देशों का पालन अपेक्षाकृत ठीक से हो रहा था, किंतु कामकाजी गतिविधियां शुरू होने तथा यातायात बहाल होने के बाद लापरवाह आचरण के मामले भी खूब सामने आये हैं. इसी वजह से कई राज्यों में शासन को निर्देशों के उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाने और हिरासत में लेने जैसी कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
ऐसी आशंका है कि संक्रमण के मामलों की संख्या कम होने से लोगों में एक निश्चिंतता का भाव आ सकता है. अमेरिका और यूरोप में जो संक्रमण की नयी लहर आयी है, उसकी बड़ी वजह यही है. त्योहारों के दौरान भीड़ करने और अधिक संख्या में जमा होने जैसी हरकतों से हमारे यहां भी संक्रमण बढ़े थे. इसलिए ‘जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं’ के सूत्र का पालन पूरी तरह किया जाना चाहिए.
Posted by : Sameer Oraon