टीका आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है. टीकाकरण के कारण छोटी उम्र में होनेवाली बीमारियों एवं मृत्युदर में काफी कमी आयी है. कोरोना महामारी हमें बीमारियों से उत्पन्न उस भयावह स्थिति की याद दिलाती है, जिसे हम रोक नहीं सकते. लेकिन यह भी सच है कि कोविड टीका के कारण ही इस महामारी को समाप्त करने और जीवन के पुनर्निर्माण का एक तरीका अब हमारे पास उपलब्ध है. कोरोना महामारी आने के बाद से सरकार ने संसाधनों का उपयोग आपातस्थिति से निपटने के लिए किया है, ताकि सभी के पास मास्क, सेनेटाइजर, साबुन और टीके की सेवा उपलब्ध हो.
हालांकि, सारे संसाधनों का रुख एक तरफ होने के कारण निवारणीय रोगों से बच्चों को बचानेवाला नियमित टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावित हुआ है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, एक वर्ष से कम उम्र के लगभग 80 करोड़ बच्चे ऐसी बीमारियों से जूझ रहे हैं, जिससे उनका बचाव किया जा सकता है. हमारा राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम 26 करोड़ से अधिक बच्चों एवं 29 करोड़ गर्भवती महिलाओं को कवर करता है. भारत ने 2014 में सामुदायिक जागरूकता, डोर-टू-डोर अभियानों एवं निगरानी कार्यक्रमों के माध्यम से 90 प्रतिशत बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया था.
टीकाकरण कार्यक्रम में बाधा बच्चों, अजन्मे बच्चों एवं गर्भवती माताओं के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अनुसार केवल मार्च, 2020 में ही एक लाख बच्चों को बीसीजी का डोज नहीं मिल पाया. लगभग दो लाख बच्चों को पैंटावैलेंट (डिप्थीरिया, टेटनस, काली खांसी, हेपेटाइटिस-बी और हिमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी) टीके की खुराक नहीं मिल पाय.
झारखंड सरकार और यूनिसेफ ने कोरोना महामारी के नियंत्रण तथा नियमित टीकाकरण बहाली हेतु कई उपाय किये हैं, जैसे कि सभी सेवा प्रदाताओं को प्रशिक्षित किया गया है कि कैसे वे कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए जरूरतमंदों को सहायता एवं सहयोग दे सकते हैं. इसी प्रकार, स्वास्थ्यकर्मियों को मनोसामाजिक परामर्श प्रदान किया गया है. राज्य सरकार द्वारा देश के अलग-अलग हिस्सों से लौट रहे प्रवासी श्रमिकों के बच्चों के लिए एक विशेष टीकाकरण अभियान भी शुरू किया गया. राज्य के 11 जिलों में, जहां आंशिक या संयुक्त रूप से बड़े पैमाने पर टीकाकरण सेवा उपलब्ध नहीं थी, वहां मिशन इंद्रधनुष 3.0 के तहत अभियान शुरू किया गया.
वर्तमान में कोविड-19 महामारी के कारण माता-पिता के अंदर टीकाकरण को लेकर शंका पैदा हुई है. कुछ भ्रामक सूचनाओं के कारण बच्चों की जिंदगी को लेकर खतरा पैदा हुआ है. बच्चों के लिए नियमित टीकाकरण जरूरी है और कोविड-19 का प्रकोप याद दिलाता है कि टीके कितने मूल्यवान हैं. टीके की सुरक्षा के बिना, रोग जल्दी और भयानक परिणामों के साथ फैल सकते हैं. उदाहरण के लिए, खसरा एवं अन्य बीमारियां लगातार खतरा बनी हुई हैं.
हम भाग्यशाली हैं कि इन बीमारियों से बचाव के लिए हमारे पास टीका उपलब्ध हैं. यह महत्वपूर्ण है कि बच्चों के टीकाकरण को अपडेट रखा जाये, क्योंकि यह उन्हें कई गंभीर बीमारियों से बचाते हैं. कोरोना के दौर में नियमित टीकाकरण को लेकर किसी प्रकार के भ्रम तथा सूचना के लिए स्वास्थ्य सेवा प्राधिकारी से संपर्क करना चाहिए.
कोविड-19 की स्थिति हर दिन बदल रही है, इसीलिए उसी के अनुरूप टीकाकरण कार्यक्रम की बहाली को भी समायोजित करने का प्रयास किया जा रहा है. नियमित टीकाकरण के लिए टीकाकरण केंद्र नहीं मिलने की स्थिति में चुपचाप नहीं बैठना चाहिए, बल्कि इसके बारे में उचित प्राधिकारी को सूचित करना चाहिए, ताकि बच्चे को समय पर टीका प्राप्त हो सके.
कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार के बारे में भी बहुत कुछ कहा और लिखा गया है, लेकिन नियमित रूप से हाथ धोने, शारीरिक दूरी तथा स्वच्छता अभ्यासों को बनाये रखने के अलावा, माता-पिता को शिशुओं को संक्रमण से बचाने के लिए अतिरिक्त देखभाल करनी चाहिए. सुरक्षा सावधानियों के साथ अपने बच्चे को स्तनपान करायें. वर्तमान में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है, जो बताता हो कि स्तनपान कोरोना संक्रमण को प्रसारित कर सकता है, लेकिन बच्चे को स्तनपान कराते वक्त सामान्य स्वच्छता एवं श्वसन सुरक्षा नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए.
बच्चों के कपड़े की साफ-सफाई एवं उनके रहने के स्थान की स्वच्छता महत्वपूर्ण है. यह सुनिश्चित करें कि छोटे बच्चों के पास एक देखभाल करने वाला व्यक्ति अवश्य रहे. देखभालकर्ताओं को नियमित रूप से अपने हाथ साबुन या सेनेटाइजर से साफ करते रहना चाहिए. बच्चों के साथ उन चीजों को साझा करने से भी बचना चाहिए जो परिवार के दूसरे सदस्यों के द्वारा उपयोग किये जाते हैं, जैसे कि कप आदि. इसके अलावा देखभालकर्ता यदि खुद बीमार महसूस करते हों, तो उन्हें बच्चे से दूर रहना चाहिए.
एक माता-पिता के रूप में, मैं उस चिंता को समझ सकता हूं, जो बच्चे के टीकाकरण के दौरान मन में उठ सकती है. लेकिन माता-पिता के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वे शांत रहें, क्योंकि यदि माता-पिता चिंतित होते हैं तो इसका असर बच्चों पर भी पड़ता है. अंत में, याद रखें कि यह महत्वपूर्ण है कि बच्चों को उनके पहले जन्मदिन तक उम्र के हिसाब से निर्धारित सभी टीके लगवाये जायें, क्योंकि यही वह समय होता है, जब वे बीमारियों की चपेट में आते हैं. यदि आप बच्चों को शुरुआती दौर में ही टीकाकरण कराते हैं, तो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होकर बीमारियों से लड़ने और उनका सामना करने में सक्षम बनते हैं. याद रखें कि टीका जीवन की रक्षा करता है.