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प्रयास एवं परिणाम

भारत की यह हमेशा कोशिश रही है कि पर्यावरण पर सभी देशों के सहयोग से दीर्घकालिक नीतियों के साथ आगे बढ़ा जाना चाहिए.

जलवायु परिवर्तन तथा धरती के बढ़ते तापमान को देखते हुए पर्यावरण संरक्षण बहुत आवश्यक है. भारत इस दिशा में कई उल्लेखनीय पहलों के साथ प्रयासरत है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष एक आदर्श उदाहरण के रूप में स्थापित हो रहा है. विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उचित ही रेखांकित किया है कि बीते आठ वर्षों में केंद्र सरकार की नीतियों ने पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्द्धन में योगदान दिया है.

स्वच्छ भारत अभियान, कचरे से ऊर्जा उत्पादन, अमृत योजना के अंतर्गत जल शोधन के अत्याधुनिक संयंत्र, एकल उपयोग के प्लास्टिक की रोकथाम, नमामि गंगे अभियान में गंगा नदी की सफाई आदि पहलों से प्रदूषण पर अंकुश लगाने, जल एवं मिट्टी को बेहतर करने तथा कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में वांछित सफलता मिल रही है.

अपने देश में स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन और उपभोग को बढ़ाकर जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए भी तेजी से कोशिशें हो रही हैं. पिछले साल आयोजित ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी कि 2070 तक भारत का कार्बन उत्सर्जन शून्य हो जायेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन भी बनाया है, जिससे आज सौ से अधिक देश जुड़ चुके हैं.

जलवायु परिवर्तन की समस्या एक दिन में पैदा नहीं हुई है और न ही इसका त्वरित समाधान संभव है. पर्यावरण बचाने के लिए वैश्विक स्तर पर साझा प्रयासों की आवश्यकता है. भारत की कोशिश रही है कि सभी देशों के साथ आपसी सहयोग से दीर्घकालिक नीतियों के साथ आगे बढ़ा जाना चाहिए. इसी क्रम में केंद्र सरकार ने एक वैश्विक अभियान ‘लाइफ मूवमेंट’ की शुरुआत की है.

इस अवसर पर कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की. प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक पृथ्वी, कई प्रयास’ का आह्वान करते हुए कहा है कि हमें अपनी धरती के अनुकूल जीवनशैली अपनानी चाहिए और इसे नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. इस क्रम में हमें अतीत से ग्रहण करते हुए वर्तमान में क्रियाशील रहना चाहिए तथा हमारी दृष्टि भविष्य पर केंद्रित रहनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारे जीवन की अवधारणा में उपभोग को कम करना, वस्तुओं का बार-बार इस्तेमाल करना तथा पुनर्चक्रित करना अंतर्निहित है.

भारतीय संस्कृति के केंद्र में प्रकृति है और दैवीय स्थान दिया गया है. इन मूल्यों को फिर से अपनाने की आवश्यकता है. हाल के वर्षों में विश्वभर में भारत के प्रयासों की प्रशंसा हुई है. प्रधानमंत्री मोदी को उनके नेतृत्व के लिए प्रतिष्ठित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है. ‘लाइफ मूवमेंट’ के प्रारंभ के अवसर पर विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास, उद्यमी बिल गेट्स, जलवायु अर्थशास्त्री निकोलस स्टर्न, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक कास संस्टीन समेत कई गणमान्य लोगों ने भारत की उपलब्धियों की सराहना की है. स्वच्छ ऊर्जा में प्रगति को देखते हुए इस वर्ष एक अक्तूबर से प्रदूषण कर हटाने की प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा भारत के बढ़ते आत्मविश्वास का परिचायक है.

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