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बुजुर्गों की देखभाल

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा एक लाख सेवा दाताओं को प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम शुरू हो रहा है, जो बुजुर्गों की देखभाल करने का जिम्मा संभालेंगे.

परिवार और समाज में बड़े-बुजुर्गों की सेवा हमारी संस्कृति की विशिष्टता रही है, पर कई कारणों से यह दायित्व ठीक से नहीं निभाया जा रहा है. इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से बड़ी पहल की जा रही है. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा एक लाख सेवा दाताओं को प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम शुरू हो रहा है, जो बुजुर्गों की देखभाल करने का जिम्मा संभालेंगे.

सितंबर में ऑनलाइन पोर्टल उपलब्ध हो जायेगा, जिसके माध्यम से प्रशिक्षित लोगों की सेवाएं ली जा सकेंगी. वर्तमान समय में ऐसी सेवाएं महंगी भी हैं और अक्सर ऐसे लोग उपलब्ध होते हैं, जो ठीक से प्रशिक्षित नहीं होते क्योंकि आपूर्ति की तुलना में मांग बहुत अधिक है. इन सेवाओं को हासिल करने में भी मुश्किलें आती हैं. बुजुर्ग या उनके परिवार के पास सही जानकारियां नहीं होती हैं.

केंद्र सरकार की इस पहल से इन समस्याओं का भी समाधान होगा तथा रोजगार के अवसर भी मिलेंगे. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सचिव आर सुब्रमण्यम के अनुसार, सरकार प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए मानदंडों का निर्धारण करेगी तथा ऐसी सेवाओं को समुचित मूल्य पर मुहैया कराने का प्रयास किया जायेगा. आर्थिक कारणों से कई परिवारों में बुजुर्गों की देखभाल ठीक से नहीं होती है.

हेल्पएज इंडिया के एक हालिया सर्वेक्षण में बताया गया था कि 29 फीसदी लोग अपने माता-पिता को घर में नहीं रखना चाहते हैं. हमारे देश में 47 फीसदी बुजुर्ग परिवार पर निर्भर हैं. अधिक उम्र के कारण 71 फीसदी बुजुर्ग काम नहीं करते, लेकिन 36 फीसदी लोग काम करना चाहते हैं और 40 फीसदी तो जब तक संभव हो सके, काम करने की इच्छा रखते हैं. इस सर्वेक्षण में यह तथ्य भी सामने आया कि 67 फीसदी बुजुर्गों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है.

हालांकि हमारे समाज में बहुत हद तक पारिवारिक मूल्य बचे हुए हैं, पर यह भी सच है कि परिवार का ताना-बाना बिखर रहा है. इसके कारण बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार के मामले बढ़ रहे हैं. आधुनिक समय की मांग और जरूरत की वजह से एकल परिवारों की संख्या बढ़ रही है और नौकरी व रोजगार के लिए पलायन करना पड़ रहा है. स्वास्थ्य सेवा पर होनेवाला खर्च भी बुजुर्गों की अनदेखी का एक कारण है.

वंचित परिवारों के लिए आयुष्मान भारत बीमा योजना, सस्ती दवाओं की उपलब्धता, स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ाने पर जोर, पीने का साफ पानी मुहैया कराना, स्वच्छता को प्राथमिकता देने जैसे उपायों से बड़ी तादाद में लोगों को राहत मिल रही है. अब इस कड़ी में बुजुर्गों की देखभाल के लिए सस्ती दरों पर प्रशिक्षित सेवकों की उपलब्धता भी जुड़ने जा रही है. जानकारों का अनुमान है कि भविष्य में ये सेवक दूसरों को भी प्रशिक्षण दे सकेंगे और अन्य संस्थाएं भी ऐसे कार्यक्रम चलायेंगी. कुछ वर्ष बाद इस क्षेत्र में मांग में तेज वृद्धि का अनुमान है क्योंकि आबादी में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है.

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