कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच संतोष की खबर है कि हमारे देश में अभी यह सामुदायिक स्तर पर नहीं फैल सका है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने एक हजार से अधिक लोगों की जांच की है और अब तक के नतीजों में अधिकतर नमूनों में संक्रमण नहीं पाया गया है. इस अनियमित जांच के नमूने ऐसे लोगों से लिये गये हैं, जिन्हें सांस लेने में बेहद तकलीफ है या फिर उनमें निमोनिया व इंफ्लुएंजा जैसी बीमारियों के लक्षण हैं. यदि बाकी नमूनों में कोविड-19 का कोई संक्रमण मिलता है, तो इसका मतलब होगा कि उस समुदाय में वायरस मौजूद है. तब स्थानीय स्तर पर रोकथाम और उपचार के उपाय होंगे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि सभी देशों को जांच पर पूरा ध्यान देना चाहिए. संस्था के भारत में प्रतिनिधि डॉ हेंक बेकेडम ने सरकार की कोशिशों की सराहना की है. इन कोशिशों में जांच में संक्रमित लोगों की यात्राओं की जानकारी जुटाना भी शामिल है. इस सूचना से संक्रमण के स्रोत व स्थान का पता लगाया जा सकता है तथा संभावित संक्रमण को तुरंत रोकने के भी प्रयास हो सकते हैं. उल्लेखनीय है कि भारत में अब तक जितने मामले सामने आये हैं, वे यात्राओं, खासकर विदेशों, के दौरान हुए संक्रमण के हैं.
यह फिलहाल राहत की बात है कि स्थानीय स्तर पर इसका फैलाव नहीं हुआ है. यही कारण है कि भारत ने विदेशों से आवाजाही को रोका है या उसे बहुत हद तक सीमित कर दिया है. अनुसंधान परिषद के महानिदेशक बलराम भार्गव ने भी कहा है कि सीमाओं को बंद करने से रोकथाम में मदद मिलेगी. कई शहरों में शिक्षण संस्थाओं समेत ऐसी जगहों को बंद कर दिया गया है, जहां आम तौर पर लोग बड़ी संख्या में जमा होते हैं. गैरजरूरी यात्राएं करने और घूमने-घामने से मना किया जा रहा है. इन उपायों से संक्रमण के प्रसार को रोकने में बड़ी मदद मिल रही है.
अब तक अनियमित जांच समेत 11.5 हजार से अधिक लोगों की जांच हो चुकी है. सरकार के पास अभी डेढ़ लाख जांच किट है और 10 लाख और किट मंगाये जा रहे हैं. आगामी दिनों में देशभर में निगरानी के लिए अनियमित जांच के उद्देश्य से 121 प्रयोगशालाएं कार्यरत हो जायेंगी. लेकिन इन कोशिशों को कामयाब करने के रास्ते में चुनौतियां भी हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह के मुताबिक बहुत व्यापक स्तर पर जांच की सुविधा मुहैया कराना संभव नहीं है.
ऐसे में अनियमित स्तर पर नमूनों की जांच प्रक्रिया को बेहतर किया जाना चाहिए. मीडिया और विभिन्न संगठन जागरूकता बढ़ाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. यह चिंताजनक है कि बड़ी संख्या में लोग पहले की तरह ही यात्राएं कर रहे हैं और मास्क, सैनिटाइजर, साबुन आदि का ठीक से इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. लोगों को निर्देशों व सुझावों पर गंभीरता से अमल करना चाहिए तथा जरूरी होने पर ही बाहर निकलना चाहिए और साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए.