प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान’ के नारे में ‘जय अनुसंधान’ को जोड़कर यह संदेश दिया है कि शोध एवं अनुसंधान उज्जवल भविष्य के आधार हैं. इससे यह भी इंगित होता है कि भारत सरकार इस क्षेत्र में प्राथमिकता के साथ अग्रसर होगी. अपनी 75 वर्षों की यात्रा में ज्ञान, विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में भारत ने अनगिनत उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की है, पर हम इतने भर से संतुष्ट नहीं हो सकते.
जीवन के हर क्षेत्र में तकनीक का उपयोग बहुत तेजी से बढ़ रहा है. विज्ञान की प्रस्थापनाओं एवं अवधारणाओं को व्यावहारिक बनाने पर दुनियाभर में जोर दिया जा रहा है. शिक्षा, स्वास्थ्य, वस्तु उत्पादन, सेवाओं की उपलब्धता आदि में नवाचार से हम प्रगति के पथ पर अधिक गति से अग्रसर हो सकते हैं. प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान से शिक्षण संस्थाओं, प्रयोगशालाओं और विशिष्ट अनुसंधान केंद्रों में उत्साह की लहर है. उन्हें आशा है कि इस संबोधन के बाद शोध एवं अनुसंधान में सरकार और निजी क्षेत्र के निवेश में समुचित वृद्धि होगी. अनुसंधान एक दीर्घ प्रक्रिया है और उसके लिए बड़े पैमाने पर संसाधनों की आवश्यकता होती है. लेकिन लगभग दो दशकों से इस मद में बजट आवंटन सकल घरेलू उत्पाद के एक प्रतिशत से भी कम रहा है.
वर्तमान वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में यह आंकड़ा केवल 0.41 प्रतिशत है. समुचित सुविधाओं और प्रोत्साहन के अभाव के कारण प्रतिभाएं या तो देश से बाहर चली जाती हैं या पेशेवर जीवन में चली जाती हैं. ऐसे में बहुत से छात्र और युवा वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में जाने से कतराते हैं. रुचि का अभाव भी एक समस्या है. अनुसंधान की राह में एक बड़ी रुकावट सरकारी मशीनरी की धीमी गति और लालफीताशाही भी है. भारत को अगर तकनीक का वैश्विक केंद्र बनाना है, तो शोध एवं अनुसंधान के लिए एक ठोस कार्य योजना बनायी जानी चाहिए. इसमें प्राथमिकता पहले से लंबित योजनाओं को दी जानी चाहिए.
आवश्यक साजो-सामान को विदेशों से लाने की प्रक्रिया को सरल बनाना चाहिए तथा नवाचार की उपलब्धियों को पेटेंट देने में बरती जाने वाली सुस्ती को छोड़ा जाना चाहिए. यह समझना जरूरी है कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने तथा ‘मेक इन इंडिया’ को सफल बनाने के लिए हमें तकनीकी रूप से भी समर्थ होना होगा. अनुसंधान से जनित सेवाओं और वस्तुओं के निर्यात से अर्थव्यवस्था को बहुत लाभ हो सकता है. इसके उदाहरण हम अपने अंतरिक्ष अनुसंधान, दवा उद्योग तथा कृषि उत्पादन में देख सकते हैं.
भविष्य में स्टार्टअप सेक्टर का योगदान अहम होगा और इस दिशा में भारत का विकास उत्साहजनक है. तकनीकी अनुसंधान को बढ़ाकर हम इसे और गति दे सकते हैं. अनुसंधान और नवाचार में रुचि बढ़ाने के लिए हमें इसे एक संस्कृति बनाना होगा तथा बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों से ही विज्ञान एवं तकनीक की ओर उन्मुख करने पर ध्यान देना चाहिए. आशा है कि प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान से तकनीकी प्रगति में नये आयाम जुड़ेंगे.