देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने और ऐसे लेन-देन को सस्ता करने के प्रयास के क्रम में केंद्र सरकार ने बैंकों के लिए एक प्रोत्साहन योजना की घोषणा की है. वर्तमान वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केंद्रीय कैबिनेट द्वारा स्वीकृत 2,600 करोड़ रुपये की इस प्रोत्साहन योजना में रुपे डेबिट/क्रेडिट कार्ड को अपनाने और यूपीआइ लेन-देन को बढ़ाने वाले बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं को वित्तीय सहयोग देने का प्रावधान है.
हमारे देश में डिजिटल भुगतान की नोडल संस्था नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने भारत सरकार से ऐसी योजना लाने का अनुरोध किया था. उल्लेखनीय है कि पिछले साल बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी घोषणा की थी कि सरकार डिजिटल लेन-देन को वित्तीय सहायता देना जारी रखेगी. हालांकि अभी भी नगदी का चलन और उसकी मांग बहुत अधिक है, लेकिन कुछ वर्षों में डिजिटल लेन-देन में बड़ी तेजी आयी है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बीते दिसंबर माह में यूपीआइ के जरिये 782.9 करोड़ डिजिटल लेन-देन हुए हैं, जिनमें 12.82 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किये गये. वर्ष 2020-21 में 5,554 करोड़ ऐसे लेन-देन हुए थे, जबकि 2021-22 में इनकी तादाद 8,840 करोड़ हो गयी. यह 59 फीसदी की बड़ी छलांग थी. भीम-यूपीआइ के जरिये होने वाले लेन-देन में 2020-21 से 2021-22 में 106 प्रतिशत की रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई थी. मार्च, 2012 में शुरु हुई रुपे भुगतान प्रणाली भारत की अपनी प्रणाली है.
जुलाई, 2014 में इसके कार्ड जारी हुए थे. आज 60 करोड़ से अधिक रुपे कार्ड इस्तेमाल में हैं. यूपीआइ भी स्वदेशी प्रणाली है. डिजिटल लेन-देन के क्षेत्र में बड़ी पहल करते हुए रिजर्व बैंक ने हाल ही में आई रुपी डिजिटल करेंसी की शुरुआत की है. बीते एक दिसंबर को प्रारंभ हुई खुदरा लेन-देन में इसके इस्तेमाल की पायलट योजना में मुंबई स्थित इस केंद्रीय बैंक के कार्यालय के पास फल बेचने वाले बच्चे लाल साहनी को भी शामिल किया गया है.
लगभग 25 साल पहले बिहार के वैशाली जिले से मुंबई आये साहनी को इस योजना को हिस्सा बनाया जाना यह इंगित करता है कि डिजिटल लेन-देन के हर पहलू को आम भारतीय के हिसाब से तैयार किया जा रहा है. अब दस देशों में रहने वाले प्रवासी भारतीय भी यूपीआइ का इस्तेमाल कर सकते हैं. देश में स्मार्ट फोन और कंप्यूटर का उपयोग बढ़ने तथा इंटरनेट के तीव्र प्रसार से डिजिटल तकनीक आबादी के बड़े हिस्से के लिए आवश्यक होती जा रही है. यूपीआइ प्रणाली ने देश में डिजिटलीकरण प्रक्रिया में उल्लेखनीय योगदान दिया है.