निजी निवेश से विकास पर जोर हो
सरकार ने पहले ही अंतरिम बजट में जीडीपी के 5.1% के राजकोषीय घाटे का प्रस्ताव रखा है, इसलिए सरकार के लिए इससे विचलित होने का कोई कारण नहीं है. लेकिन कुछ ऐसी जरूरतें हैं, जिनके कारण सरकार को पूंजीगत व्यय, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे के लिए अधिक धन की आवश्यकता हो सकती है.
नयी सरकार के पहले केंद्रीय बजट पर सभी की निगाहें हैं. सरकारी हलकों में लोग 8.2 प्रतिशत की उच्च जीडीपी वृद्धि, 9.9 प्रतिशत की तेजी से बढ़ते विनिर्माण, अप्रैल 2024 में सीपीआइ मुद्रास्फीति के 4.82 प्रतिशत के साथ मुद्रास्फीति में कमी, थोक महंगाई में कमी, राजकोषीय घाटे के बजट अनुमानों से कम रहने, रुपये में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 1.4% की बहुत कम दर गिरावट तथा भुगतान संतुलन में चालू खाता घाटा जीडीपी के बमुश्किल 0.7% रहने को लेकर उत्साहित हैं.
विदेशी मुद्रा भंडार 665.8 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है. अब तीसरी मोदी सरकार के सामने चुनौती इस वृद्धि को बनाये रखने के साथ-साथ मुद्रास्फीति, विशेष रूप से खाद्य मुद्रास्फीति, और बेरोजगारी के मुद्दे को हल करने की है. बजट की तैयारी के क्रम में हुए एक बैठक में मौजूद अर्थशास्त्री सरकार की राजकोषीय समझदारी, विनिर्माण संवृद्धि और भुगतान घाटे जैसे मुद्दों से निपटने की सराहना कर रहे थे. राजकोषीय समझदारी से कभी समझौता नहीं किया जा सकता. मुद्रास्फीति नियंत्रित रखने और विकास को बढ़ावा देने के लिए यह एक पूर्व शर्त है. कम राजकोषीय घाटे को जारी रखने के बारे में आम सहमति थी.
चूंकि सरकार ने पहले ही अंतरिम बजट में जीडीपी के 5.1% के राजकोषीय घाटे का प्रस्ताव रखा है, इसलिए सरकार के लिए इससे विचलित होने का कोई कारण नहीं है. लेकिन कुछ ऐसी जरूरतें हैं, जिनके कारण सरकार को पूंजीगत व्यय, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे के लिए अधिक धन की आवश्यकता हो सकती है, मसलन प्रधानमंत्री आवास योजना सहित कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च, पीएलआइ योजना, विशेष रूप से नये क्षेत्रों में उसके विस्तार के लिए. बेरोजगारी, विशेष रूप से शिक्षित युवा बेरोजगारी, को संबोधित करने की भी तत्काल आवश्यकता है.
बैठक में कुछ अर्थशास्त्रियों ने नयी तकनीक, खास तौर पर एआइ के कारण नौकरियों के नुकसान पर चिंता जतायी और अन्य लोग भी उनसे सहमति थे. एक राय यह थी कि हम नयी तकनीक के उपयोग से बच नहीं सकते और न ही बचना चाहिए, लेकिन चूंकि इससे नौकरियां जा रही हैं, इसलिए जो लोग लाभ उठा रहे हैं, उन्हें नुकसान उठाने वालों, यानी वे कर्मचारी जिनकी नौकरियां जा रही हैं या जिन्हें नौकरी नहीं मिल रही है, की भरपाई करनी चाहिए. यह सुझाव दिया गया कि ‘रोबोट टैक्स’ की संभावना तलाशी जा सकती है, जिसका उपयोग विस्थापित श्रमिकों को पुनः कौशल प्रदान करने और पुनर्वासित करने के लिए किया जा सकता है.
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के एक पेपर में उल्लेख किया गया है कि यद्यपि एआइ समग्र रोजगार और मजदूरी को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन वह ‘श्रम बल के बड़े हिस्से को लंबे समय तक काम से बाहर रख सकता है, जो एक दर्दनाक संक्रमण की ओर इंगित करता है.’ उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआइ) योजना के पहले चरण की सफलता से उत्साहित, जिसने एपीआई, रक्षा उपकरण, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक्स और कई अन्य में चीन पर निर्भरता को कम करने में मदद की, अर्थशास्त्रियों ने इसके अगले चरण को सूक्ष्म, लघु और मध्यम क्षेत्र (एमएसएमइ) के इर्द-गिर्द डिजाइन करने का समर्थन किया.
यह समझा जाता है कि विश्व व्यापार संगठन के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के परिणाम के अनुसार संगठन के 14वें सम्मेलन से डिजिटल उत्पादों पर सीमा शुल्क पर रोक समाप्त हो जायेगी. डिजिटल उत्पादों पर सीमा शुल्क लगाने की तैयारी के रूप में हम इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित सॉफ्टवेयर और अन्य डिजिटल वस्तुओं के लिए भारतीय सीमा शुल्क मैनुअल में विशिष्ट टैरिफ शीर्ष बनाकर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर शून्य प्रतिशत के सर्वाधिक पसंदीदा टैरिफ के साथ डिजिटाइज करने योग्य वस्तुओं पर सीमा शुल्क शुरू कर सकते हैं, जिसमें ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर, एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर, मल्टीमीडिया, सपोर्ट या ड्राइवर डेटा और अन्य डिजिटल उत्पाद शामिल हैं. इंडोनेशिया ने पहले ही यह कदम उठा लिया है.
इससे डेटा एकत्र करने और अप्रैल 2026 से उचित दरों पर सीमा शुल्क लगाने में सुविधा होगी, जब विश्व व्यापार संगठन द्वारा ई-ट्रांसमिशन के सीमा शुल्क पर लगायी गयी रोक समाप्त हो जायेगी. इसमें कोई संदेह नहीं है कि ई-उत्पादों पर टैरिफ लगाने से दीर्घकाल में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित उत्पादों में निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा. लेकिन कई अन्य उद्योगों और स्टार्ट-अप में भी निवेश को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता है. घरेलू स्रोतों से इस निवेश को वित्तपोषित करने के लिए हमें घरेलू निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल देने की आवश्यकता है.
निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए अर्थशास्त्रियों द्वारा मुख्य रूप से निम्न सुझाव दिये गये हैं- पहला, वैकल्पिक निवेश कोष (एआइएफ) के प्रवाह में घर्षण को दूर करने के लिए सूचीबद्ध, गैर-सूचीबद्ध क्षेत्रों के बीच दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ समानता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है. एआइएफ द्वारा एक वर्ष से अधिक समय तक रखे गये निवेश को दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और तदनुसार दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर के अनुसार कर लगाया जाता है. वर्तमान में सूचीबद्ध शेयरों पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ आम तौर पर 10 प्रतिशत की दर से और गैर-सूचीबद्ध शेयरों और अन्य परिसंपत्तियों पर 20 प्रतिशत की दर से कर लगता है. दूसरा, जैविक रसायन, प्लास्टिक और इलेक्ट्रिक वाहन से संबंधित उपकरणों सहित चीन से आयात प्रतिस्थापन के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना शुरू की जानी चाहिए. तीसरा, छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए घोषित रक्षा गलियारों में प्लग एंड प्ले सुविधाओं, कॉमन टूल रूम और आरएंडडी सुविधाओं के साथ औद्योगिक पार्क स्थापित किये जा सकते हैं. उचित लागत पर रक्षा उत्पादन बढ़ाने के लिए ‘इसरो मॉडल’ को अपनाया जा सकता है.
चौथा, हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ‘रिवर्स फ्लिपिंग’ यानी देश में वापस लौटने वालों को अपेक्षित कर का भुगतान करना होगा और अधिकांश ‘रिवर्स फ्लिपिंग’ करने वाले लोग इसे देने के लिए तैयार भी हैं, फिर भी लालफीताशाही और ढेर सारे कागजी काम से जुड़े मुद्दे अभी भी बने हुए हैं. चूंकि ‘रिवर्स फ्लिपिंग’ एक बार का मामला है, इसलिए सरकार इसकी सुविधा के लिए एक पैकेज ला सकती है और जो लोग वापस लौट रहे हैं, उनके लिए असुविधा को कम कर सकती है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)