उड्डयन क्षेत्र का विस्तार
भारतीय उड्डयन बाजार के 2025 तक 4.33 अरब डॉलर होने का अनुमान है
गोवा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मोपा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के उद्घाटन के साथ देश में चालू हवाई अड्डों की संख्या 140 हो गयी है. वर्ष 2014 में, जब प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यभार संभाला था, ऐसे हवाई अड्डों की संख्या 74 थी. केंद्र सरकार ने आगामी पांच वर्षों में 220 हवाई अड्डों के विकास और संचालन का लक्ष्य निर्धारित किया है. मोपा हवाई अड्डे का शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा नवंबर, 2016 में हुआ था. उन्होंने प्रारंभ से ही उड्डयन क्षेत्र के विकास को अपनी सरकार की प्राथमिकताओं में रखा है.
पिछले साल नवंबर में उन्होंने नोएडा हवाई अड्डे की आधारशिला रखी थी और अक्टूबर में कुशीनगर एयरपोर्ट का उद्घाटन किया था, जो एक प्रसिद्ध बौद्ध स्थल है. इस वर्ष जुलाई में देवघर और नवंबर में इटानगर में भी हवाई अड्डों का उद्घाटन हुआ. उल्लेखनीय है कि महामारी के दौरान उड्डयन क्षेत्र को भारी नुकसान सहना पड़ा था और एयरलाइन कंपनियां अभी भी घाटे की भरपाई में जुटी हुई हैं.
लेकिन धीरे-धीरे यात्रियों की संख्या बढ़ते जाने के साथ उड़ानों में भी तेजी आयी है. विशेषज्ञों का आकलन है कि 2024 तक भारत का उड्डयन बाजार दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बन जायेगा. अर्थव्यवस्था में तीव्र वृद्धि को बनाये रखने के लिए नये हवाई अड्डों और अन्य संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना आवश्यक है. व्यावसायिक और यात्री आवागमन के साथ-साथ पर्यटन के व्यापक विस्तार को भी ध्यान में रखा जा रहा है. मध्य आय वर्गीय परिवारों की आमदनी बढ़ने, उड़ान सेवा में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार के साथ सकारात्मक नीतिगत आधार के कारण यह क्षेत्र बढ़ता जा रहा है.
वर्ष 2010 में हमारे देश में 7.90 करोड़ लोगों ने हवाई यात्रा की थी. वर्ष 2017 में यह आंकड़ा 15.80 करोड़ हो गया. अनुमान है कि 2037 तक यह संख्या 52 करोड़ तक पहुंच जायेगी. वर्तमान वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में देश की आर्थिक प्रगति के लिए प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत जिन सात इंजनों का उल्लेख किया गया था, उसमें एक हवाई अड्डों का विस्तार भी था.
भारतीय उड्डयन बाजार के लगभग 14-15 प्रतिशत वार्षिक विकास दर के साथ 2025 तक 4.33 अरब डॉलर होने का अनुमान है. इस क्षेत्र में सेवाओं का विस्तार और उनकी गुणवत्ता बढ़ाने के काम में ढेर सारी कंपनियों के साथ 42 से अधिक स्टार्टअप भी सक्रिय हैं. पायलट और अन्य कर्मचारियों की मांग भी बढ़ती जा रही है. अभी देश में 34 उड़ान प्रशिक्षण संस्थान हैं. इनकी संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है. माना जा रहा है कि 2026 तक भारतीय ड्रोन उद्योग का आकार भी 1.8 अरब डॉलर हो जायेगा. इसके लिए भी संचालकों की मांग बढ़ेगी. उड़ान कंपनियों को सुरक्षा पर भी समुचित ध्यान देना चाहिए.