21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आयुर्वेद का विस्तार

आयुर्वेद के ज्ञान को शास्त्रों, पुस्तकों और घरेलू नुस्खों से बाहर लाकर आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित किया जाना चाहिए.

पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती चिंताओं और चुनौतियों को देखते हुए संबंधित विशेषज्ञों और संस्थानों का ध्यान परंपरागत चिकित्सा प्रणालियों की उपयोगिता की ओर उन्मुख हुआ है. आधुनिक जीवन शैली से पैदा हो रही समस्याओं के साथ विभिन्न विषाणुओं की वजह से फैलनेवाली कोविड-19 व अन्य महामारियों की रोकथाम में प्राचीन ज्ञान परंपरा की भूमिका के महत्व को रेखांकित किया जा रहा है. इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में परंपरागत औषधियों का एक वैश्विक केंद्र स्थापित करने की महत्वपूर्ण घोषणा की है.

संस्था के महानिदेशक तेदारोस गेब्रेयसस ने कहा है कि यह केंद्र परंपरागत चिकित्सा को लेकर 2014 से 2023 की अवधि के लिए निर्धारित संगठन की कार्ययोजना का महत्वपूर्ण अंग होगा. इस पहल का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उम्मीद जतायी है कि जैसे दवाओं के उत्पादन और निर्यात में भारत बड़ी उपलब्धि दर्ज करते हुए ‘दुनिया की फार्मेसी’ बन चुका है, वैसे ही परंपरागत चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ स्थापित होनेवाला यह केंद्र वैश्विक स्वास्थ्य का एक केंद्र बनेगा.

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार स्वास्थ्य सेवा को हर व्यक्ति के लिए सुलभ और सस्ता बनाने के साथ आयुर्वेद एवं अन्य ज्ञान परंपराओं को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है. कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए टीका बनाने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में भागीदार होने के साथ भारत आयुर्वेद के अंतर्गत इस महामारी के बारे में शोध को भी प्रोत्साहित कर रहा है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत रोगों की रोकथाम और उनके निवारण के साथ स्वस्थ जीवन के लिए प्रयास हो रहे हैं. इस प्रक्रिया में आयुर्वेद की विशिष्ट भूमिका है. इसकी प्रशंसा स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने भी की है.

भारत के लोग तो परंपरागत चिकित्सा पद्धति के महत्व से परिचित हैं, लेकिन यह बेहद संतोषजनक है कि विदेशों में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है. जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया है, सितंबर में पिछले साल की तुलना में आयुर्वेदिक उत्पादों के निर्यात में 45 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इस वर्ष 13 नवंबर को विश्व आयुर्वेद दिवस के अवसर पर 75 से अधिक देशों में आयोजन हुए हैं, जिनमें 60 से अधिक अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भाग लिया है. इसे आगे विस्तार देने के लिए आयुर्वेद की उपयोगिता को शोध और अनुसंधान का ठोस आधार देने की आवश्यकता है.

प्रधानमंत्री का यह कहना एकदम उचित है कि आयुर्वेद के ज्ञान को शास्त्रों, पुस्तकों और घरेलू नुस्खों से बाहर लाकर आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित किया जाना चाहिए. इस प्रक्रिया में आयुर्वेद के शिक्षा संस्थानों, प्रयोगशालाओं तथा केंद्रों को बढ़-चढ़ कर काम करना चाहिए. इस कड़ी में जामनगर और जयपुर में आधुनिक संस्थानों की स्थापना स्वागतयोग्य निर्णय है. आयुर्वेद के विकास से भारत समेत विश्व के स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद मिलने के साथ इससे चिकित्सा क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के भी विस्तार की भी संभावनाएं हैं.

Posted by: Pritish Sahay

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें