21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

समाचार चैनलों से अपेक्षा

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने चैनलों के आत्मनियमन की व्यवस्था पर असंतोष जताया था, और कहा था कि इसे प्रभावी होना चाहिए. इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने आत्मनियमन की नयी व्यवस्था लाए जाने की जरूरत बतायी है.

भारत में पिछले कई सालों से टीवी न्यूज चैनलों की गुणवत्ता को लेकर बहस चल रही है. आरोप लगते रहे हैं कि उनमें समाचार के नाम पर सनसनी फैलाने की कोशिश होती है. यह मामला सरकार और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है, और उनसे इस बारे में हस्तक्षेप करने की मांग उठती रही है. मगर प्रेस की स्वतंत्रता का मुद्दा संवेदनशील होता है और ऐसे में सरकार और अदालत चाहती है कि न्यूज चैनल स्वयं इस बारे में कोई कदम उठाएं. फिलहाल समाचार चैनलों के आत्मनियमन की एक व्यवस्था मौजूद है लेकिन इसके प्रभावी रहने पर सवाल उठते रहे हैं. फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़ी खबरों की कवरेज को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में एक मामला आया था, जिसने वर्ष 2021 में एक फैसले में चैनलों के आत्मनियमन की व्यवस्था के बारे में प्रतिकूल टिप्पणियां की थीं.

अदालत के इस फैसले को चैनलों के एक संगठन न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इसपर अब सुनवाई चल रही है. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने भी चैनलों के आत्मनियमन की व्यवस्था पर असंतोष जताया था, और कहा था कि इसे प्रभावी होना चाहिए. इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने आत्मनियमन की नयी व्यवस्था लाए जाने की जरूरत बतायी है. वर्तमान में चैनलों के एक संगठन एनबीए ने सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक नियामक संस्था का गठन किया हुआ है, जो 14 सालों से अस्तित्व में है.

लेकिन सभी चैनल इसके सदस्य नहीं हैं. साथ ही किसी नियम के उल्लंघन के लिए जुर्माने की राशि भी केवल एक लाख रुपये है, जिसे सुप्रीम कोर्ट नाकाफी मानता है. अदालत ने स्पष्ट किया है कि वह मीडिया पर सेंसरशिप नहीं लगाना चाहती. सोमवार को मामले की ताजा सुनवाई हुई और इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि अदालत चाहती है कि आत्मनियमन की व्यवस्था और चुस्त हो. अदालत ने न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन के अनुरोध पर नए दिशानिर्देश बनाने के लिए और चार हफ्ते का समय दिया है. लोकतंत्र में सरकार और न्यायपालिका के ही समान प्रेस की भी एक बड़ी भूमिका होती है. समाचार चैनल इस भूमिका का जिम्मेदारी के साथ वहन कर सकें, इसके लिए सर्वसम्मति से एक प्रभावी व्यवस्था बनायी जानी चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें