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समझौतों का विस्तार

वैश्विक राजनीति और आर्थिकी के मंचों पर भारत की भूमिका का विस्तार हो रहा है.

विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध स्थापित करने के क्रम में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मुक्त व्यापार समझौते की स्वीकृति महत्वपूर्ण चरण है. ऑस्ट्रेलिया की संसद ने इस समझौते को हरी झंडी दे दी है. प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानिज ने बड़े उत्साह से इस मंजूरी की घोषणा की है. उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले बाली में आयोजित जी-20 समूह के शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट करते हुए ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने यह भी जानकारी दी थी कि वे अगले वर्ष मार्च में भारत की यात्रा करेंगे.

बीते कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच संबंधों में बड़ी निकटता आयी है. अमेरिका और जापान के साथ भारत एवं ऑस्ट्रेलिया भी क्वाड समूह के सदस्य हैं तथा इनके बीच सामरिक संबंध भी गहरे हो रहे हैं, जिसका एक बड़ा उदाहरण हर वर्ष होने वाला मालाबार संयुक्त नौसैनिक अभ्यास है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दे रही है.

इस क्रम में जहां पिछली सरकार के समय से लंबित मुक्त व्यापार समझौतों को साकार करने का प्रयास हो रहा है, वहीं अनेक नये समझौतों पर भी सहमति बनी है. पिछले साल अगस्त में सरकार ने सभी भारतीय दूतावासों एवं उच्चायोगों को निर्देश दिया था कि वे निर्यात बढ़ाने की संभावनाओं का अध्ययन करें तथा समुचित उपाय सुझायें. भारत सरकार ने 2030 तक निर्यात को दो ट्रिलियन डॉलर के स्तर तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है.

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश को निर्माण और उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाने की कोशिश हो रही है, ताकि हम न केवल अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें, अंतरराष्ट्रीय बाजार में गुणवत्तापूर्ण वस्तुओं की आपूर्ति भी कर सकें. प्रधानमंत्री मोदी ने देश से भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में महत्वपूर्ण भागीदार बनाने की दिशा में काम करने का बार-बार आह्वान किया है. भारत ने विदेशी उद्योगों और निवेशकों को भी भारत आने का आमंत्रण दिया है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं.

इन कवायदों में द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौतों की अहम भूमिका है. ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ से समझौते के प्रयास पिछली सरकार के समय शुरू हुए थे, पर वे साकार नहीं हो सके थे. अब ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौता हो जाने के बाद यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ लंबित प्रस्तावों से जुड़ी उम्मीदें भी बढ़ गयी हैं. इस वर्ष फरवरी में संयुक्त अरब अमीरात के साथ भी मुक्त व्यापार समझौता हो चुका है, जो मई से प्रभावी हो गया है. वैश्विक राजनीति और आर्थिकी के मंचों पर भारत की भूमिका का विस्तार हो रहा है. इसका लाभ व्यापार व वाणिज्य के क्षेत्र में भी मिल रहा है, जो उत्साहजनक है.

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