अन्न भंडारण पर ध्यान
आम तौर पर हर साल 6.8 करोड़ टन से अधिक अनाज बर्बाद हो जाता है.
भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा अनाज उत्पादक देश है, पर हमारे यहां भंडारण की समुचित व्यवस्था नहीं होने से बड़ी मात्रा में अन्न बर्बाद हो जाता है. इस समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की योजना बना रही है. इसके तहत दुनिया का सबसे बड़ा भंडार स्थापित किया जायेगा.
इस परियोजना में कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के अलावा उपभोक्ता मामले का मंत्रालय, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग समेत अनेक विभाग भागीदार होंगे. हमारे देश में अनाज उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है, पर उस गति से उसे सुरक्षित रखने की व्यवस्था का विस्तार नहीं हो रहा है. वर्ष 2020-21 में अन्न उत्पादन 3,107 लाख मेट्रिक टन रहा था. आकलनों की मानें,
तो कुल उत्पादन के 44 प्रतिशत हिस्से के भंडारण की ही व्यवस्था है. माना जाता है कि आम तौर पर हर साल 6.8 करोड़ टन से अधिक अनाज बर्बाद हो जाता है, जिसकी कीमत 50 हजार करोड़ रुपये है. यह हमारे देश के सकल घरेलू उत्पाद का एक प्रतिशत है. इस अनाज को अगर बचाया जा सके, तो हमारी सार्वजनिक वितरण प्रणाली बेहतर हो सकती है और अनाज वितरण से संबंधित कल्याणकारी योजनाओं से पड़ने वाले राजस्व पर दबाव को कम किया जा सकता है.
हाल के वर्षों में हमारे देश से अनाज और खाद्य पदार्थों का निर्यात भी बढ़ता जा रहा है. अनाज के भंडारण से निर्यात बढ़ाकर किसानों तथा अनाज से जुड़े कारोबार में लगे लोगों की आमदनी बढ़ने की संभावनाएं पैदा होंगी. अपनी खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भी हमें अनाज को बर्बाद होने से रोकना है. आज दुनिया के सामने जलवायु संकट गंभीर प्रश्नचिन्ह बनकर खड़ा है.
अनाज सड़ने से ग्रीनहाउस गैसों, विशेषकर मिथेन, का उत्सर्जन होता है. इसे रोकना भी जरूरी है. अनाज बचाने और उसे उपलब्ध कराने का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि कोरोना महामारी के शुरुआती दौर से अभी तक गरीब वर्ग के लिए हर महीने प्रति परिवार पांच किलोग्राम अनाज दिया जा रहा है. खाद्य संकट की आशंका से घिरे अनेक देश भारत से आस लगाये हुए हैं.
यदि भंडारण और प्रबंधन बेहतर हों, तो जमाखोरी तथा मुनाफे के लिए अनाज के दामों को बढ़ाने जैसी हरकतों को भी रोकना आसान होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले से ही इस बात पर जोर देते आये हैं कि किसानों को वैज्ञानिक तरीके से भंडारण करने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए तथा कृषि उत्पादों से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर को मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्र में ही विकसित करना जरूरी है. इस संबंध में एक राष्ट्रीय नीति भी बनायी गयी है.