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रुपये में विदेश व्यापार

भारतीय रिजर्व बैंक की प्रस्तावित नयी व्यवस्था से रुपये में भारत के वैश्विक व्यापार के भुगतान में तेजी आयेगी.

वर्तमान वैधानिक व्यवस्था के अनुसार, नेपाल एवं भूटान के अलावा अन्य देशों से आयात और निर्यात में अंतिम लेन-देन किसी स्वतंत्र विदेशी मुद्रा में करना होता है. अब यह स्थिति बदल जायेगी और व्यापारी भारतीय मुद्रा में कारोबार कर सकेंगे. भारतीय रिजर्व बैंक की प्रस्तावित नयी व्यवस्था से रुपये में भारत के वैश्विक व्यापार के भुगतान में तेजी आयेगी.

देश के केंद्रीय बैंक के अनुसार, इससे निर्यात बढ़ाने में भी मदद मिलेगी तथा घरेलू मुद्रा में अंतरराष्ट्रीय दिलचस्पी और बढ़ेगी. उल्लेखनीय है कि हम निर्यात की तुलना में आयात अधिक करते हैं. ऐसे में रुपये में कारोबार से विदेशी मुद्रा बचाने में बड़ी सहायता मिलेगी. पिछले कुछ समय से डॉलर के मुकाबले रुपये के दाम में कमी हो रही है. डॉलर और कुछ बड़ी वैश्विक मुद्राओं में कारोबार पर भू-राजनीतिक घटनाओं का असर होता है.

वर्तमान समय में रूस-यूक्रेन युद्ध, रूस व कुछ देशों पर पश्चिमी देशों की पाबंदियों तथा अन्य कारकों के कारण तेल व खाद्य पदार्थों की कीमतें दुनियाभर में आसमान छू रही हैं. भारी मुद्रास्फीति से वैश्विक मंदी की आशंकाएं भी जतायी जा रही हैं. इस तरह की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में बड़ी व ताकतवर मुद्राएं तो झटके बर्दाश्त कर लेती हैं, पर रुपये जैसी मुद्राओं को नुकसान सहना पड़ता है.

रिजर्व बैंक के इस कदम से रुपये को वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण मुद्रा बनाने का बड़ा आधार मिलेगा. पड़ोसी देशों एवं विकासशील देशों से कारोबार बढ़ाना भी आसान हो सकेगा. कुछ समय से हो रही निर्यात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी से इंगित होता है कि दुनिया की आपूर्ति शृंखला में भारत अहम होता जा रहा है. रुपये में कारोबार की प्रक्रिया के तहत विदेशी बैंकों को भारत में खाता खोलना होगा, जिसके जरिये भुगतान होगा.

पहले ईरान और कुछ देशों तथा अभी रूस के साथ रुपये और उनकी मुद्रा में लेन-देन की चर्चा होती रही है. अगर स्थिति सामान्य होती, तो हमें रूस से तेल और गैस आयात करने के एवज में डॉलर में भुगतान करना पड़ता, पर पाबंदियों के चलते ऐसा नहीं हो सकता. ऐसे में रुपया और रूबल में भुगतान हमारे लिए फायदे का सौदा है. रिजर्व बैंक की इस पहल को उन उपायों के क्रम में देखा जा सकता है, जो विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम करने तथा रुपये के दाम में कमी को रोकने के लिए किये जा रहे हैं.

उम्मीद है कि रुपये में वैश्विक व्यापार करने की इस व्यवस्था के बारे में रिजर्व बैंक जल्दी ही नियमों एवं प्रक्रियाओं की घोषणा करेगा. जिन कुछ देशों की मुद्राओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार के लिए उपयोग में लाया जाता है, वे राजनीतिक, कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर भी इस स्थिति का लाभ उठाने का प्रयास करते हैं. दबाव बनाने के लिए वे आर्थिक और वित्तीय पाबंदियां तक लगाते हैं. इसका असर उन देशों के अलावा दूसरों पर भी होता है. रुपये में व्यापार कर सकने की व्यवस्था ऐसी स्थितियों से बचा सकती है.

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