18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

वनक्षेत्र में वृद्धि उत्साहजनक

पौधरोपण को प्रोत्साहित करने के मामले में हम फिलीपींस से सीख सकते हैं, जहां हरेक छात्र को अपने स्नातक की डिग्री पाने के लिए कम से कम 10 पौधे लगाना अनिवार्य कर दिया गया है.

हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय द्वारा 17वीं भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021 जारी की गयी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में वन और पेड़ आच्छादित भू-भाग का दायरा पिछले दो वर्षों में 2,261 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है. देश में वन अच्छादित भू-भाग 8,09,537 वर्ग किलोमीटर तक विस्तृत हो गया है. इससे पहले 2017 की तुलना में 2019 में जंगल एवं वृक्षों के आवरण में 5,188 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गयी थी.

तीव्र आर्थिक विकास के साथ-साथ देश में हरियाली का बढ़ता ग्राफ जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने तथा सतत पोषणीय विकास की अवधारणा को अपनाने की दिशा में भारत सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है. हालांकि, ‘राष्ट्रीय वन नीति’ के हिसाब से देश में पर्याप्त वनों का न होना अभी भी चिंता का विषय है. दरअसल, राष्ट्रीय वन नीति-1988 में देश के कुल 33 प्रतिशत भूभाग को वनाच्छादित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.

नयी सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार अब देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 24.62 प्रतिशत भू-भाग पर वनों और वृक्षों का आवरण है. देश में वनों और वृक्षों की स्थिति का जायजा लेनेवाली यह रिपोर्ट वर्ष 1987 से हर दूसरे साल प्रकाशित की जाती है. पिछली बार यह रिपोर्ट 2019 में जारी की गयी थी. रिपोर्ट में जंगल और वृक्ष आवरण के साथ-साथ मैंग्रोव वन, आर्द्रभूमि, वनों में कुल कार्बन स्टॉक और जैव विविधता के संदर्भ में जानकारी दी जाती है.

ताजा रिपोर्ट के अनुसार, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, कर्नाटक और झारखंड क्रमशः पांच ऐसे राज्य हैं, जो बीते दो वर्षों में हरियाली बढ़ाने में सबसे आगे रहे हैं. वहीं क्षेत्रफल के हिसाब से देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र मध्य प्रदेश में है. प्रतिशतता के हिसाब से सबसे आगे मिजोरम है, जहां के 84.53 फीसदी भूभाग पर वन है. देश के समुद्री तटों पर पाये जानेवाले मैंग्रोव वन का क्षेत्रफल भी पिछले दो साल में 17 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि के साथ कुल 4,992 वर्ग किलोमीटर हो गया है.

संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन दशक में दुनियाभर में एक अरब एकड़ में लगे जंगल नष्ट हो गये हैं. ऐसे में भारत में वन क्षेत्र बढ़ने की खबर उत्साहित करती है. ग्लासगो जलवायु सम्मेलन-2021 में जहां 100 से अधिक देशों ने 2030 तक वनों की कटाई पर पूर्ण पाबंदी लगाने का संकल्प लिया है, वहीं भारत ने 2030 तक अतिरिक्‍त ढाई अरब टन कार्बन उत्‍सर्जन के बराबर वन लगाने का लक्ष्‍य रखा है. देशभर में 200 शहरी वन क्षेत्र विकसित करने के लिए ‘नगर वन योजना’ तथा घटते वन क्षेत्र का संरक्षण, पुनर्वनीकरण और वन क्षेत्र में वृद्धि के लिए ‘राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन’ संचालित हैं.

जंगल सृष्टि के खूबसूरत सृजनों में से एक है. ये धरती के फेफड़े की तरह कार्य करते हैं और पर्यावरण से प्रदूषक गैसों जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड, अमोनिया, सल्फर डाइ-ऑक्साइड तथा ओजोन को अपने अंदर समाहित कर वातावरण में प्राणवायु छोड़ते हैं. साथ ही जंगल वर्षा कराने, तापमान को नियंत्रित रखने, मृदा के कटाव को रोकने तथा जैव-विविधता को संरक्षित करने में भी सहायक हैं.

जंगलों से उपलब्ध होने वाले दर्जनों उपदानों का उपभोग हम सब किसी न किसी रूप में करते ही हैं. प्रकृति के निकट रहनेवाले कई समुदायों के लिए जंगल जीवन-रेखा की तरह है. हालांकि औद्योगीकरण और नगरीकरण की प्रकिया के साथ जंगलों के प्रति मानव दृष्टिकोण भी बड़ी तेजी से बदला है. आज प्राकृतिक जंगलों को उजाड़ कर वहां कंक्रीट के जंगल तैयार किये जा रहे हैं. प्रकृति के प्रति मानव की संवेदनशीलता मृतप्राय होती जा रही है, जिससे मानवजाति विभिन्न जलवायविक समस्याओं का सामना कर रही है.

वास्तव में पर्यावरण संबंधी अधिकांश समस्याओं की जड़ वनोन्मूलन ही है. वैश्विक ऊष्मण, बाढ़, सूखे जैसी समस्याएं वनों के ह्रास के कारण ही उत्पन्न हुई हैं. इसका समाधान भी पौधारोपण में ही छिपा है. भारत में जन्मदिन के मौके पर लोगों से पौधे लगाने का आह्वान किया जाता रहा है, लेकिन शायद ही एक बड़ी आबादी इस पर जोर देती है! अगर वास्तव में एक खुशहाल विश्व बनाना है, तो प्रकृति को सहेजने के लिए हम सभी को आने आना होगा. जो जंगल शेष हैं, उनकी रक्षा करनी होगी.

साथ ही पौधरोपण के लिए हरेक स्तर से प्रयास करने होंगे. आपदा प्रबंधन को लेकर भी आम नागरिकों को जागरूक करना होगा. प्राकृतिक संतुलन के लिए जंगलों को बचाना बेहद जरूरी है. पृथ्वी पर जीवन को खुशहाल बनाये रखने का एकमात्र उपाय जंगलों का संरक्षण ही है. पौधरोपण को प्रोत्साहित करने के मामले में हम फिलीपींस से सीख सकते हैं, जहां हरेक छात्र को अपने स्नातक की डिग्री पाने के लिए कम से कम 10 पौधे लगाना अनिवार्य कर दिया गया है.

वहीं चीन में बड़े पैमाने पर वनों के विनाश को देखते हुए प्रतिवर्ष 12 मार्च को ‘नेशनल प्लांटिंग हॉलीडे’ के रूप में मनाया जाने लगा. इस मौके पर अधिकाधिक पौधे लगाने के प्रयास किये जाते हैं. फिलीपींस की तर्ज पर हरियाणा सरकार 12वीं के छात्रों को पौधे लगाने के एवज में अंतिम मूल्यांकन में 10 अतिरिक्त अंक देने की संभावनाओं पर विचार कर रही है. हरियाणा में ‘पौधगिरी अभियान’ के तहत छात्रों को पौधों की देखभाल करने के लिए 50 रुपये दिये जाते हैं. बहरहाल, हमारा कम से कम एक पौधा लगाने का संकल्प भी पर्यावरण को नया जीवन दे सकता है. पौधे लगाना एक संस्कार की तरह होना चाहिए. यह सभी पीढ़ियों के लिए हितकारी साबित होगा.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें