वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत के अवसर
इसमें कोई दो मत नही है कि विदेश व्यापार में भारत की नयी संभावनाएं दुनिया के लिए नये मौके के रूप में है.
अब भारत को आर्थिक दुनिया के एक उभरते सितारे के रूप में देखा जा रहा है, जो भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय साख को दर्शाता है. वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक मंचों पर भारत को विशेष अहमियत भारत की आर्थिक स्थिति से भी मिल रही है. अमेरिका और रूस जैसी महाशक्तियों के साथ मित्रता के नये अध्याय दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा एवं भारतीय बाजार में मौके बढ़ा रहे हैं. भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, कृषि विकास और बढ़ती ग्रामीण अर्थव्यवस्था देश-दुनिया के कारोबारियों और निवेशकों के लिए मौकों का नया द्वार खोल रही हैं.
हाल में लाओस के वियनतियाने में आयोजित आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के बाद आसियान देशों द्वारा जारी बयान के मुताबिक ये देश इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रमकता से असहज और परेशान हैं तथा वे भारत के साथ आर्थिक व सुरक्षा संबंधों का नया दौर आगे बढ़ायेंगे. वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक चुनौतियों के बीच प्रोत्साहन उपायों के बावजूद चीनी अर्थव्यवस्था सुस्त होगी और भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. वर्ष 2024 में चीन की विकास दर घटकर चार फीसदी होने का अनुमान है, जबकि भारत की विकास दर 6.3 फीसदी से अधिक रहेगी. वस्तुतः भारत के पास उपभोक्ताओं का उभरता हुआ विशाल बाजार, युवाओं में जबरदस्त ढंग से आगे बढ़ने की ललक, उद्यमिता की भावना और सुधार का रवैया वैश्विक संघर्ष तथा चुनौतियों के बावजूद भारत के लिए नये अवसरों का आधार हैं. बीते चार अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी ने तीसरे कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में कहा था कि रूस-यूक्रेन और इस्राइल-ईरान युद्ध की अनिश्चितता के बीच भी दुनिया का भारत पर असाधारण आर्थिक विश्वास बना हुआ है. उन्होंने कहा कि दुनिया की नजरों में यह युग भारत का युग है. भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. भारत ग्लोबल फिनटेक एडाप्शन के मामले में पहले, इंटरनेट उपभोक्ताओं के मामले में दूसरे, स्टार्टअप के मामले में तीसरे और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में चौथे स्थान पर है. विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और मूडीज जैसी वैश्विक एजेंसियां आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भारत को दुनिया की सबसे विश्वसनीय और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ-साथ निवेश के पसंदीदा देश के रूप में देख रही हैं.
यद्यपि इस समय पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध के विस्तारित होने के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर बढ़ रहा है, फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था में वैश्विक विश्वास और तेज विकास के मद्देनजर देसी उद्यमियों के साथ वैश्विक उद्यमियों के लिए भी बढ़ते अवसरों का परिदृश्य उभरता दिख रहा है. उल्लेखनीय है कि हाल में दुनिया की ख्याति प्राप्त वित्तीय सेवा फर्म मॉर्गन स्टेनली ने कहा है कि सितंबर 2024 के दौरान भारत ने चीन को पीछे छोड़ते हुए खुद को निवेश की पसंदीदा जगह बना लिया है. एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अपनी नयी रिपोर्ट में कहा है कि भारत आर्थिक विकास, विदेशी निवेश और नयी तकनीकों के उपयोग की ऊंची संभावनाओं वाला देश है. अमेरिकी चेंबर ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में अमेरिकी कंपनियों की वैश्विक निवेश पसंद में भारत का दूसरा स्थान है. इस समय चीन अमेरिकी निवेशकों की प्राथमिकता खोता जा रहा है. अमेरिका और चीन में बढ़ते तनाव के माहौल में इस समय चीन में कार्यरत 12 लाख करोड़ रुपये निवेश वाली 50 अमेरिकी कंपनियां अपना कारोबार चीन से समेटने की तैयारी में हैं. इन कंपनियों में से 15 कंपनियां भारत में निवेश की तैयारी कर रही हैं.
यह भी उल्लेखनीय है कि विगत 23 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका यात्रा के दौरान न्यूयॉर्क में एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर काम करने वाली 15 प्रमुख अमेरिकी कंपनियों के सीईओ को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के बहुआयामी क्षेत्रों में दुनिया के लिए अपार आर्थिक मौके हैं. साथ ही, भारत के प्रति अपार आशावाद भी भारत को प्रगति की डगर पर आगे बढ़ा रहा है. बौद्धिक संपदा की सुरक्षा, तकनीकी नवाचार को बढ़ावा, इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी तथा विनिर्माण क्षेत्र को ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए भारत रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रहा है. भारत पिछले तीन वर्षों से लगातार सात प्रतिशत से अधिक की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. इस समय भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. अब उनके तीसरे कार्यकाल में भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सभी प्रयास किये जा रहे हैं. सरकार भारत को ‘सेमीकंडक्टर विनिर्माण का वैश्विक केंद्र’ बनाने के लिए भी प्रतिबद्ध है. ऐसे में वैश्विक कंपनियों को भारत की विकास गाथा का लाभ उठाना चाहिए तथा भारत के आर्थिक और तकनीकी विकास से अवसरों का दोहन करना चाहिए.
इसमें कोई दो मत नहीं है कि अब भारत को आर्थिक दुनिया के एक उभरते सितारे के रूप में देखा जा रहा है, जो भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय साख को दर्शाता है. वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक मंचों पर भारत को विशेष अहमियत भारत की आर्थिक स्थिति से भी मिल रही है. अमेरिका और रूस जैसी महाशक्तियों के साथ मित्रता के नये अध्याय दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा एवं भारतीय बाजार में मौके बढ़ा रहे हैं. भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, कृषि विकास और बढ़ती ग्रामीण अर्थव्यवस्था देश-दुनिया के कारोबारियों और निवेशकों के लिए मौकों का नया द्वार खोल रही हैं. देश में खाद्यान्न उत्पादन ऊंचाई बना रहा है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुताबिक, अब देश की खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ वैश्विक खाद्य सुरक्षा में अहम भूमिका निभाने के लिए भारत रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रहा है. अब भारत दुनिया के खाद्य कटोरे के रूप में रेखांकित हो रहा है. भारत 150 से अधिक देशों को खाद्य पदार्थों के निर्यातक देश के रूप में दुनिया में रेखांकित हो रहा है. भारत दुनिया का आठवां बड़ा कृषि निर्यातक देश बन गया है. उल्लेखनीय है कि भारतीय शेयर बाजार ऊंचाई पर है और दुनिया के लिए भारतीय शेयर बाजार में मौके बढ़ रहे हैं. वर्ष 2024 की शुरुआत से भारत में आईपीओ का बाजार गुलजार है तथा म्युचुअल फंड (एमएफ) में निवेश छलांगें लगाकर बढ़ रहे हैं. अगस्त 2024 तक डीमैट खातों की संख्या 17.10 करोड़ के पार हो गयी है. इसमें कोई दो मत नही है कि विदेश व्यापार में भारत की नयी संभावनाएं दुनिया के लिए नये मौके के रूप में है. ‘चीन प्लस वन’ रणनीति के तहत भारत सक्षम व भरोसेमंद देश के रूप में वैश्विक आपूर्ति शृंखला में नयी भूमिका निभा रहा है.
हम उम्मीद करें कि इस समय पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध के विस्तारित होने के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट के दौर के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी बहुआयामी विशेषताओं के कारण मजबूती के साथ आगे बढ़ेगी.