विकसित भारत का लक्ष्य
भारत के विकसित देश बनने के लक्ष्य को सकारात्मक तरीके से लेते हुए इस दिशा में प्रयास जारी रखने चाहिए, लेकिन इसके लिए सबकी सहभागिता जरूरी होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर कहा है कि भारत वर्ष 2047 तक एक विकसित देश बन जायेगा. उन्होंने यह बात पिछले साल भी स्वतंत्रता दिवस पर कही थी. इस साल भी प्रधानमंत्री ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से कहा था कि आजादी के 100 साल मनाते समय देश का तिरंगा विकसित भारत का तिरंगा होना चाहिए. प्रधानमंत्री ने अब एक बार फिर एक समाचार एजेंसी को दिये गये साक्षात्कार में उम्मीद जतायी है कि 2047 तक भारत का नाम विकसित देशों में शामिल हो जायेगा.
भारत का विकसित देश बनने की महत्वाकांक्षा रखना एक सकारात्मक सोच है. यह संभव भी है, क्योंकि भारत की प्रगति की चर्चा सारी दुनिया में होती है. इसी सदी के आरंभिक दशक में जब अमेरिका के होम लोन संकट से जन्मी आर्थिक मंदी ने सारी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था, तब भारत की आर्थिक दृढ़ता को दुनिया ने महसूस किया था. ऐसे ही कोरोना महामारी के दौरान भी जब दुनिया थम गयी थी, तो भारत न केवल स्वयं संभला, बल्कि उसने बहुत सारे देशों को वैक्सीन और जरूरी सामान उपलब्ध करवा कर सम्मान अर्जित किया.
भारत की ताकत का डंका पिछले दिनों फिर बजा, जब उसके सूर्य और चंद्र मिशन की सारी दुनिया में चर्चा हुई. भारत क्या है और भारत के लोग क्या कर सकते हैं, इसमें किसी को संदेह नहीं. इसलिए भारत के विकसित देश बनने के लक्ष्य को सकारात्मक तरीके से लेते हुए इस दिशा में प्रयास जारी रखने चाहिए, लेकिन इसके लिए सबकी सहभागिता जरूरी होगी. इसके लिए हर देशवासी को विकसित देश होने का मतलब समझाना जरूरी होगा. यह एक वास्तविकता है कि भारत आज ब्रिटेन को छोड़ दुनिया की पांचवें नंबर की अर्थव्यवस्था बन चुका है.
जल्दी ही वह जर्मनी और जापान को छोड़ तीसरे नंबर पर भी पहुंच जायेगा, जहां से उसके आगे बस अमेरिका और चीन होंगे, मगर इन्हीं उपलब्धियों से भारत विकसित देश बन जायेगा, यह समझ सही नहीं है. यूरोप के बहुतेरे देश विकास दर की होड़ में भारत से पीछे हैं, मगर वहां की ठहराव भरी जिंदगी भी बेहतर प्रतीत होती है. दरअसल, विकसित देशों की असल पहचान वहां के नागरिक होते हैं. वह चाहे अमेरिका हो या ब्रिटेन या जर्मनी या जापान, इन सभी देशों में समाज के हर नागरिक के जीवन की गुणवत्ता में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता. इन देशों में सबको शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी समान सुविधाएं और समान अवसर मिला करते हैं. विकसित भारत की सबसे बड़ी चुनौती विकास में सबको शामिल करने की होगी. विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए हर भारतीय को विकास के समान अवसर दिये जाने का प्रयास होना चाहिए.