आत्मनिर्भरता का लक्ष्य

समावेशी नीतियों और कार्यक्रमों से देश की आबादी के बहुत बड़े हिस्से को देश के विकास की यात्रा में सहभागी बनाया गया है.

By संपादकीय | December 26, 2023 6:00 AM

भारत सरकार की विभिन्न कल्याणकारी एवं विकास योजनाओं को देखें, तो उनके पीछे आधारभूत दृष्टि देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की है. आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त कर ही देश संपन्न और समृद्ध बन सकता है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रेखांकित किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य देश की समूची आबादी, जिसमें गरीब भी शामिल हैं, को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने का है और वे इसी कार्य में समर्पित होकर लगे हुए हैं. उन्होंने यह बात स्वनिधि योजना के लाभार्थियों की एक बैठक में कही. उल्लेखनीय है कि सड़कों पर खोखा, पटरी, ठेला आदि लगाकर जीवनयापन करने वाले लोग इस योजना के तहत बैंकों से ऋण ले सकते हैं. इस ऋण के लिए उन्हें कुछ गिरवी रखने की जरूरत नहीं होती. स्वनिधि योजना की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इस ऋण की गारंटी ‘मोदी’ है. रेहड़ी-पटरी लगाने वालों के लिए पहले बैंक से ऋण लेना पहाड़ तोड़ने के बराबर था. मजबूरी में उन्हें बाहर से अधिक ब्याज पर कर्ज लेना पड़ता था. अब वे आवश्यकतानुसार रकम हासिल कर अपने कारोबार को बेहतर कर सकते हैं.

इसी तरह से स्वरोजगार में लगे लोगों के लिए मुद्रा योजना है. अमित शाह ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी 60 करोड़ गरीबों का जीवन स्तर उठाने को लेकर संकल्पित हैं. उनकी इस बात की पुष्टि सरकार की विभिन्न समावेशी नीतियों एवं कार्यक्रमों से होती है. उदाहरण के लिए, जन-धन खातों के जरिये करोड़ों गरीब लोग, खासकर महिलाएं, बैंकिंग प्रणाली से जुड़े हैं. मोदी सरकार के कार्यकाल में करीब तीन करोड़ लोगों को आवास, चार करोड़ लोगों को बिजली, दस करोड़ लोगों को रसोई गैस के सिलेंडर, बारह करोड़ लोगों को शौचालय जैसी सुविधाएं मिलने से ये लोग भी देश के विकास से लाभान्वित हो रहे हैं. स्वास्थ्य पर खर्च अच्छी आमदनी वाले परिवारों को भी परेशान कर देता है. गरीब वर्ग के लिए पांच लाख रुपये के आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना एक वरदान साबित हुई है. इस बीमा के दायरे में 60 करोड़ लोग आते हैं. कोरोना महामारी के दौरान भारत सरकार ने मुफ्त राशन योजना की शुरुआत की थी. साल 2020 से चल रही इस योजना की अवधि को 2028 तक बढ़ा दिया गया है. राशन योजना से जहां 80 करोड़ से अधिक लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा और पोषणयुक्त भोजन सुनिश्चित किया जा रहा है, वहीं इससे खुले बाजार में अनाज की कीमतों को नियंत्रित करने में भी मदद मिल रही है.

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