सरकार, समाज व साथ
समाज के निचले तबके और गरीबों को सहारा देना सबसे ज्यादा जरूरी है. इस दिशा में यह योजना एक जरूरी और बड़ी पहल है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना संक्रमण से पैदा हुए व्यापक संकट का सामना करने के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है. इस प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में जरूरतमंद आबादी को नगदी भी हस्तांतरित की जायेगी तथा गरीब, वंचित, निम्न आयवर्ग, कामगार आदि तबकों के लिए खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित की जायेगी. अपनी जान जोखिम में डालकर चिकित्सा और स्वच्छता से जुड़े कर्मी कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने तथा बीमारों के इलाज के अभियान की अगुवाई कर रहे हैं. उनके लिए समुचित बीमा सुरक्षा का प्रावधान भी इस योजना में किया गया है. इस विपदा के साये का आभास होने के साथ ही केंद्र और राज्य सरकारें लगातार अनेक उपायों को लागू करने का सिलसिला चला रही हैं. इन प्रयासों को एक बड़े आर्थिक पैकेज की दरकार थी, जो काफी हद तक इस योजना से पूरी की जा सकेगी.
प्रधानमंत्री समेत राज्यों के मुख्यमंत्रियों और विभिन्न मंत्रियों ने बार-बार यह भरोसा देश को दिलाया है कि न केवल वायरस के फैलाव को रोकने के लिए हरसंभव कोशिश की जाती रहेगी, बल्कि इस कोशिश और बीमारी की वजह से होनेवाले आर्थिक व वित्तीय समस्याओं के समाधान के लिए भी उपाय होते रहेंगे. समूचा देश लॉकडाउन का पालन करने और एहतिहात बरतने की अहमियत को समझता है कि क्योंकि इस अदृश्य दुश्मन को रोकने का फिलहाल ही यही कारगर तरीका हमेशा पास है. लेकिन इससे हर तरह के उद्योग-धंधे और कारोबार या तो बंद हो रहे हैं या उनकी गतिविधियां बहुत सिमट गयी हैं.
ऐसा लग रहा है, मानो चलती गाड़ी को एकाएक ब्रेक मारकर रोक दिया गया हो. इस झटके से सभी वर्गों पर नकारात्मक असर पड़ा है और आगामी दिनों में यह और भी गंभीर हो सकता है. हम ही नहीं, पूरी दुनिया अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है. एक तो हमारे ऊपर बीमारी का गहराता साया है, तो दूसरी तरफ सामान्य जन-जीवन ठप है. इस माहौल में समाज के निचले तबके और गरीबों को सहारा देना सबसे ज्यादा जरूरी है. इस दिशा में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना एक जरूरी और बड़ी पहल है.
पर यह संकट बहुत बड़ा है और इसके जल्दी टल जाने की उम्मीद भी कम ही है, तो सभी देशवासियों का यह कर्तव्य बन जाता है कि हम सरकारी पहलकदमी में अपनी क्षमता के हिसाब से अपना योगदान दें. जैसा कि प्रधानमंत्री ने निवेदन किया है कि हर परिवार कुछ अन्य मजबूर परिवारों को संभालने का जिम्मा ले, हमें व्यक्तिगत तौर पर, आर्थिक सहयोग देकर या किसी सरकारी या गैर-सरकारी संस्था के माध्यम से जरूरतमंद लोगों और परिवारों के लिए आगे आना चाहिए. इंटरनेट, फोन और अन्य डिजिटल तकनीकों के माध्यम से सहयोग एवं सहकार कर पाना आसान भी है. यह महती चुनौती एक बड़ा अवसर भी है.