गोवा में दुनियाभर की फिल्मों का भव्य मेला
जिस प्रकार भारतीय सिनेमा दुनियाभर में लोकप्रिय हो रहा है, उससे भारतीय फिल्मों के ग्राहक दूर-दराज से मिलने लगे हैं. यही कारण है कि पिछले तीन वर्षों में हमारा फिल्म बाजार 20 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि से आगे बढ़ रहा है. इससे भारत के बाजार की विश्व रैंकिंग पांचवें नंबर पर पहुंच गयी है.
गोवा में उस ‘भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह’ की शुरुआत हो गयी है, जिसकी प्रतीक्षा सिनेप्रेमी साल भर करते हैं. बीस नवंबर से शुरू हुआ यह समारोह 28 नवंबर तक चलेगा. समारोह के इन नौ दिनों के दौरान गोवा में देश-विदेश की लगभग 270 फिल्में प्रदर्शित हो रही हैं. भारतीय फिल्म समारोह के इस 54वें संस्करण से एक नयी शुरुआत यह की जा रही है कि इस बार फीचर फिल्मों के साथ ओटीटी के लिए बनी वेब सीरीज को भी प्रतियोगिता में रखा गया है. इससे इस बार फीचर फिल्मों के साथ-साथ किसी सर्वश्रेष्ठ वेब सीरीज को भी 10 लाख रुपये के नगद पुरस्कार से पुरस्कृत किया जायेगा. विश्व पटल पर यूं कान, बर्लिन, वेनिस, कार्लोवी वारी, हांगकांग, टोरंटो, मेलबोर्न, एडिनबर्ग जैसे प्रसिद्ध फिल्म समारोह की कमी नहीं, लेकिन अब गोवा फिल्म समारोह में भी विश्व के फिल्मकारों की दिलचस्पी तेजी से बढ़ रही है. इस बात की मिसाल इससे भी मिलती है कि 2023 के इस फिल्म समारोह में भाग लेने के लिए 105 देशों से 2,926 प्रविष्टियां प्राप्त हुई हैं, जो पिछली बार से तीन गुना अधिक हैं.
किसी भी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह की सफलता में तीन बड़ी बातों की अहम भूमिका रहती है. एक यह कि समारोह में विश्व सिनेमा की कितनी फिल्मों के प्रीमियर हो रहे हैं. दूसरा, उसमें देश के फिल्म उद्योग के साथ विश्व सिनेमा की कितनी हस्तियां समारोह में हिस्सा ले रही हैं. तीसरा, फिल्म बाजार में कितनी फिल्में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना व्यवसाय करने में सफल रहती हैं. अच्छी बात यह है कि हमारा यह फिल्म समारोह तीनों मामलों में तेजी से आगे बढ़ रहा है. कितनी फिल्में विश्व बाजार को आकर्षित कर पाती हैं, इसके पूरे परिणाम तो 28 नवंबर को मिलेंगे, लेकिन जिस प्रकार भारतीय सिनेमा दुनियाभर में लोकप्रिय हो रहा है, उससे भारतीय फिल्मों के ग्राहक दूर-दराज से मिलने लगे हैं. यही कारण है कि पिछले तीन वर्षों में हमारा फिल्म बाजार 20 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि से आगे बढ़ रहा है. इससे भारत के बाजार की विश्व रैंकिंग पांचवें नंबर पर पहुंच गयी है.
समारोह में अंतरराष्ट्रीय वर्ग में दिखायी जाने वाली कुल 198 फिल्मों में 13 विश्व प्रीमियर, 18 अंतरराष्ट्रीय प्रीमियर, 62 एशिया प्रीमियर और 89 भारतीय प्रीमियर होने जा रहे हैं. पिछले बरस शुरू किये गाला प्रीमियर को भी इस बार विस्तार देते हुए 12 गाला प्रीमियर और दो बेहद खास वेब सीरीज के प्रीमियर भी गोवा में होंगे. समारोह का उद्घाटन भी निर्देशक स्टुअर्ट गैट की ब्रिटिश फिल्म ‘कैचिंग डस्ट’ के अंतरराष्ट्रीय प्रीमियर के साथ हुआ. हॉलीवुड के निर्देशक रॉबर्ट कोलोड्नी की फिल्म ‘द फेदरवेट’ का प्रदर्शन समापन समारोह में होगा, जो इसका एशियन प्रीमियर भी होगा. समारोह में जिन फिल्मों के विश्व प्रीमियर होंगे, उनमें अभिनेता सलमान खान निर्मित ‘फर्रे’ के साथ मूक फिल्म ‘गांधी टॉक्स’, हिंदी फिल्म ‘कडक सिंह’, रौतू की बेली’ और गुजराती फिल्म ‘हरि ओम हरि’ सहित कई फिल्में हैं.
समारोह में शामिल होने के लिए इस बार बहुत से फिल्मकार और सितारे भी गोवा पहुंच चुके हैं, जबकि कुछ आने वाले दिनों में पहुंचेंगे. फिल्मकार शेखर कपूर जूरी के अध्यक्ष के रूप में अंत तक मौजूद रहेंगे. विदेशों से भी कई फिल्मकार आ रहे हैं, जिनमें सर्वाधिक चर्चित हॉलीवुड के दिग्गज फिल्मकार और अभिनेता 79 वर्षीय माइकल डगलस हैं. इन्हें समारोह में प्रतिष्ठित ‘सत्यजित रे लाइफटाइम’ पुरस्कार से नवाजा जायेगा.
समारोह का सबसे बड़ा आकर्षण प्रतियोगी वर्ग की फिल्में होती हैं. इन्हीं में से सर्वश्रेष्ठ फिल्म को स्वर्ण मयूर पुरस्कार मिलता है. सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, अभिनेत्री और निर्देशक जैसे पुरस्कार भी इसी वर्ग में दिये जाते हैं. इस वर्ग में जो 15 फिल्में चुनी गयी हैं, उनमें रूस, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, इस्राइल, इंडोनेशिया, स्विट्जरलैंड, बुल्गारिया, ईरान, पोलैंड, बोस्निया और क्रोएशिया की 12 फिल्में हैं. इस वर्ग में भारत से भी तीन फिल्में- हिंदी फिल्म ‘सना’, कर्बी फिल्म ‘मीरबेन’ और कन्नड़ फिल्म ‘कंतारा’ हैं. किसी निर्देशक की पहली फिल्म की प्रतियोगिता में जिन सात फिल्मों को चुना है, उनमें भी भारत से दो फिल्में हैं- मलयाली फिल्म ‘इरत्ता’ तथा निर्देशक प्रवीण अरोड़ा की हिंदी फिल्म ‘ढाई आखर’, जिसमें मराठी और हिंदी की अभिनेत्री मृणाल कुलकर्णी मुख्य भूमिका में हैं.
उधर ‘भारतीय पेनोरमा’ की 25 फीचर फिल्मों में हिंदी की आठ फिल्में हैं, जिनमें शर्मिला टैगोर की ओटीटी पर प्रशंसा बटोरने वाली ‘गुलमोहर’ और मनोज वाजपेयी की ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ के साथ-साथ ‘द केरला स्टोरी’, ‘द वैक्सीन वार’ और ‘वध’ भी शामिल हैं. विभिन्न प्रतियोगिता वर्ग की ‘ढाई आखर’,‘मंडली’ और ‘सना’ को ‘भारतीय पेनोरमा’ का भी हिस्सा बनाया गया है. समारोह में ‘यूनेस्को गांधी पदक’ पुरस्कार के लिए भी सात विदेशी और तीन भारतीय फिल्में हैं. समारोह में प्रदर्शित होने वाली हमारी कालजयी फिल्में ‘गाइड’, ‘बीस साल बाद’, ‘हकीकत’, श्यामची आई’, पाताल भैरवी’, ’कोरस’ और ‘विद्यापति’ तो सभी का आकर्षण रहेंगी ही.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)