शिक्षा में बड़ी पहल
देश को आत्मनिर्भर बनाना हमारी प्राथमिकता है और इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ हो.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में 14,500 आदर्श विद्यालयों की स्थापना की घोषणा की है. अत्याधुनिक संसाधनों से युक्त इन स्कूलों को पीएम श्री (पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया) की संज्ञा दी गयी है. स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आधारित इन विद्यालयों में बच्चों को भविष्य के लिए तैयार किया जायेगा. उल्लेखनीय है कि इस तरह के स्कूलों के बारे में पहली घोषणा जून में राष्ट्रीय शिक्षा नीति सम्मेलन में की गयी थी.
इस योजना की परिकल्पना तैयार करने की प्रक्रिया में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ शैक्षणिक संस्थानों व विद्वानों से सुझाव लिये गये हैं. देश के विकसित भविष्य को दृष्टि में रखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तैयार किया गया है, जिसकी प्रयोगशाला के तौर पर पीएम श्री स्कूल अन्य उत्कृष्ट विद्यालयों, जैसे- नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय आदि, के साथ काम करेंगे. नवोदय और केंद्रीय विद्यालय पूरी तरह केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित होते हैं,
लेकिन पीएम श्री स्कूलों के संचालन में केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों का भी योगदान होगा. इस योजना में नये स्कूल भी बनेंगे और पहले से स्थापित स्कूलों को भी इस श्रेणी में शामिल किया जायेगा. इस पहल की एक विशेषता यह भी है कि ये स्कूल अपने आसपास के अन्य स्कूलों का भी मार्गदर्शन करेंगे. हालांकि अभी सरकार की ओर यह जानकारी नहीं दी गयी है कि ये विद्यालय कहां-कहां होंगे, पर ऐसी उम्मीद की जा रही है कि ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में भी इन्हें स्थापित किया जायेगा.
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिये गये अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का आह्वान किया था. इस संकल्प को साकार करने के लिए न केवल स्कूली शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की आवश्यकता है, बल्कि समुचित संसाधनों तथा उत्कृष्ट पाठ्यक्रम की भी दरकार है. बड़ी संख्या में बच्चे देश के ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में निवास करते हैं. वहां के मौजूदा स्कूलों की स्थिति संतोषजनक नहीं है.
संसाधनों और शिक्षकों की कमी के कारण उनकी शिक्षा का स्तर अक्सर ऐसा नहीं होता है कि वे आगे की पढ़ाई के लिए शहरों के अच्छे संस्थानों में जा सकें. पीएम श्री स्कूलों से विद्यालयी शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी क्रांति की अपेक्षा की जा सकती है. भविष्य की दुनिया आज से बिल्कुल अलग होगी. तब तकनीक, कौशल, क्षमता बहुलता जैसे कारकों का महत्व बहुत अधिक बढ़ चुका होगा. यदि प्राथमिक स्तर से ही बच्चों की प्रतिभा को बढ़ाने और संवारने के प्रयास होंगे, तो हमारे पास मेधावी मानव संसाधन उपलब्ध होगा.