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Greenery In India : हरियाली का बढ़ता दायरा

Greenery In India : बेशक यह रिपोर्ट एक साल देर से आयी है, पर देश में हरियाली का बढ़ना पर्यावरण के लिहाज से अच्छा है. सराहनीय यह है कि देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 25 प्रतिशत-यानी एक चौथाई हिस्सा अब हरियाली से घिरा है.

Greenery In India : केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शनिवार को इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट (आइएसएफआर), जारी की, जिसके अनुसार, 2023 में देश का हरित आवरण बढ़कर 25.17 प्रतिशत हो गया है. वर्ष 2021 में यह आवरण 24.62 फीसदी था. रिपोर्ट के मुताबिक, वनावरण यानी फॉरेस्ट कवर देश के कुल क्षेत्रफल का 21.76 प्रतिशत, जबकि वृक्षावरण यानी ट्री कवर कुल क्षेत्रफल का 3.41 फीसदी है. पहली बार हरित आवरण में जंगलों से बाहर खेतों में लगे पेड़ों को भी हरित आवरण में शामिल किया गया है, जो पर्यावरणविदों के बीच बहस का मुद्दा है.

बेशक यह रिपोर्ट एक साल देर से आयी है, पर देश में हरियाली का बढ़ना पर्यावरण के लिहाज से अच्छा है. सराहनीय यह है कि देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 25 प्रतिशत-यानी एक चौथाई हिस्सा अब हरियाली से घिरा है. हालांकि यह हरियाली पूरे देश में एक समान नहीं बढ़ी है. रिपोर्ट के अनुसार, देश के पांच राज्यों-छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और झारखंड में हरित आवरण का दायरा बढ़ा है. जबकि मध्य प्रदेश, कर्नाटक, नगालैंड, बिहार और त्रिपुरा जैसे राज्यों में हरित आवरण कम हुआ है, जो चिंता की बात है, क्योंकि ये राज्य अपनी प्राकृतिक विविधता और सौंदर्य के लिए जाने जाते रहे हैं. इस बार की रिपोर्ट में जंगल में लगने वाली आग के ब्योरों को भी शामिल किया गया है.

रिपोर्ट बताती है कि पिछले दो साल में जंगल में आग लगने की सबसे अधिक घटनाएं उत्तराखंड में हुईं. वहां जंगल में आग लगने के कुल 21,033 मामले सामने आये, जबकि ओडिशा में 20,973 मामले और छत्तीसगढ़ में 18,950 मामले सामने आये. सिर्फ यही नहीं कि जंगल में लगने वाली आग से जान-माल, संपत्ति और पर्यावरण का बड़ा नुकसान होता है, बल्कि हाल के वर्षों में विभिन्न कारणों से जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं.

हालांकि रिपोर्ट बताती है कि जंगल में आग लगने की घटनाएं 2021-22 में 2.23 लाख थीं, जो 2023-24 में घटकर 2.03 लाख रह गयीं. लेकिन यह आश्वस्ति का कारण इसलिए नहीं हो सकता, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में जंगल में आग लगने के भीषण परिणाम हम लगातार देखते आ रहे हैं. यह भी नहीं भूलना चाहिए कि 1988 की राष्ट्रीय वन नीति में कहा गया था कि कुल हरित आवरण देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का कम से कम 33 प्रतिशत यानी एक तिहाई होना चाहिए. देश भर में भूस्खलन और दूसरे प्राकृतिक प्रकोपों को देखते हुए हरित आवरण बढ़ाने का अभियान जारी रहना चाहिए.

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