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किशोरियों के यौन शोषण पर ब्रिटेन में उबाल, पढ़े बीबीसी के पूर्व संपादक शिवकांत शर्मा का आलेख

Grooming gang scandal : ग्रूमिंग गैंग द्वारा किये जा रहे बच्चियों के यौन शोषण के आंकड़े देखें, तो अपराध की शिकार 85 प्रतिशत बच्चियां गोरे समुदाय की हैं, जबकि यौन अपराधियों में 85 प्रतिशत पाकिस्तानी मूल के हैं. ये अपराध भी उन्हीं क्षेत्रों में हो रहे हैं, जहा बड़ी संख्या में एशियाई मुस्लिम रहते हैं.

Grooming gang scandal : अरबपति अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क ने ग्रूमिंग गैंग स्कैंडल को लेकर पिछले दो सप्ताह से ब्रितानी सरकार पर निशाना साध रखा है. ब्रिटेन में पिछले तीन दशकों से पुरुषों के गैंग नाबालिग बच्चियों को तरह-तरह के प्रलोभन देकर फंसाने और फिर शराब और नशीली दवाओं की लत लगाकर उनका बलात्कार और व्यापार करते आ रहे हैं. ग्रूमिंग गैंग नाम से कुख्यात इन पुरुषों में अधिकांश पाकिस्तानी मूल के हैं और इनका शिकार बनने वाली अधिकांश बच्चियां कामकाजी वर्ग के गोरे समुदाय की होती हैं.

मस्क ने इन हजारों नाबालिग किशोरियों के यौन शोषण को ब्रिटेन के बलात्कार की संज्ञा देते हुए आरोप लगाया कि इसे न रोक पाने में ब्रितानी प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और सुरक्षा मंत्री जैस फिलिप्स की मिलीभगत है. इस स्कैंडल की ओर मस्क का ध्यान तब गया, जब जैस फिलिप्स ने इसकी राष्ट्रीय स्तर की सरकारी जांच कराने के ओल्डहैम की जिला परिषद के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. इसके बाद विपक्षी दक्षिणपंथी रिफॉर्म पार्टी के नेता नाइजेल फराज, हैरी पॉटर की लेखिका जेके रॉलिंग और पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने भी मस्क के सुर में सुर मिलाया और स्कैंडल की राष्ट्रीय जांच कराने की मांग की, पर स्टारमर ने मस्क पर गलत सूचनाएं फैलाने का आरोप लगाया.


ग्रूमिंग गैंग मध्य और उत्तरी इंगलैंड के शहरों में पिछली सदी के अंत से सक्रिय हैं, पर पहला मामला रॉदरहैम की पुलिस और जिला परिषद के संज्ञान में 2001 में आया. उन्हें टैक्सी ड्राइवरों के गैंग का पता चला, जो नाबालिग बच्चियों को केयर होम से सैर-सपाटे का लालच देकर ले जाता था और उनका यौन शोषण करता था, पर इनका जुर्म साबित करने में 10 साल लगे और इन्हें 2010 में जाकर सजा मिलनी शुरू हुईं. जिन 11 लोगों को पहली सजा मिली, वे पाकिस्तानी मूल के मुस्लिम थे. फिर 2011 में रॉदरहैम के 200 गोपनीय दस्तावेज टाइम्स अखबार के रिपोर्टर एंड्रयू नॉर्फक के हाथ लगे, जिनसे पता चला कि पुलिस और बाल सुरक्षा एजेंसियों ने बालिकाओं के यौन शोषण की जानकारी होने के बावजूद दशकों तक किसी को सजा नहीं दिलवायी. उसके बाद 2014 में प्रो एलेक्सिस जे ने रॉदरहैम में 16 वर्ष के दौरान हुए बालिका यौन शोषण पर रिपोर्ट जारी की, जिसने पूरे देश का ध्यान खींचा.

डेली मेल अखबार ने हाल में ग्रूमिंग गैंगों द्वारा हुए बालिका यौन शोषण का एक मानचित्र छापा है, जिससे पता चलता है कि मैनचेस्टर, बर्मिंघम, लंदन, शैफील्ड, ब्रैडफर्ड, ब्रिस्टल, लेस्टर और ऑक्सफोर्ड जैसे कुल 41 शहरों में 76 ग्रूमिंग गैंगों ने हजारों नाबालिग बच्चियों का बलात्कार, व्यापार और उत्पीड़न किया है. इनमें से अभी तक केवल 396 यौन दुराचारियों को सजा हुई है, जिनमें से कम से कम 155 सजा काट कर बरी भी हो चुके हैं और उन्हीं शहरों में घूम रहे हैं, जहां उन्होंने यौन शोषण किया था.


प्रधानमंत्री कीर स्टारमर राजनीति में कदम रखने से पहले 2008 से 2013 तक ब्रिटेन के मुख्य अभियोक्ता रहे हैं. यही वह दौर था, जब ग्रूमिंग गैंग स्कैंडल राष्ट्रीय मुद्दा बन कर उभरा था और अपराधियों को सजा मिलनी शुरू हुई थी. स्टारमर का दावा है कि उनके अभियोक्ता कार्यकाल में ग्रूमिंग गैंग के सबसे अधिक अपराधियों को सजा दी गयी थी. इसके लिए तत्कालीन कंजर्वेटिव सरकार ने उनकी तारीफ भी की थी. उनका कहना है कि अब न तो और सलाह-मशविरे की जरूरत है, न और जांच-पड़ताल की. जरूरत है तो बस इस अपराध को रोकने की कार्रवाई की, परंतु इंग्लैंड और वेल्स के 43 पुलिस बलों के अपराध आंकड़ों से पता चलता है कि जहां 2023 में ग्रूमिंग गैंग के 717 अपराध सामने आये थे, वहीं पिछले वर्ष के पहले नौ महीनों में इनकी संख्या 572 हो गयी. इससे सिद्ध होता है कि इतनी जांच और सजा के बावजूद ग्रूमिंग गैंग के अपराधों में कमी नहीं आ रही. इसीलिए ओल्डहैम जिला परिषद ने राष्ट्रव्यापी स्वतंत्र जांच की मांग रखी थी, जिसके प्रस्ताव को स्टारमर सरकार ने संसद में पारित नहीं होने दिया.


ब्रिटेन के दक्षिणपंथी नेताओं और समाचार माध्यमों का आरोप है कि प्रधानमंत्री स्टारमर की लेबर सरकार प्रचंड बहुमत के बावजूद राष्ट्रव्यापी स्वतंत्र जांच कराने से इसलिए कतरा रही है, क्योंकि उसे निर्णायक मुस्लिम आबादी वाले चुनाव क्षेत्रों में राजनीतिक नुकसान होने और सांप्रदायिक तनाव फैलने का खतरा है. जिन 41 शहरों में ग्रूमिंग गैंग ने अपराध किये हैं, वे ब्रिटेन के उन 80 चुनाव क्षेत्रों में पड़ते हैं जहां मुस्लिम जनसंख्या 10 से 25 प्रतिशत है. राष्ट्रव्यापी स्वतंत्र जांच के बाद यह बात छिपी नहीं रहेगी कि ग्रूमिंग गैंग के अपराधी मुख्य रूप से पाकिस्तानी मूल के मुस्लिम हैं. रॉदरहैम की सांसद सैरा चैंपियन को यह लिखने के बाद जान की धमकियां मिली थीं कि ब्रिटेन में पाकिस्तानी मूल के पुरुषों द्वारा गोरी बच्चियों के बलात्कार और यौन शोषण की समस्या गंभीर है.

ब्रितानी मुसलमानों ने अब एक सर्वदलीय संसदीय समिति से इस्लामोफोबिया की एक परिभाषा तय करा ली है. उसके अनुसार ग्रूमिंग गैंग के अपराधियों की जातीयता और धर्म की बात करना इस्लामोफोबिया माना जायेगा और वह दंडनीय अपराध होगा. बच्चों के यौन शोषण अपराध के देशव्यापी आंकड़ों को देखें, तो 83 प्रतिशत अपराधी गोरे और केवल सात प्रतिशत एशियाई मूल के हैं. पर यदि ग्रूमिंग गैंग द्वारा किये जा रहे बच्चियों के यौन शोषण के आंकड़े देखें, तो अपराध की शिकार 85 प्रतिशत बच्चियां गोरे समुदाय की हैं, जबकि यौन अपराधियों में 85 प्रतिशत पाकिस्तानी मूल के हैं. ये अपराध भी उन्हीं क्षेत्रों में हो रहे हैं, जहा बड़ी संख्या में एशियाई मुस्लिम रहते हैं.


अमेरिका में रहने वाली और नीदरलैंड की पूर्व सांसद व लेखिका अयान हर्शी अली का कहना है कि असल समस्या महिलाओं और उनके रहन-सहन के प्रति इस्लामी और पश्चिमी नजरिये के टकराव की है. ब्रितानी और यूरोपीय समाज जिसे नारी स्वतंत्रता और निजी अभिव्यक्ति मानता है, मुस्लिम समाज उसे नीची और नग्नता की नजर से देखता है. यह संस्कृतियों का टकराव है. यौन शोषण का शिकार हुई लड़कियों ने गवाही में बताया है कि उनके लिए गोरी गंदगी और गोरा कचरा जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जो हर्शी अली के विचारों की पुष्टि करता है. हर्शी अली का कहना है कि ग्रूमिंग गैंग की समस्या का एक बड़ा कारण ब्रिटेन में फैलती शरीया परिषदें भी हैं, जिनकी संख्या बढ़ कर 85 हो गयी हैं. इनमें मौलवी उस मध्ययुगीन सोच को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे टकराव पैदा होता है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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