हैकिंग के बढ़ते खतरे
भारत उन कुछ देशों में है, जहां सबसे अधिक साइबर हमले होते हैं.
राष्ट्रीय स्तर प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान एम्स के सर्वरों की हैकिंग ने साइबर सुरक्षा की चिंताओं को बढ़ा दिया है. हैकरों ने करीब चार करोड़ मरीजों के संवेदनशील डाटा में सेंधमारी तो की ही है, संस्थान में रोगियों के जांच और उपचार भी बाधित हैं. वैश्विक स्तर पर हैकिंग एक संगठित अपराध बन चुका है और इसके कई अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क सक्रिय हैं. रिपोर्टों की मानें, तो एजेंसियों को ऐसे सूत्र मिले हैं, जिनसे संकेत मिलता है कि एम्स की हैकिंग के तार एक पड़ोसी देश से जुड़े हो सकते हैं.
हालांकि सही तस्वीर तो जांच पूरी होने के बाद ही सामने आ सकेगी, लेकिन हाल के समय में बैंकिंग धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के अनेक मामलों में यह पता चला है कि इनके सरगना चीन, म्यांमार, थाइलैंड आदि देशों से हो सकते हैं. अपराधी हैकरों का मनोबल किस हद तक बढ़ा हुआ है, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि एम्स के हैकरों ने क्रिप्टोकरेंसी में दो सौ करोड़ रुपये की फिरौती की मांग की है.
हाल में यह खबर भी सुर्खियों में थी कि दुनियाभर के पचास करोड़ व्हाट्सऐप यूजरों का डाटा इंटरनेट पर बिक्री के लिए उपलब्ध है. इसमें भारतीय यूजरों की भी बड़ी संख्या होने की आशंका है. उल्लेखनीय है कि भारत उन कुछ देशों में है, जहां सबसे अधिक साइबर हमले होते हैं. हमारे देश में डिजिटल तकनीक का विस्तार बहुत तेजी से हो रहा है और तमाम सेवाओं एवं सुविधाओं को कंप्यूटर व इंटरनेट से जोड़ा जा रहा है. ऐसे में हमें साइबर सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करने की आवश्यकता है.
एम्स के सर्वरों के डाटा को बचाने तथा उनके डिजिटल साफ-सफाई की प्रक्रिया चल रही है. हैकिंग और साइबर धोखाधड़ी जैसे अपराध न केवल आतंकवादी गतिविधियों से संबद्ध होने लगे हैं, बल्कि अनेक देश इन पैंतरों से अपने भू-राजनीतिक एवं सामरिक हित साधने की कोशिश भी करने लगे हैं. आधुनिक युद्ध रणनीति में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाना एक अहम हिस्सा बन चुका है.
एम्स की घटना भविष्य की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने में मददगार हो सकती है. इसमें हैकरों ने केवल मुख्य सर्वरों को ही निशाना नहीं बनाया है, बल्कि दिल्ली के अन्य एम्स केंद्रों के कंप्यूटर सिस्टम में भी सेंधमारी की है. विशेषज्ञों की राय है कि सेंधमारों को पूरे सिस्टम में कहीं से भी घुसने और पहुंचने में आसानी रही. तभी वे बहुत भारी नुकसान करने में कामयाब रहे हैं तथा डाटा वापस पाने व सिस्टम को ठीक करने में परेशानी हो रही है. देश के सभी संवेदनशील संस्थाओं में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की तुरंत समीक्षा कर सुरक्षात्मक उपाय किये जाने चाहिए. ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी बढ़ाया जाना चाहिए.