इन परिणामों से विपक्ष को काफी कुछ सीखने की जरूरत
उदहारण के तौर पर देखें, तो 2017 के चुनाव में बीजेपी जहां केवल 99 सीटों पर ही सिमट गयी थी, वहीं कांग्रेस को 77 सीट मिले थे. इस प्रकार, बहुत कम सीटों के अंतर से बीजेपी ने अपनी सरकार बनायी.
भले ही कांग्रेस हिमाचल प्रदेश का चुनाव जीत चुकी है, लेकिन सत्ता में लंबी पारी खेलने के लिये उसे अभी लंबा संघर्ष करना होगा. हालिया चुनावी नतीजों को ध्यान में रखते हुए विपक्ष को निम्न सुझावों पर भी कार्य करने की जरूरत है. पहला, विपक्ष को अपनी काम-काज की शैली में संरचनात्मक बदलाव करने की जरूरत है. इसके लिए उसे आम लोगों से जुड़ना होगा, जनता कि नब्ज पहचाननी होगी.
उदहारण के तौर पर देखें, तो 2017 के चुनाव में बीजेपी जहां केवल 99 सीटों पर ही सिमट गयी थी, वहीं कांग्रेस को 77 सीट मिले थे. इस प्रकार, बहुत कम सीटों के अंतर से बीजेपी ने अपनी सरकार बनायी. लेकिन उसी समय से बीजेपी अपनी सीटें बढ़ाने की रणनीति में जुट गयी थी. अपनी रणनीति के तहत उसने तात्कालिक सरकार के सभी मंत्रियों को बदलकर एक नयी सरकार का गठन किया. इससे पहले ऐसा कार्य किसी भी सरकार द्वारा नहीं किया गया था. प्रधानमत्री और गृहमंत्री द्वारा पिछले दो महीने से युद्धस्तर पर तैयारी की जा रही थी.
दूसरा, समाज के हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देना. बीजेपी की अगर बात की जाए, तो उसने हार्दिक पटेल जैसे बीजेपी के कट्टर आलोचकों को भी अपने में समावेशित कर उन्हें भी प्रतिनिधित्व दिया. समाज के हर समुदाय, वर्ग, जाति को साथ लेकर चली. विपक्ष को यह समझना होगा कि संगठन में शक्ति किसी एक-दो जाति के समीकरण या किसी व्यक्ति विशेष से नहीं आती, बल्कि यह विभिन्न समुदायों को समावेशित कर उन्हें नेतृत्व में भागीदारी देकर आती है.
तीसरा, राजनीति चौबीसों घंटे, सातों दिनों का खेल है. एक बार चुनाव में जीतकर या हारकर बाकी समय के लिये शीत निद्रा में चले जाना विपक्ष के लिये घातक साबित हो रहा है. चुनाव के बाद भी जमीन पर अपनी राजनीतिक मजबूती कायम रखनी होगी. लोगों के बीच जाना होगा, एक बदलाव या अांदोलन को सतत रूप से जारी रखना होगा. चौथा, आज देश में महंगाई, बेरोजगारी समेत अनेक बातों से लोग परेशान हैं, लेकिन विपक्ष में इन राजनीतिक मुद्दों को मुद्दा बनाने की कमी हमेशा से देखी गयी है.
वह इन मुद्दों को जनता के बीच में नहीं ला पाती, जिससे जनता का विश्वास विपक्ष पर नहीं बन पाता. हिमाचल में कांग्रेस के जीत की सबसे बड़ी वजह वहां के स्थानीय मुद्दों को जनता के बीच में लाना था. पांचवां, इन चुनावों में आम अादमी पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी बनकर उभरी है. राजनीतिक गलियारों में यह बात हमेशा कही जाती है कि राजनीति के स्पेस में कभी कोई निर्वात नहीं होता.
कांग्रेस द्वारा खाली की गयी जगह को आप भरने में कामयाब नजर आ रही है. गुजरात में कांग्रेस का गिरता वोट प्रतिशत और आप की बढ़त इस बात को प्रमाणित करती है. कांग्रेस को आप और बीजेपी की राह पर चलते हुए चौबीसों घंटे, सातों दिन कि राजनीति पर ध्यान देना होगा. (बातचीत पर आधारित).
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)