19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

खतरनाक वायु प्रदूषण

साल 2019 में वायु प्रदूषण के कारण हुईं या गंभीर हुईं बीमारियों की वजह से पूरी दुनिया में 67 लाख मौतें हुई थीं, जिनमें से 16 लाख लोग भारत के थे.

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए भारत समेत विश्व के बड़े हिस्से में लॉकडाउन जैसे उपाय करने पड़े थे. इस दौरान कामकाज, उद्योग और यातायात ठप पड़ जाने से वायु प्रदूषण लगभग समाप्त हो गया था. लेकिन अनलॉक के साथ हवा में फिर जहर घुलने लगा है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण कोरोना से पहले के स्तर पर पहुंचने लगा है. दिल्ली समेत उत्तर भारत के अनेक शहर दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्रों में हैं. जाड़े के मौसम में कोहरे, पराली व अलाव जलाने तथा बिजली की अधिक खपत से प्रदूषण में तेज बढ़ोतरी की आशंका है.

दुर्भाग्य की बात है कि इस समस्या पर अंकुश लगाने और इसके समाधान की कोशिशों के दावों के बावजूद इसके खतरे में कमी नहीं आ रही है. यह चुनौती कितनी भयावह है, इसका अंदाजा वैश्विक वायु स्थिति की ताजा रिपोर्ट से लगाया जा सकता है. साल 2019 में वायु प्रदूषण के कारण हुईं या गंभीर हुईं बीमारियों की वजह से पूरी दुनिया में 67 लाख मौतें हुई थीं, जिनमें से 16 लाख लोग भारत के थे.

प्रदूषण का कहर भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी तबाही का कारण बन रहा है. पिछले साल दुनिया में करीब पांच लाख नवजात शिशु इसी वजह से मौत के आगोश में सो गये. भारत में यह संख्या 1.16 लाख रही थी. प्रदूषण जहां दुनिया में मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण है, वहीं हमारे देश में यह स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक घातक है. यदि हम घर के बाहर हवा में मौजूद प्रदूषणकारी तत्वों का आकलन देखें, तो चिंता और बढ़ जाती है. साल 2010 और 2019 के बीच के एक दशक की अवधि में भारत में पीएम 2.5 की मात्रा में 61 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

ये तत्व हमारे देश में होनेवाली आधे से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार हैं. यह भी उल्लेखनीय है कि नवजात शिशुओं में लगभग 64 फीसदी मौतें घर के भीतर की हवा में मौजूद जहर से हुई है. प्रदूषण के कारण होनेवाली बीमारियों और शारीरिक क्षमता में कमी के कारण कार्यदिवसों का भी बड़ा नुकसान होता है, जो भारत जैसे उभरती अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है. इससे साफ जाहिर होता है कि घर के भीतर चूल्हा, अंगीठी आदि तथा बाहर औद्योगिक धुआं, निर्माण कार्यों और वाहनों से फैलनेवाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए व्यापक स्तर प्रयासों की आवश्यकता है.

रिपोर्ट ने चिन्हित किया है कि रसोई गैस वितरण इस दिशा में एक अहम पहल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के भीतर और बाहर सौर ऊर्जा समेत स्वच्छ ऊर्जा के अन्य उपायों को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं. सौर ऊर्जा के उत्पादन में वृद्धि के लिए भारत और फ्रांस की अगुवाई में अंतरराष्ट्रीय समूह का गठन भी हुआ है. ऐसे उपायों को अमल में लाने की गति तेज की जानी चाहिए ताकि हम प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना ठीक से कर सकें.

Posted by : Pritish Sahay

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें