चेन्नई में चल रहा 44वां शतरंज ओलिंपियाड अनेक मायनों में ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण है. यह पहला अवसर है, जब यह आयोजन भारत में हो रहा है. अगर हम इस खेल आयोजन को प्रतिभागी देशों की संख्या और उसकी लोकप्रियता की दृष्टि से देखें, तो 2010 में आयोजित कॉमनवेल्थ खेल के बाद हमारे देश में होने वाला सबसे बड़ा आयोजन है. अनेक खेल विशेषज्ञ और खेलों से जुड़े लोग यह भी मानते हैं कि चेस ओलिंपियाड कॉमनवेल्थ से भी बड़ा आयोजन है.
उल्लेखनीय है कि विभिन्न देशों के बड़े खिलाड़ियों से बनी टीमें तो हिस्सा लेती ही हैं, वहीं एक देश से एक से अधिक टीमें भी प्रतियोगिता में भाग लेती हैं. इस आयोजन के संदर्भ में यह बात भी रेखांकित की जानी चाहिए कि खेल प्रतियोगिताओं के आयोजक के रूप में भारत की क्षमता हाल के समय में बढ़ी है. इस बार का चेस ओलिंपियाड पहले रूस में आयोजित होने वाला था,
लेकिन कोरोना महामारी से जुड़ी समस्याओं तथा रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वहां इसका आयोजन होना लगभग असंभव हो गया था. रूस ने आयोजन से मना करते हुए यह भी कहा कि अगर वे इसे आयोजित करते भी हैं, तो वर्तमान स्थिति में बहुत से देश इसमें शामिल नहीं होंगे और यह एक राजनीतिक मसला बन जायेगा. यह शतरंज ओलिंपियाड के महत्व के लिए नुकसानदेह हो सकता था.
ऐसी स्थिति में इतने कम समय में इस प्रतियोगिता का आयोजन कर पाना किसी भी देश के लिए आसान मामला नहीं था, लेकिन भारत और चेस फेडरेशन ऑफ इंडिया ने आगे बढ़ कर पहल की और इसका आयोजन सफलतापूर्वक चल रहा है. इस संदर्भ में तमिलनाडु सरकार और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के उत्साह को क्रेडिट दिया जाना चाहिए. इस बार के चेस ओलिंपियाड में पहली बार टॉर्च रिले रखा गया. यह बहुत ही सकारात्मक पहल है.
जगह-जगह इस टॉर्च रिले के जाने से इस आयोजन के बारे में जागरूकता बढ़ी. देशभर में इसका जोरदार स्वागत भी हुआ. यह शतरंज की लोकप्रियता को भी इंगित करता है. चेस के अंतरराष्ट्रीय संगठन ने घोषणा की है कि आगे जब-जब यह ओलिंपियाड होगा, उसमें टॉर्च रिले होगा तथा इसकी शुरुआत हमेशा भारत से होगी. इसकी बड़ी वजह यह है कि हमारे इतिहास में भी चेस का खासा महत्व रहा है.
भारत में शतरंज की सबसे अधिक लोकप्रियता तमिलनाडु में है और हमारे अधिकतर ग्रैंडमास्टर उसी राज्य से आते हैं. चेस के सबसे बड़े खिलाड़ी मूलतः तमिलनाडु से हैं, हालांकि अब वे नॉर्वे के नागरिक बन गये हैं. तमिलनाडु में चेस की पुरानी परंपरा रही है और वहां इसे हमेशा बढ़ावा भी दिया जाता रहा है. वहां ऐसे लोगों की तादाद भी बहुत है, जो चेस को समझते हैं. शतरंज के जो दर्शक होते हैं, वे अन्य खेलों के दर्शकों की तरह नहीं होते.
अभी यह आयोजन चल ही रहा है और तमाम उलट-फेर हो रहे हैं. इसलिए नतीजों पर अभी चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है. भारत की टीम-ए फिलहाल 11वें पायदान पर है, पर किशोरों से भारी टीम-बी ओपन कैटेगरी में शीर्ष पर है. इस आयोजन से और हमारे खिलाड़ियों के प्रदर्शन से निश्चित ही देश में शतरंज के प्रति आकर्षण में बढ़ोतरी की उम्मीद है.
यह भी उल्लेखनीय है कि इस ओलिंपियाड का उद्घाटन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन की उपस्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है. किसी भी खेल को और उसके आयोजन को जब ऐसे लोकप्रिय नेताओं और सरकारों का समर्थन मिलता है तथा दुनियाभर के नामी-गिरामी खिलाड़ी भारत आकर चेस खेलते हैं, तो इसका सकारात्मक प्रभाव अवश्य होगा.
जहां तक प्रतिस्पर्धात्मक शतरंज की बात है, तो भारत ने इसमें अपनी एक पहचान बनायी है. भारत उन कुछ देशों में गिना जाता है, जिनकी टीमों ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है. इस आयोजन में हमारी टीम-बी के अच्छे प्रदर्शन से यह जाहिर होता है कि आने वाले समय के लिए हमारे पास प्रतिभाओं का एक समूह तैयार हो रहा है, जो विश्व पटल पर अपनी धाक जमा सकता है.
इस आयोजन से, विशेष रूप से हमारे खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन से देशभर के बच्चों एवं किशोरों में उत्साह का संचार होगा तथा जहां भी चेस के प्रशिक्षण की व्यवस्था है, वहां नयी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का प्रयास होगा. यह सभी जानते हैं कि शतरंज मुख्यतः एक मानसिक खेल है. इसमें जो विश्लेषण की प्रक्रिया होती है, वह बहुत अहम है.
प्रतिस्पर्धात्मक शतरंज में अलग-अलग खिलाड़ियों के साथ खेलना और आयोजनों में भाग लेना यानी एक्सपोजर भी बहुत मायने रखता है. दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु, में यह हुआ है कि वहां चेस कल्चर को हमेशा बढ़ावा मिलता रहा है. ऐसा नहीं हो सकता कि हम एक बार चेस ओलिंपियाड कर लें या टॉर्च रिले कर लें और खेल के भविष्य को लेकर निश्चिंत हो जाएं.
इन चीजों से उत्साह और जागरूकता में वृद्धि जरूर होगी, लेकिन अगर हम चेस को गंभीरता से देशभर में प्रसारित करना चाहते हैं, तो दक्षिण के चेस कल्चर को देश के अन्य भागों में भी स्थापित करना होगा. हमें बड़े खिलाड़ियों और उभरते खिलाड़ियों को जुटा कर खेल आयोजन कराने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. इससे प्रतिभाओं को सामने लाने के अवसर बढ़ेंगे और हम विश्व शतरंज में बेहतर हो सकेंगे.