महंगाई पर लगाम
किसी भी देश में महंगाई को काबू करने में उस देश के केंद्रीय बैंक की बड़ी भूमिका होती है. ये बैंक दरों या ब्याज दरों को ऊपर-नीचे कर महंगाई को काबू में रखते हैं.
पिछले महीने भारत में एक लंबे समय के बाद महंगाई की दर घटने की खबर आयी थी. मई में खुदरा महंगाई दर, यानी सीपीआई 4.25 प्रतिशत दर्ज की गयी. एक साल पहले यह 7.04 प्रतिशत थी. यानी एक साल में मुद्रास्फीति 2.79 प्रतिशत घटी. मुद्रास्फीति चीजों की कीमतों के बढ़ने या घटने की रफ्तार को कहा जाता है. किसी वस्तु की कीमत एक साल पहले क्या थी और वर्तमान में उसकी कीमत क्या है, इसके अंतर से मुद्रास्फीति का पता चलता है. ऐसी ही कई वस्तुओं के एक समूह को मिलाकर खुदरा महंगाई की दर निकाली जाती है जो पिछले महीने 4.25 प्रतिशत पर आ गयी. अब भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि बैंक का पूरा प्रयास है कि इस दर को चार प्रतिशत तक रखा जाए.
दरअसल, किसी भी देश में महंगाई को काबू करने में उस देश के केंद्रीय बैंक की बड़ी भूमिका होती है. ये बैंक दरों या ब्याज दरों को ऊपर-नीचे कर महंगाई को काबू में रखते हैं. यदि इसमें वृद्धि होती है तो कर्ज लेना महंगा हो जाता है. इससे लोगों की जेब में कम पैसे होते हैं और वे कम पैसे खर्च करते हैं. इससे मांग घटती है और दाम नीचे आ जाते हैं. इसके उलट, जेब में पैसे ज्यादा होने पर चीजें भी महंगी होने लगती हैं. दुनिया के बड़े-बड़े देश अभी महंगाई को काबू करने को लेकर जूझ रहे हैं. अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के केंद्रीय बैंकों ने हाल के समय में कई बार बैंक दरों को बढ़ाया है. अमेरिका में वर्ष 2022 के जून में खुदरा महंगाई की दर बढ़कर 9.1 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी जो पिछले 40 सालों में सर्वाधिक थी. इसके बाद से अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने कई बार बैंक दर बढ़ाये, जिससे पिछले एक साल में महंगाई घटी और मई में घटकर चार प्रतिशत पर आ गयी.
भारत में भी इसी लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश की जा रही है. रिजर्व बैंक ने पिछले साल से अब तक बैंक दर में कुल मिलाकर 2.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. और, पिछले एक साल में भारत में भी महंगाई की दर कम हुई है. कच्चे तेल की कीमतों के कम होने और देश में खाद्यान्नों के भंडार की वजह से भी महंगाई नियंत्रित रही. हालांकि, आरबीआइ गवर्नर ने कहा है कि अल नीनो जैसे मौसमी बदलावों को लेकर थोड़ी चिंता की स्थिति बनी हुई है. भारत जैसे कृषि प्रधान देश में महंगाई को नियंत्रित रखने में खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता बहुत आवश्यक है. महंगाई और जरूरी सामानों की किल्लत कैसे अराजकता में बदल जाती है, इसका उदाहरण पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे भारत के पड़ोसी मुल्कों में देखा जा चुका है.