Hypersonic Missile : रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने शनिवार रात लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण कर देश को गौरवान्वित किया. ओडिशा के तट के पास एपीजे अब्दुल कलाम आजाद द्वीप से इस मिसाइल को ग्लाइडेड व्हीकल से लांच किया गया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए इसे भारत के लिए गौरव का पल बताया है, तो यह स्वाभाविक ही है.
डीआरडीओ इन मिसाइलों पर दरअसल काफी लंबे समय से काम कर रहा है. इसने 2020 में हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटेड व्हीकल (एचएसटीडीवी) का सफल परीक्षण भी किया था. अब हाइपरसोनिक मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास यह उन्नत टेक्नोलॉजी है. हाइपरसोनिक मिसाइल दरअसल वह मिसाइल है, जो ध्वनि की गति से पांच गुना तेज रफ्तार से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती है. हालांकि बैलेस्टिक मिसाइल भी ध्वनि की गति से तेज चलती है. लेकिन सबसे आधुनिक मिसाइल तकनीक हाइपरसोनिक मिसाइलों को खास बनाती है. लंबी दूरी की इस हाइपरसोनिक मिसाइल से हवा, पानी और जमीन, तीनों जगहों से निशाना साधा जा सकता है.
बताया जा रहा है कि लांचिंग के बाद इसकी रफ्तार 6,200 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है. ये मिसाइलें 480 किलोग्राम के परमाणु हथियार या पारंपरिक हथियार ले जा सकती हैं, और परमाणु हथियार क्षमता वाले देशों के लिए तो ये मिसाइलें बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. हाइपरसोनिक मिसाइलें अपनी तेज रफ्तार के कारण ज्यादा विध्वसंक होती हैं, तो इन्हें दुनिया के किसी भी रडार से पकड़ पाना लगभग नामुमकिन है. इन्हें दुनिया का कोई भी मिसाइल डिफेंस सिस्टम मार नहीं सकता. ये मिसाइलें हवा में रास्ता बदलने में सक्षम हैं और जगह बदल रहे लक्ष्य को भी भेद सकती हैं. हालांकि अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइलों से इनकी रफ्तार कम होती है, लेकिन भूमिगत हथियार गोदामों को तबाह करने में ये मिसाइलें सबसोनिक क्रूज मिसाइलों से कहीं अधिक प्रभावी होती हैं. इन्हीं सब विशेषताओं के कारण इन मिसाइलों को आधुनिक युद्ध में ज्यादा ताकतवर माना जाता है.
हाइपरसोनिक मिसाइल में वस्तुत: स्क्रैमजेट इंजन का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे भारत ने रूस की मदद से विकसित किया था. इस बेहद खास इंजन की मदद से ही यह मिसाइल 6,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार हासिल कर पाती है. 1,500 किलोमीटर से ज्यादा की रेंज वाली इस मिसाइल को गेम चेंजर बताया जा रहा है, तो यह अनायास नहीं है. हालांकि इस मिसाइल को सैन्य बेड़े में शामिल करने में समय लगेगा, फिर भी रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि तो यह है ही.