Cancer Genome Database : आईआईटी, मद्रास ने देश का पहला कैंसर जीनोम डाटाबेस लॉन्च कर कैंसर की पहचान और उसके इलाज की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. ‘भारत कैंसर जीनोम एटलस’ के नाम से इसे विगत तीन फरवरी को लॉन्च किया, जिसका व्यापक उद्देश्य देश में कैंसर के अनुसंधान को बदलना है. कैंसर दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में से एक है और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि अपने यहां भी इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.
वर्ष 2022 से अपने यहां कैंसर के मामलों में 12.8 फीसदी की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गयी है और फिलहाल देश में 14,61,427 लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं. इसके बावजूद कैंसर के जीनोम पर देश में अब तक अपेक्षित शोध नहीं हुआ है. ऐसे में, वैज्ञानिकों के पास इसकी पर्याप्त जानकारी नहीं है कि यह बीमारी भारतीयों को कैसे प्रभावित करती है. देश में पाये जाने वाले कैंसर के विशेष लक्षणों को परीक्षणों और दवाओं में शामिल नहीं किया जाता. इस कारण इन लक्षणों की पहचान के लिए न तो डायग्नोस्टिक किट बन पा रही है, न ही प्रभावी दवाओं का विकास मुमकिन हो पा रहा है. इस चुनौती से निपटने के लिए आइआइटी, मद्रास ने 2020 में कैंसर जीनोम कार्यक्रम की शुरुआत की थी.
इस परियोजना के तहत देशभर में ब्रेस्ट कैंसर के 480 मरीजों के टिश्यू सैंपल का अध्ययन किया गया और 960 जीनों की एक्सोम इंडेक्सिंग पूरी की गयी. यह डाटाबेस कैंसर के इलाज से संबंधित शोध को आगे बढ़ाने में बड़ा कदम साबित होगा और इससे शुरुआती स्तर पर कैंसर का बेहतर इलाज संभव होगा, क्योंकि इसकी मदद से कैंसर के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने, बीमारी की प्रगति समझने, उच्च जोखिम की पहचान करने, बेहतर इलाज की रणनीति तैयार करने और उपचार की प्रभावशीलता का अध्ययन करने में मदद मिलेगी.
कैंसर जीन मैपिंग से इसके इलाज में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद है. इसके तहत जीन का अध्ययन होगा, जिससे यह जानकारी मिल सकेगी कि जीन में किस तरह के बदलाव या गड़बड़ियों से शरीर में कैंसर बढ़ता है. यह भारतीय आबादी के लिए बेहतर उपचार रणनीतियां विकसित करने के लिए नयी दवा की पहचान करने में तो उपयोगी साबित होगा ही, इसके अलावा इससे कैंसर के उपचार को किफायती भी बनाया जा सकेगा, जो भारत जैसे देश में बहुत जरूरी है.