PM Modi messages: अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में अस्थिरता बढ़ने और भू-राजनीतिक संकटों के गंभीर होते जाने की पृष्ठभूमि में वैश्विक मंचों से दिये जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेशों का महत्व निरंतर बढ़ता जा रहा है. इसी वजह से दुनिया उन्हें सुन भी रही है और उनसे अग्रणी भूमिका निभाने का निवेदन भी कर रही है. रूस और यूक्रेन युद्ध से संबंधित सभी देश प्रधानमंत्री मोदी से मध्यस्थता का अनुरोध कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र आम सभा की बैठक के लिए अमेरिका पहुंचे भारतीय नेता से फिलिस्तीन के शासनाध्यक्ष ने भी मुलाकात की है और यूक्रेन के राष्ट्रपति से भी उनकी भेंट हुई है.
आम सभा के मंच से अपने संबोधन में उन्होंने रेखांकित किया है कि वैश्विक आकांक्षाओं के अनुरूप वैश्विक प्रयास भी किये जाने चाहिए. आतंकवाद के गंभीर खतरे की ओर ध्यान दिलाते हुए उन्होंने विश्व समुदाय को आगाह किया है कि साइबर स्पेस, सामुद्रिक मार्ग और अंतरिक्ष संघर्ष के नये क्षेत्र बन रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नयी तकनीकें नये खतरों की वजह बन रही हैं. चाहे आतंकवाद हो, भू-राजनीतिक संघर्ष हों, तकनीकी चुनौतियां हों या जलवायु संकट हो, इनके प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ रहे हैं, इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि समस्याओं के समाधान के प्रयास में समूचा विश्व समुदाय शामिल हो.
प्रधानमंत्री मोदी का आह्वान भारतीय विदेश नीति की वैचारिक एवं नैतिक आयाम को दर्शाता है. बीते वर्षों में उनके नेतृत्व में भारत ने अपनी विदेश नीति को एक ओर जहां स्वायत्त एवं स्वतंत्र रखने पर ध्यान केंद्रित किया है, वहीं सभी देशों के साथ परस्पर सहयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है. जी-20 की अध्यक्षता के दौरान दुनिया ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भारतीय अवधारणा को चरितार्थ होते देखा, जब इस समूह में अफ्रीकी देशों के संगठन अफ्रीका संघ को शामिल किया गया तथा संयुक्त घोषणा पर सभी सदस्यों ने सहमति दी. इसी प्रकार, प्रधानमंत्री मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में अनेक बार कह चुके हैं कि यह दौर युद्ध का नहीं, बुद्ध का है तथा विवादों के निपटारे के लिए संवाद का सहारा लिया जाना चाहिए.
गाजा मसले पर भारत ने आतंक की कटु आलोचना की है, तो भयावह हमलों की निंदा भी की है. फिलिस्तीनी नेता से बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने गाजा के मानवीय संकट पर गहरी चिंता जतायी है. गाजा और यूक्रेन में भारत की ओर से मानवीय सहायता भी भेजी गयी है. कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह कई विकासशील एवं गरीब देशों को टीके मुहैया कराये गये थे, उसी तरह विभिन्न बीमारियों के वैक्सीन के वितरण पर भी क्वाड बैठक में सहमति हुई है. प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक विकास लक्ष्यों और जलवायु मसले को भी सामने रखा है, जिन पर हाल के वर्षों में प्रमुख देशों का ध्यान कुछ कम हुआ है.