इन दिनों पूरी दुनिया में हाल में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) द्वारा प्रकाशित वर्किंग पेपर ‘स्टैकिंग अप द बेनिफिट्स लेसंस फ्रॉम इंडियाज डिजिटल जर्नी’ को पढ़ा जा रहा है. इसमें कहा गया है कि भारत ने अपने सतत विकास लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए एक विश्वस्तरीय बहुआयामी मजबूत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा (डीपीआई) विकसित किया है. यह अन्य देशों के लिए सबक है, जो अपने डिजिटल बदलाव की शुरुआत कर रहे हैं. डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है.
इस वर्किंग पेपर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गयी प्रधानमंत्री जन धन योजना की सराहना की गयी है और कहा गया है कि मजबूत डिजिटल नीतियों से भारत में प्रतिस्पर्धी, खुला और किफायती दूरसंचार बाजार बना है तथा मोबाइल डेटा की लागत में 90 फीसदी की कमी से डेटा इस्तेमाल में उछाल आया है. नोटबंदी से यूपीआई समेत भुगतान के अन्य तरीकों का अधिक इस्तेमाल हुआ है.
डिजिटलीकरण ने भारत की अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में मदद की है और आधार ने लीकेज को कम करते हुए लाभार्थियों को भुगतान के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) में मदद की है. इस डिजिटल बुनियादी ढांचे का उपयोग कर भारत कोविड महामारी के दौरान गरीब परिवारों के एक बड़े हिस्से को जल्दी सहायता प्रदान करने में सक्षम बना रहा है. मार्च 2021 तक डिजिटल सुधारों के कारण व्यय में जीडीपी का लगभग 1.1 फीसदी बचाया गया है.
इस समय देश में 47.8 करोड़ से अधिक जन धन खातों (जे), 134 करोड़ से अधिक आधार कार्ड (ए) और 118 करोड़ से अधिक मोबाइल उपभोक्ताओं (एम) के तीन आयामी जैम से आम आदमी डिजिटल दुनिया से जुड़ गया है. वर्ष 2014 से लागू डीबीटी योजना एक वरदान की तरह दिख रही है. कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने डीबीटी के जरिये करीब 27 लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि सीधे लाभान्वितों के खातों तक पहुंचायी है.
बैंक खातों में डीबीटी से सीधे सब्सिडी जमा कराने से करीब सवा दो लाख करोड़ रुपये बिचौलियों के हाथों में जाने से बचाये गये हैं. भारत ने पिछले एक दशक में मजबूत डिजिटल ढांचे से डिजिटलीकरण में एक लंबा सफर तय कर लिया है. सरकारी योजनाओं के तहत बिचौलियों के भ्रष्टाचार को रोकने, काम के भौतिक रूपों व सरकारी कार्यालयों में लंबी कतारों से राहत और घरों में मोबाइल स्क्रीन पर कुछ क्लिक करके विभिन्न सेवाओं, सुविधाओं और मनोरंजन की सुविधाएं सहज उपलब्ध हैं.
जहां केंद्र और राज्य सरकारों की 450 से अधिक योजनाओं का फायदा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचाने में बड़ी कामयाबी मिली है, वहीं लोगों की सुविधाएं बढ़ी है. देश में सौ से अधिक सरकारी सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं. छोटे उद्योग-कारोबार के लिए सरल ऋण और रोजगार सृजन हेतु अप्रैल 2015 को डिजिटल रूप से लागू प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत मार्च 2023 तक 40.82 करोड़ लोन खातों में 23.2 लाख करोड़ रुपये भेजे गये हैं.
इसी तरह अटल पेंशन योजना, भारत बिल भुगतान प्रणाली, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह, आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, स्टैंड अप इंडिया और तत्काल भुगतान सेवा, डिजिटल आयुष्मान भारत मिशन से भी करोड़ों लोग लाभान्वित हो रहे हैं. डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत शीर्ष देशों में शामिल है. इतना ही नहीं, किसानों के समावेशी विकास में भी डीबीटी की अहम भूमिका है.
जनवरी 2023 से शुरू डिजिटल राशन प्रणाली से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को हर महीने खाद्यान्न निशुल्क प्रदान किया जा रहा है. केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक 27 फरवरी 2023 तक किसान सम्मान निधि योजना के तहत 13 किस्तों में 11 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक हस्तांतरित किये जा चुके हैं. यह अभियान दुनिया के लिए मिसाल बन गया है.
देश में बढ़ते डिजिटलीकरण ने रोजगार के नये डिजिटल अवसर भी पैदा किये हैं. कोरोना की चुनौतियों के बीच भारत के आईटी सेक्टर द्वारा समय पर दी गयीं गुणवत्तापूर्ण सेवाओं से वैश्विक उद्योग-कारोबार इकाइयों का भारत की आईटी कंपनियों पर भरोसा बढ़ा है. डिजिटल इकोनॉमी के तहत कॉमर्स, बैंकिंग, मार्केटिंग, ट्रांजेक्शन, डेटा एनालिसिस, साइबर सिक्योरिटी, आईटी, टूरिज्म, रिटेल ट्रेड, हॉस्पिटेलिटी आदि क्षेत्रों में रोजगार और स्वरोजगार के चमकीले मौके बढ़ते जा रहे हैं.
मैकिंजी ग्लोबल इंस्टिट्यूट की वैश्विक रोजगार रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में डिजिटल ढांचे की मजबूती से अर्थव्यवस्था में 2025 तक डिजिटलीकरण से दो करोड़ से अधिक नयी नौकरियां निर्मित होंगी. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा देश में डिजिटल रुपये की शुरुआत आने वाले दिनों में गेमचेंजर साबित हो सकती है.
देश में विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्मों पर एक अरब से अधिक लोगों के डाटा को सुरक्षित रखने के लिए साइबर स्वच्छता केंद्र अहम भूमिका निभा रहा है. लेकिन मजबूत डिजिटल ढांचे की विभिन्न उपयोगिताओं के बावजूद इस समय डिजिटलीकरण के तहत स्टार्टअप, डिजिटल शिक्षा, डिजिटल बैंकिंग, भुगतान समाधान, स्वास्थ्य तकनीक, एग्रीटेक आदि की डगर पर जो चुनौतियां दिख रही हैं, उनके समाधान हेतु तत्परतापूर्वक कदम उठाने की जरूरत है.
हम उम्मीद करें कि सरकार आइएमएफ के वर्किंग पेपर के मद्देनजर देश के मजबूत डिजिटल ढांचे को ध्यान में रखते हुए जहां और अधिक सेवाओं को डिजिटलीकरण की छतरी में लायेगी, वहीं दुनिया के जरूरतमंद देशों को भी डिजिटल ढांचे से लाभान्वित करेगी. वह नयी शिक्षा प्रणाली के तहत भारत में डिजिटलीकरण को अधिक गतिशील बनाने के लिए नयी पीढ़ी को नये दौर की डिजिटल स्किल और उन्नत प्रौद्योगिकियों से शिक्षित-प्रशिक्षित करने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी.
देश में अधिक तकनीकी एवं वैज्ञानिक सोच, डेटा तक सरल पहुंच, स्मार्टफोन की कम लागत, निर्बाध कनेक्टिविटी, बिजली की सरल आपूर्ति आदि जैसी जरूरतों पर और अधिक ध्यान देगी. इस समय जब 2023 में भारत की मुठ्ठियों में जी-20 की अध्यक्षता है, तब भारत द्वारा जी-20 सदस्यों के बीच आम सहमति से एक लाभपूर्ण और सुरक्षित साइबर स्पेस के लिए प्रभावी पहल की जायेगी.