प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से क्षेत्रीय संघर्ष को नहीं बढ़ाने का अनुरोध किया है. उन्होंने आतंकवाद के मुद्दे पर इस्राइली चिंताओं को उचित ठहराया है, पर पश्चिम एशिया में शांति बहाली की जरूरत को भी रेखांकित किया है. गाजा में जारी इस्राइली हमलों के लगभग एक साल बाद भी युद्धविराम के संकेत नहीं हैं. इस्राइल ने लेबनान पर भी हमला किया है.
यमन और सीरिया में भी कुछ बमबारी हुई है. इस्राइल ने कहा है कि वह उसके खिलाफ लड़ रहे हमास, हिज्बुल्लाह, अंसारल्लाह आदि संगठनों को निशाना बना रहा है. इन लड़ाइयों में बड़ी तादाद में बच्चों, महिलाओं और आम लोगों की मौत हुई है तथा लाखों लोग विस्थापित हुए हैं. कुछ दिन पहले अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से भेंट की थी तथा गाजा के मानवीय संकट पर गहरी चिंता जतायी थी. भारत ने गाजा में मदद भी भेजी है.
प्रधानमंत्री मोदी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार कहते रहे हैं कि युद्ध के स्थान पर संवाद और कूटनीतिक प्रयासों से समाधान निकालने का प्रयास किया जाना चाहिए. रूस-यूक्रेन युद्ध से संबंधित सभी पक्षों ने उनसे मध्यस्थता का निवेदन भी किया है. गाजा की तरह यूक्रेन के लिए भी भारत ने सहायता भेजी है. भारत ने दशकों तक भयावह आतंक का सामना किया है और वह आतंक में भेद भी नहीं करता, जबकि अनेक शक्तिशाली देश अपने स्वार्थ के हिसाब से आतंक का समर्थन या विरोध करते हैं.
संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में भी प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद के गंभीर खतरे की ओर ध्यान दिलाते हुए विश्व समुदाय को आगाह किया था कि साइबर स्पेस, सामुद्रिक मार्ग और अंतरिक्ष संघर्ष के नये क्षेत्र बन रहे हैं. पहले भी भारत यह अनुरोध करता रहा है कि गाजा में शांति बहाली हो और पश्चिम एशिया में युद्ध का विस्तार नहीं होना चाहिए. ये संदेश इंगित करते हैं कि भारत की विदेश नीति सुविचारित नैतिकता और विश्व कल्याण की भावना पर आधारित है. भारत बड़े देशों की खेमेबाजी से अलग रहकर सभी देशों के साथ संबंध और सहयोग बढ़ाने की नीति पर अग्रसर है.
इससे भारत के प्रति विभिन्न देशों का भरोसा बढ़ा है. प्रधानमंत्री मोदी का फिलिस्तीन और इस्राइल तथा रूस और यूक्रेन के नेताओं से चर्चा करने से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि वैश्विक राजनीति में भारत निरंतर महत्वपूर्ण होता जा रहा है. पश्चिम एशिया में स्थित सभी देशों के साथ भारत के अच्छे राजनीतिक एवं आर्थिक संबंध हैं. उस क्षेत्र में बड़ी संख्या में भारतीय कार्यरत हैं तथा भारत के आयात-निर्यात के अनेक रास्ते एवं ठिकाने हैं. पश्चिम एशिया की अस्थिरता वहां के लिए नुकसानदेह तो है ही, भारत और शेष विश्व के लिए भी चिंताजनक है.