भारतीय प्रवासियों की अहम भूमिका
आज विदेशी भूमि का कोई हिस्सा नहीं है, जहां भारतीयों का निवास नहीं है और हमारी बहुस्तरीय संस्कृति के निशान और प्रभाव से न चमकता हो. हमें प्रवासी भारतीयों की क्षमता को रचनात्मक तरीके से स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहिए, जिनके कारण भारत का नाम, प्रसिद्धि और विकास विश्व में अग्रणी हो जाता है.
वैश्वीकरण और आर्थिक उदारीकरण के साथ पूरे विश्व में तेजी से बदलाव आ रहा है. ज्ञान और कौशल के हस्तांतरण के साथ-साथ मुद्रा-निवेश और देश में भेजे जाने वाले धन (प्रेषण) का प्रवाह बढ़ रहा है. इस प्रक्रिया में प्रवासी भारतीय एक ऐसे समूह के रूप में उभरे हैं, जो न केवल भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से भारत से जुड़ा हुआ है, बल्कि देश के आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. लगभग 3.1 करोड़ के अनुमानित प्रवासियों (जिनमें से भारतीय मूल के 1.7 करोड़, एनआरआइ 1.3 करोड़, जो दुनिया के 146 देशों में फैले हुए हैं) के साथ भारत आज दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा डायस्पोरा है. डायस्पोरा पूरी दुनिया में फैला हुआ है, जिनकी पैतृक जड़ें व्यापारियों, गिरमिटिया मजदूरों, राजनीतिक निर्वासितों, व्यापार उद्यमियों आदि में देखी जा सकती हैं. भारत में डायस्पोरा में आमतौर पर गैर-निवासी भारतीयों (एनआरआइ), भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआइओ) और भारत के विदेशी नागरिकों (ओसीआइ) को शामिल किया जाता रहा है, जिनमें से पीआइओ और ओसीआइ कार्ड धारकों का 2015 में एक श्रेणी- ओसीआइ- में विलय कर दिया गया था. भारतीय प्रवासियों ने पूरे विश्व में भारत की अच्छी छवि बनाने में मदद की है. प्रवासी भारतीय दिवस समुदाय ने सफलता के जो मानक निर्धारित किये हैं, वे भारत में हमारे लिए प्रेरणा स्रोत हैं.
भारतीय प्रवासी राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्तरों पर भारत के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उनमें से कई ने विभिन्न पेशों के अलावा राजनीतिक, सरकारी और कूटनीति के क्षेत्र में भी नयी पहचान बनायी है. वे मेजबान देश और अपने देश के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं. इस समुदाय ने विदेशी भूमि पर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजा हुआ है तथा उनके द्वारा देश में भेजा गया धन हमारे आर्थिक विकास में उनका उल्लेखनीय योगदान है. सामाजिक स्तर पर योगदान देने के लिए, दुनियाभर में भारतीय प्रवासियों ने विभिन्न संगठनों और संस्थानों की शुरुआत की है, जो समृद्ध भारतीय संस्कृति तथा भारतीयों के हितों की रक्षा करते हैं. ग्लोबल माइग्रेशन रिपोर्ट 2020 के अनुसार, भारत दुनिया भर में 1.75 करोड़ मजबूत डायस्पोरा के साथ अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की उत्पत्ति का सबसे बड़ा देश है और विदेशों में रहने वाले भारतीयों से भारत को लगभग 6.5 लाख करोड़ रुपये का उच्चतम प्रेषण प्राप्त हुआ, जो भारत के सकल घरेलू उत्पादन का 3.4 प्रतिशत है. अमेरिका इसका सबसे बड़ा स्रोत रहा, जहां से 2021 में 87 अरब डॉलर का योगदान प्राप्त हुआ. विश्व में प्रेषण के रूप में भेजे जाने वाले कुल धन का 13 प्रतिशत भाग भारतीयों द्वारा भेजा जाता है.
भारतीय प्रवासियों ने न केवल भारत को उपनिवेशवाद से मुक्त करने में ऐतिहासिक भूमिका निभायी, बल्कि वे अपनी सफलता की कहानियों के माध्यम से भारत के मूल्यों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाये रखने में मददगार रहे. दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के खिलाफ प्रणालीगत पूर्वाग्रह को समाप्त करने के लिए महात्मा गांधी के संघर्ष ने समकालीन भारत में प्रवासी भारतीयों के बारे में किंवदंतियों को प्रेरित किया. डायस्पोरा निवेश बढ़ाने में, औद्योगिक विकास में तेजी लाने और व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘परिवर्तन के एजेंट’ के रूप में कार्य करता है. भारतीय समुदाय ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. वे भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं, जैसे- योग, आयुर्वेद, भारतीय व्यंजन आदि का विस्तार करते हैं. एनआरआई शिक्षण संस्थानों या व्यवसायों को भी वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं, जो अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में सहायक होता है.
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भारत के विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान को मान्यता देने और युवा प्रवासियों को उनकी पैतृक जड़ों से जोड़ने के लिए भारत सरकार द्वारा कई कार्यक्रम शुरू किये गये हैं. उनमें सबसे प्रमुख हैं- ‘भारत को जानें कार्यक्रम’, ‘भारत को जानें – प्रश्नोत्तरी’ और प्रवासी बच्चों के लिए छात्रवृत्ति कार्यक्रम. भारत सरकार ने ‘राहत’ और ‘संकट मोचन’ कार्यक्रमों के तहत लगभग 45 देशों के विदेशी नागरिकों सहित 90 हजार से अधिक प्रवासी भारतीयों को युद्धग्रस्त देशों से निकाला. इन कार्यक्रमों ने प्रवासी भारतीय समुदाय को आश्वस्त किया कि वे जहां कहीं भी हों, भारत सरकार उनकी मदद के लिए सदैव तैयार है. जिस तरह से प्रवासी व्यवसाय और निवेश में योगदान दे रहे है, अन्य लोग भी भारत में स्वयं सेवा करने, वंचितों की मदद करने या विभिन्न क्षेत्रों में क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में योगदान देने के लिए अपना बहुमूल्य समय और प्रयास करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं. मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया या स्वच्छ भारत जैसे कार्यक्रम उन्हें नये भारत के निर्माण में मदद के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करते हैं. आज विदेशी भूमि का कोई हिस्सा नहीं है, जहां भारतीयों का निवास नहीं है और हमारी बहुस्तरीय संस्कृति के निशान और प्रभाव से ना चमकता हो. हमें प्रवासी भारतीयों की क्षमता को रचनात्मक तरीके से स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहिए, जिनके कारण भारत का नाम, प्रसिद्धि और विकास विश्व में अग्रणी हो जाता है.
(ये लेखिका के निजी विचार हैं.)