Loading election data...

महत्वपूर्ण व्यापार समझौता

बड़ी मात्रा में निवेश के एवज में भारत इन देशों से आने वाली अधिकांश औद्योगिक वस्तुओं पर से आयात शुल्क हटा लेगा.

By संपादकीय | March 11, 2024 10:55 PM

भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार एसोसिएशन के बीच मुक्त व्यापार समझौते से दोनों पक्षों को व्यापक लाभ होने की आशा है. इस एसोसिएशन में चार देश- नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, आइसलैंड और लिक्टेंस्टीन- शामिल हैं. इस समझौते से भारत में 100 अरब डॉलर निवेश आने की संभावना है. उल्लेखनीय है कि देश में निवेश बढ़ाने तथा निर्यात को गति देने के उद्देश्य से बीते दो वर्षों में भारत ने ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किया है. चार यूरोपीय देशों से समझौता उसी क्रम में है. पिछले दो वर्षों से भारत और ब्रिटेन के बीच भी व्यापार समझौते के लिए बातचीत चल रही है. रिपोर्टों की मानें, तो इसे भी जल्दी ही अंतिम रूप दे दिया जायेगा. चार यूरोपीय देशों से हुआ समझौता इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और अन्य यूरोपीय देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने का आधार बन सकता है. समझौते पर दोनों पक्षों के बीच लगभग 16 साल से वार्ता चल रही थी. इससे यह समझा जा सकता है कि हर पहलू पर गहन चिंतन-मनन किया गया है ताकि हर किसी को लाभ मिल सके.

बड़ी मात्रा में निवेश के एवज में भारत इन देशों से आने वाली अधिकांश औद्योगिक वस्तुओं पर से आयात शुल्क हटा लेगा. यह व्यवस्था 15 वर्षों तक जारी रहेगी. नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन से आने वाले निवेश से दवा निर्माण, मशीनरी, मैनुफैक्चरिंग समेत विभिन्न उद्योगों को फायदा होगा. यह अच्छी बात है कि इन देशों से जो चीजें आम तौर पर भारत में आयातित की जाती हैं, वे शुल्क हटाने या कम करने से सस्ती हो जायेंगी तथा उनका घरेलू उत्पादन पर भी नकारात्मक असर न के बराबर होगा. निवेश के आने के साथ कई वस्तुओं का उत्पादन साझा उपक्रमों के माध्यम से भारत में भी होने लगेगा. उस स्थिति में दाम भी घटेंगे, रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे तथा निर्यात में भी गति आयेगी. वैश्विक आपूर्ति शृंखला में भारत अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में जुटा हुआ है. रक्षा क्षेत्र, मोबाइल फोन निर्माण, इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है तथा संबंधित उत्पादों का निर्यात भी बढ़ा है. इस पृष्ठभूमि में मुक्त व्यापार समझौतों, आर्थिक सुधारों, निवेशकों को आकर्षित करने के प्रयासों जैसे उपायों का महत्व बहुत बढ़ जाता है. दुनिया की सबसे बड़ी आबादी और सर्वाधिक गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के साथ भारत में एक विशाल घरेलू बाजार है, जिससे विभिन्न देश भी जुड़ना चाहते हैं. इसीलिए वाणिज्यिक समझौतों के प्रयासों में तेजी आ रही है. यह वैश्विक स्तर पर भारत के प्रति बढ़ते विश्वास का भी सूचक है.

Next Article

Exit mobile version